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Tuesday 11 August 2015

How to file income tax e-return

ऐसे करें आयकर रिटर्न की ई-फाइलिंग

आयकर रिटर्न दाखिल करने की प्रकिया को ज्यादातर लोग एक पेचीदा, उबाऊ और काफी समय लेने वाला काम मानते हैं, जिसमें काफी कागजी कार्रवाई करनी पड़ती है। इसे सरल बनाते हुए सरकार ने ई-फाइलिंग की सुविधा उपलब्ध कराई है। यह काफी मददगार साबित हो रही है।है। 

ई-फाइलिंग का मतलब है इंटरनेट का प्रयोग करते हुए कहीं से भी किसी भी समय इलेक्ट्रॉनिक रूप से आयकर रिटर्न जमा करना। सालाना 5 लाख रुपये से ज्यादा आय वालों के लिए आयकर रिटर्न ई-फाइलिंग अनिवार्य है। 

आयकर रिटर्न तीन तरीकों से की जा सकती है। पहला तरीका आयकर रिटर्न सत्यापन पावती (ITR-V) पर डिजिटल हस्ताक्षर करना है। 

दूसरा तरीका ITR-V की हार्ड कॉपी पर हस्ताक्षर करके उसे सीपीसी, बंगलूरू भेजने का है। 

तीसरा तरीका इलेक्ट्रॉनिक सत्यापन कोड (EVC) की नई प्रणाली का प्रयोग करना है। करदाता चार तरीकों से EVC प्राप्त कर सकते हैं नेट बैंकिंग द्वारा, आधार संख्या द्वारा, एटीएम द्वारा या आयकर विभाग की ई-फाइलिंग वेबसाइट द्वारा। 

ईवीसी प्राप्त करने के तरीके

1. नेट बैंकिंग के माध्यम से EVC: इस स्थिति में, आयकर विभाग से पंजीकृत कुछ निर्दिष्ट बैंक अपने खाताधारकों को ई-फाइलिंग वेबसाइट पर प्रत्यक्ष संपर्क प्रदान करते हैं। ई-फाइलिंग विकल्प पर क्लिक करने पर, खाताधारक ई-फाइलिंग वेबसाइट पर पहुंच जाएगा जहां वह EVC बना सकता है। बनाया गया EVC करदाता के पंजीकृत ई-मेल आईडी और मोबाइल नंबर पर पहुंच जाएगा, जिसे आयकर रिटर्न के सत्यापन के लिए प्रयोग किया जा सकता है।

2. आधार संख्या के माध्यम से: करदाता EVC बनाने के लिए ई-फाइलिंग वेबसाइट पर अपनी आधार संख्या को अपने पैन से संबद्ध कर सकते हैं। एक बार आधार संख्या के पैन नंबर से संबद्ध हो जाने पर, वन टाइम पासवर्ड (OPT) बन जाएगा और करदाता के मोबाइल नंबर पर भेज दिया जाएगा।

3. एटीएम के माध्यम से: सभी करदाता एटीएम के माध्यम से EVC बना सकते हैं यदि करदाता का एटीएम कार्ड पैन से वैधीकृत बैंक खाते से संबद्ध है और बैंक भी आयकर विभाग से पंजीकृत है। करदाता अपने डेबिट/क्रेडिट कार्ड का प्रयोग करके पंजीकृत बैंक के एटीएम से संपर्क कर सकता है। बैंक यह अनुरोध ई-फाइलिंग वेबसाइट को सूचित करेगा जो EVC जारी करेगा और EVC को पंजीकृत मोबाइल नंबर पर भेजेगा।

4. आयकर विभाग की ई-फाइलिंग वेबसाइट से: करदाता आयकर विभाग की ई-फाइलिंग वेबसाइट incometaxindiaefiling.gov.in का 
प्रयोग करते हुए भी EVC बना सकते हैं। हालांकि यह सुविधा उन्हीं को उपलब्ध है जिनकी कुल य 5 लाख रुपये या इससे कम है और वह आयकर रिफंड का दावा नहीं कर रहे हैं।

EVC सत्यापन एक वैकल्पिक प्रक्रिया है। यदि करदाता चाहे तो वह ITR-V को भौतिक रूप से सीपीसी, बंगलूरू को भेजना जारी रख सकता है।

Monday 10 August 2015

सकारात्मक रहे सकारात्मक जिए...

ये कहानी आपके जीने की सोच बदल देगी

एक दिन एक किसान का बैल कुएँ में गिर गया
वह बैल घंटों ज़ोर -ज़ोर से रोता रहा और किसान सुनता रहा और विचार करता रहा कि उसे क्या करना चाहिऐ और क्या नहीं।
अंततः उसने निर्णय लिया कि चूंकि बैल काफी बूढा हो चूका था अतः उसे बचाने से कोई लाभ होने वाला नहीं था और इसलिए उसे कुएँ में ही दफना देना चाहिऐ।
किसान ने अपने सभी पड़ोसियों को मदद के लिए बुलाया सभी ने एक-एक फावड़ा पकड़ा और कुएँ में मिट्टी डालनी शुरू कर दी।
जैसे ही बैल कि समझ में आया कि यह क्या हो रहा है वह और ज़ोर-ज़ोर से चीख़ चीख़ कर रोने लगा और फिर ,अचानक वह आश्चर्यजनक रुप से शांत हो गया।
सब लोग चुपचाप कुएँ में मिट्टी डालते रहे तभी किसान ने कुएँ में झाँका तो वह आश्चर्य से सन्न रह गया....
अपनी पीठ पर पड़ने वाले हर फावड़े की मिट्टी के साथ वह बैल एक आश्चर्यजनक हरकत कर रहा था वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को नीचे गिरा देता था और फिर एक कदम बढ़ाकर उस पर चढ़ जाता था।
जैसे-जैसे किसान तथा उसके पड़ोसी उस पर फावड़ों से मिट्टी गिराते वैसे -वैसे वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को गिरा देता और एक सीढी ऊपर चढ़ आता जल्दी ही सबको आश्चर्यचकित करते हुए वह बैल कुएँ के किनारे पर पहुंच गया और फिर कूदकर बाहर भाग गया।

ध्यान रखे
आपके जीवन में भी बहुत तरह से मिट्टी फेंकी जायेगी बहुत तरह की गंदगी आप पर गिरेगी जैसे कि ,
आपको आगे बढ़ने से रोकने के लिए कोई बेकार में ही आपकी आलोचना करेगा
कोई आपकी सफलता से ईर्ष्या के कारण आपको बेकार में ही भला बुरा कहेगा
कोई आपसे आगे निकलने के लिए ऐसे रास्ते अपनाता हुआ दिखेगा जो आपके आदर्शों के विरुद्ध होंगे...
ऐसे में आपको हतोत्साहित हो कर कुएँ में ही नहीं पड़े रहना है बल्कि साहस के साथ हर तरह की गंदगी को गिरा देना है और उससे सीख ले कर उसे सीढ़ी बनाकर बिना अपने आदर्शों का त्याग किये अपने कदमों को आगे बढ़ाते जाना है।

सकारात्मक रहे
सकारात्मक जिए...

Saturday 8 August 2015

Happy world family day

Happy world family day

"परिवार" से बड़ा कोई
            "धन" नहीं!
            "पिता" से बड़ा कोई
            "सलाहकार" नहीं!
            "माँ" की छाव से बड़ी
             कोई "दुनिया" नहीं!
            "भाई" से अच्छा कोई 
            "भागीदार" नहीं!
            "बहन" से बड़ा कोई
            "शुभचिंतक" नहीं!
            "पत्नी" से बड़ा कोई
            "दोस्त" नहीं
                    इसलिए
            "परिवार" के बिना
            "जीवन" नहीं!!!

•"परिवार में"- कायदा नही परन्तु व्यवस्था होती है।
•"परिवार में"- सूचना नहीं परन्तु समझ होती है।
•"परिवार में"- कानून नहीं परन्तु अनुशासन होता है।
•"परिवार मे"- भय नहीं परन्तु भरोसा होता है।
• "परिवार मे"- शोषण नहीं परन्तु पोषण होता है।
•"परिवार मे"- आग्रह नही परन्तु आदर होता है।
•"परिवार मे"- सम्पर्क नही परन्तु सम्बन्ध होता है ।
•"परिवार मे"- अर्पण नही परन्तु समर्पण होता है।
Today is World Family Day

Ultra-Modern Thought for the day-

Ultra-Modern Thought for the day-

ज़रुरत से ज़्यादा भगवान को याद मत किया करो क्योंकि...

किसी दिन भगवान ने याद कर लिया तो..??

लेने के देने पड़ जायेंगे ।

"काम ऐसे करो कि लोग आपको....
.
.
किसी दूसरे काम के लिए बोलें ही नहीं"

आज के जमाने में सत्संग उसी संत का बढ़िया रहता है, जिसके पंडाल में गर्म पोहा, समोसा जलेबी और अदरक वाली चाय मिले।

वरना ज्ञान तो अब ऑनलाइन उपलब्ध है ।

जिस पुरुष ने आज के समय में बीवी, नौकरी और स्मार्टफोन के बीच में सामंजस्य बैठा लिया हो, वह पुरुष नहीं महापुरुष कहलाता है ।

आज सबसे बड़ी कुर्बानी वह होती है, जब हम अपना फोन चार्जिंग से निकाल कर किसी और का फोन लगा दें ।

“दुनिया में हर चीज मिल जाती है..

सिर्फ अपनी गलती नहीं मिलती”

आसमान छूने के लिए दिवाली के रॉकेट को भी "बोतल" की जरूरत पड़ती है ।
तो फिर इंसान क्या चीज है ?

आप कितने ही अच्छे काम कर लें, लेकिन लोग उसे ही याद करते हैं,

जो उधार लेकर मरा हो ।

यदि पेड़ों से wi-fi के सिगनल मिलते...
तो हम खूब पेड़ लगाते ।

अफसोस कि वे हमें सिर्फ आक्सीजन देते हैं ।

आजकल माता-पिता को बस दो ही चिंताएं हैं...
इंटरनेट पर उनका बेटा क्या डाउनलोड कर रहा है....
और...

बेटी क्या अपलोड कर रही है ।

हर एक इंसान हवा में उड़ता फिरता है,

फिर भी ना जाने जमीन पर इतनी भीड़ क्यों है ?

जंगल में चरने गया बैल, दोस्तों के साथ पार्टी में बैठा पुरुष और ब्यूटी पार्लर में गयी महिला..

जल्दी वापस नहीं आते ।।

जब आप किसी चीज को पूरी शिद्दत से पाने की ख्वाहिश या कोशिश करते हैं, तो वह चीज
.
.
.
.
उसी शिद्दत से कुछ ज्यादा ही एटीट्यूड दिखाने लगती है।।

Thursday 6 August 2015

वृद्धाश्रम की कल्पना भी नहीं

अगर विवाह के पश्चात भी माँ पापा को साथ रखने के अधिकार बेटी के पास होते,
तो मेरे दावा है मेरे दोस्तों इस संसार में एक भी व्रद्ध आश्रम नही होते.

और मैं यह कहूँ कि विवाह पश्चात् वही बेटी जो माँ पापा को अपने साथ रख सकती है यदि वही अपने सास ससुर को माँ पापा की तरह रख ले तो मेरा दावा और भी पुख्ता है की इस संसार में कोई वृद्धाश्रम की कल्पना भी नहीं कर पाता।

अगर में सही हूँ तो समर्थन कीजिये

ध्यान दे- अब प्रोबेशनर ट्रेनी को मिलेंगे नियमित कर्मचारी के समान वेतन-भत्त

अब प्रोबेशनर ट्रेनी को मिलेंगे नियमित कर्मचारी के समान वेतन-भत्ते

हाईकोर्ट ने सरकारी नौकरी में नियुक्त होने वाले कर्मचारियों को दो साल तक प्रोबेशन अवधि के दौरान स्थाई मानदेय देने के नियम असंवैधानिक मानकर निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने सरकार को नियमित व तदर्थ आधार पर नियुक्त होने वाले सभी कर्मचारियों को दो साल की प्रोबेशन अवधि में नियमित कर्मचारियों के समान वेतन व सभी भत्ते देने के आदेश दिए हैं। 

ऐसे सभी कर्मचारियों का जीपीएफ  भी काटा जाएगा तथा प्रोबेशन अवधि समाप्त होने पर दो साल की प्रोबेशन अवधि वार्षिक वेतन वृद्वि व आकस्मिक अवकाश के लिए भी मान्य होगी।

मुख्य न्यायाधीश सुनील अंबवानी व न्यायाधीश वी.एस.सिराधना ने यह आदेश प्रार्थी गोपाल कुमावत की याचिका स्वीकार करते हुए दिए।

कोर्ट ने प्रार्थी को प्रथम नियुक्ति तारीख से नियमित होने की अवधि तक की अंतर राशि अदा करने के साथ ही 10 हजार रुपए बतौर खर्चे के देने के आदेश दिए हैं।

कोर्ट ने सेवा नियमों में संशोधन करने वाली 13 मार्च,2006 की अधिसूचना को संविधान के अनुच्देद 14,16,21,23 व 38 के विपरीत व संविधान की आत्मा के विपरीत माना है।

बेगार व जबरन मजदूरी करवा रही है सरकार ही-
जीवित रहने के लिए दिए जाने वाले भत्ते नहीं देना संविधान के अनुच्छेद-14,16,23 व 38 के तहत व नीति निर्देशक तत्वों के ही विपरीत है। 

प्रोबेशनर ट्रेनी को न्यूनतम मजदूरी से भी कम स्थाई मानदेय नहीं दिया जा सकता। एेसा करना बेगार है जो कि अनुच्छेद-23 के तहत गैर-संवैधानिक है। 

सरकार आदर्श नियोक्ता होने के कारण समान काम के लिए वेतन देने में दबाव नहीं कर सकती।

विशेष पद देते हैं क्या ?
दो साल की प्रोबेशन अवधि के बाद स्थाई होने पर कर्मचारी को कोई विशेष पद नहीं दिया जाता बल्कि वह समान पद पर समान काम ही करता रहता है। एेसे में दो साल की प्रोबेशन अवधि को वार्षिक वेतन वृद्वि के लिए नहीं गिनना अनुचित है।

यह विश्वास करना मुश्किल है कि 2006 में भी कोई व्यक्ति तीन हजार रुपए महीने की आय में जीवित रह सकता होगा और अब तो महंगाई के कारण तो संभव ही नहीं है। इसलिए ही सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिया जाता है। 

प्रोबेशन ट्रेनी के तौर पर काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों से जीवित रहने को भी या उधार मांगने की आशा नहीं की जा सकती।

स्थाई करने का अधिकार तो सुरक्षित है
राजस्थान में स्वीकृत पद पर नियमित तौर पर चयनित होने वाले स्थाई या तदर्थ कर्मचारी चाहे वह चतुर्थ श्रेणी हो या प्रशासनिक अफसर या प्रोफेसर आदि सभी को दो साल के प्रोबेशन ट्रेनी के तौर पर एक निश्चित स्थाई मानदेय दिया जात रहा है। 

प्रोबेशन ट्रेनी होने के आधार पर वेतन- भत्तों में भेद भाव नहीं हो सकता। क्योंकि प्रोबेशन अवधि के बाद स्थाई करने या नहीं करने का सरकार को अधिकार है। 

वेतन आयोग की सिफारिश भी नहीं
सरकारी कर्मचारियों को वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरुप वेतन भत्ते मिलते हैं। एेसा कोई सबूत पेश नहीं है जिससे साबित होता हो कि आयोग ने प्रोबेशन अवधि में स्थाई व निश्चित मानदेय देने की सिफारिश की हो। केंद्र सहित किसी अन्य राज्य में एेसी प्रथा नहीं है।

दुष्ट प्रथा है यह
कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सहित किसी अन्य राज्य में एेसी प्रथा नहीं है। राजस्थान सरकार ने सरकारी नौकरी के आकर्षण के चलते एेसी दुष्ट प्रथा अपनाई है।

Wednesday 5 August 2015

अपने logic और guts की सुनिए..

एक बार कुछ scientists ने एक बड़ा ही interesting experiment किया..

उन्होंने 5 बंदरों को एक बड़े से cage में बंद कर दिया और बीचों -बीच एक सीढ़ी लगा दी जिसके ऊपर केले लटक रहे थे..

जैसा की expected था, जैसे ही एक बन्दर की नज़र केलों पर पड़ी वो उन्हें खाने के लिए दौड़ा..

पर जैसे ही उसने कुछ सीढ़ियां चढ़ीं उस पर ठण्डे पानी की तेज धार डाल दी गयी और उसे उतर कर भागना पड़ा..

पर experimenters यहीं नहीं रुके,
उन्होंने एक बन्दर के किये गए की सजा बाकी बंदरों को भी दे डाली और सभी को ठन्डे पानी से भिगो दिया..

बेचारे बन्दर हक्के-बक्के एक कोने में दुबक कर बैठ गए..

पर वे कब तक बैठे रहते,
कुछ समय बाद एक दूसरे बन्दर को केले खाने का मन किया..
और वो उछलता कूदता सीढ़ी की तरफ दौड़ा..

अभी उसने चढ़ना शुरू ही किया था कि पानी की तेज धार से उसे नीचे गिरा दिया गया..

और इस बार भी इस बन्दर के गुस्ताखी की सज़ा बाकी बंदरों को भी दी गयी..

एक बार फिर बेचारे बन्दर सहमे हुए एक जगह बैठ गए...

थोड़ी देर बाद जब तीसरा बन्दर केलों के लिए लपका तो एक अजीब वाक्य हुआ..

बाकी के बन्दर उस पर टूट पड़े और उसे केले खाने से रोक दिया,
ताकि एक बार फिर उन्हें ठन्डे पानी की सज़ा ना भुगतनी पड़े..

अब experimenters ने एक और interesting चीज़ की..

अंदर बंद बंदरों में से एक को बाहर निकाल दिया और एक नया बन्दर अंदर डाल दिया..

नया बन्दर वहां के rules क्या जाने..

वो तुरंत ही केलों की तरफ लपका..

पर बाकी बंदरों ने झट से उसकी पिटाई कर दी..

उसे समझ नहीं आया कि आख़िर क्यों ये बन्दर ख़ुद भी केले नहीं खा रहे और उसे भी नहीं खाने दे रहे..

ख़ैर उसे भी समझ आ गया कि केले सिर्फ देखने के लिए हैं खाने के लिए नहीं..

इसके बाद experimenters ने एक और पुराने बन्दर को निकाला और नया अंदर कर दिया..

इस बार भी वही हुआ नया बन्दर केलों की तरफ लपका पर बाकी के बंदरों ने उसकी धुनाई कर दी और मज़ेदार बात ये है कि पिछली बार आया नया बन्दर भी धुनाई करने में शामिल था..
जबकि उसके ऊपर एक बार भी ठंडा पानी नहीं डाला गया था!

experiment के अंत में सभी पुराने बन्दर बाहर जा चुके थे और नए बन्दर अंदर थे जिनके ऊपर एक बार भी ठंडा पानी नहीं डाला गया था..

पर उनका behaviour भी पुराने बंदरों की तरह ही था..

वे भी किसी नए बन्दर को केलों को नहीं छूने देते..

Friends, हमारी society में भी ये behaviour देखा जा सकता है..

जब भी कोई नया काम शुरू करने की कोशिश करता है,
चाहे वो पढ़ाई , खेल , एंटरटेनमेंट, business, राजनीती, समाजसेवा या किसी और field से related हो, उसके आस पास के लोग उसे ऐसा करने से रोकते हैं..

उसे failure का डर दिखाया जाता है..

और interesting बात ये है कि उसे रोकने वाले maximum log वो होते हैं जिन्होंने ख़ुद उस field में कभी हाथ भी नहीं आज़माया होता..

इसलिए यदि आप भी कुछ नया करने की सोच रहे हैं और आपको भी समाज या आस पास के लोगों का opposition face करना पड़ रहा है तो थोड़ा संभल कर रहिये..

अपने logic और guts की सुनिए..
ख़ुद पर और अपने लक्ष्य पर विश्वास क़ायम रखिये..
और बढ़ते रहिये..

कुछ बंदरों की ज़िद्द के आगे आप भी बन्दर मत बन जाइए..

Tuesday 4 August 2015

सूतक-पातक

सूतक-पातक
Jain sutak-patak nirnay

सूतक लग गया, अब मंदिर नहीं जाना तक ऐसा कहा-सुना तो बहुत बार, किन्तु अब इसका अर्थ भी समझ लेना ज़रूरी है !!!

सूतक

- सूतक का सम्बन्ध "जन्म के" निम्मित से हुई अशुद्धि से है !
- जन्म के अवसर पर जो नाल काटा जाता है और जन्म होने की प्रक्रिया में अन्य प्रकार की जो हिंसा होती है, उसमे लगने वाले दोष/पाप के प्रायश्चित स्वरुप "सूतक" माना जाता है !

- जन्म के बाद नवजात की पीढ़ियों को हुई अशुचिता :-
3 पीढ़ी तक - 10 दिन 
4 पीढ़ी तक - 10 दिन 
5 पीढ़ी तक - 6 दिन

ध्यान दें :- एक रसोई में भोजन करने वालों के पीढ़ी नहीं गिनी जाती ... वहाँ पूरा 10 दिन का सूतक माना है !
- प्रसूति (नवजात की माँ) को 45 दिन का सूतक रहता है !
- प्रसूति स्थान 1 माह तक अशुद्ध है ! इसीलिए कई लोग जब भी अस्पताल से घर आते हैं तो स्नान करते हैं !

- अपनी पुत्री :-
पीहर में जनै तो हमे 3 दिन का,
ससुराल में जन्म दे तो उन्हें 10 दिन का सूतक रहता है ! और हमे कोई सूतक नहीं रहता है !

- नौकर-चाकर :-
अपने घर में जन्म दे तो 1 दिन का,
बाहर दे तो हमे कोई सूतक नहीं !

- पालतू पशुओं का :-
घर के पालतू गाय, भैंस, घोड़ी, बकरी इत्यादि को घर में बच्चा होने पर हमे 1 दिन का सूतक रहता है !
किन्तु घर से दूर-बाहर जन्म होने पर कोई सूतक नहीं रहता !
- बच्चा देने वाली गाय, भैंस और बकरी का दूध, क्रमशः 15 दिन, 10 दिन और 8 दिन तक "अभक्ष्य/अशुद्ध" रहता है !

पातक

- पातक का सम्बन्ध "मरण के" निम्मित से हुई अशुद्धि से है !
- मरण के अवसर पर दाह-संस्कार में इत्यादि में जो हिंसा होती है, उसमे लगने वाले दोष/पाप के प्रायश्चित स्वरुप "पातक" माना जाता है !

- मरण के बाद हुई अशुचिता :-
3 पीढ़ी तक - 12 दिन
4 पीढ़ी तक - 10 दिन 
5 पीढ़ी तक - 6 दिन

ध्यान दें :- जिस दिन दाह-संस्कार किया जाता है, उस दिन से पातक के दिनों की गणना होती है, न कि मृत्यु के दिन से !
- यदि घर का कोई सदस्य बाहर/विदेश में है, तो जिस दिन उसे सूचना मिलती है, उस दिन से शेष दिनों तक उसके पातक लगता है ! 
अगर 12 दिन बाद सूचना मिले तो स्नान-मात्र करने से शुद्धि हो जाती है !
- किसी स्त्री के यदि गर्भपात हुआ हो तो, जितने माह का गर्भ पतित हुआ, उतने ही दिन का पातक मानना चाहिए !
- घर का कोई सदस्य मुनि-आर्यिका-तपस्वी बन गया हो तो, उसे घर में होने वाले जन्म-मरण का सूतक-पातक नहीं लगता है ! किन्तु स्वयं उसका ही मरण हो जाने पर उसके घर वालों को 1 दिन का पातक लगता है !
- किसी अन्य की शवयात्रा में जाने वाले को 1 दिन का, मुर्दा छूने वाले को 3 दिन और मुर्दे को कन्धा देने वाले को 8 दिन की अशुद्धि जाननी चाहिए !
- घर में कोई आत्मघात करले तो 6 महीने का पातक मानना चाहिए !
- यदि कोई स्त्री अपने पति के मोह/निर्मोह से जल मरे, बालक पढाई में फेल होकर या कोई अपने ऊपर दोष देकर मरता है तो इनका पातक बारह पक्ष याने 6 महीने का होता है !

उसके अलावा भी कहा है कि :- 
जिसके घर में इस प्रकार अपघात होता है, वहाँ छह महीने तक कोई बुद्धिमान मनुष्य भोजन अथवा जल भी ग्रहण नहीं करता है ! वह मंदिर नहीं जाता और ना ही उस घर का द्रव्य मंदिर जी में चढ़ाया जाता है ! (क्रियाकोष १३१९-१३२०)
- अनाचारी स्त्री-पुरुष के हर समय ही पातक रहता है 

ध्यान से पढ़िए :-

- सूतक-पातक की अवधि में "देव-शास्त्र-गुरु" का पूजन, प्रक्षाल, आहार आदि धार्मिक क्रियाएं वर्जित होती हैं !
इन दिनों में मंदिर के उपकरणों को स्पर्श करने का भी निषेध है !
यहाँ तक की गुल्लक में रुपया डालने का भी निषेध बताया है !
-- किन्तु :- 
ये कहीं नहीं कहा कि सूतक-पातक में मंदिरजी जाना वर्जित है या मना है !
- श्री जिनमंदिर जी में जाना, देव-दर्शन, प्रदिक्षणा, जो पहले से याद हैं वो विनती/स्तुति बोलना, भाव-पूजा करना, हाथ की अँगुलियों पर जाप देना जिनागम सम्मत है !
- यह सूतक-पातक आर्ष-ग्रंथों से मान्य है !
- कभी देखने में आया कि सूतक में किसी अन्य से जिनवाणी या पूजन की पुस्तक चौकी पर खुलवा कर रखवाली और स्वयं छू तो सकते नहीं तो उसमे फिर सींख, चूड़ी, बालों कि क्लिप या पेन से पृष्ठ पलट कर पढ़ने लगे ... ये योग्य नहीं है !
- कहीं कहीं लोग सूतक-पातक के दिनों में मंदिरजी ना जाकर इसकी समाप्ति के बाद मंदिरजी से गंधोदक लाकर शुद्धि के लिए घर-दुकान में छिड़कते हैं, ऐसा करके नियम से घोरंघोर पाप का बंध करते हैं !
- इन्हे समझना इसलिए ज़रूरी है, ताकि अब आगे घर-परिवार में हुए जन्म-मरण के अवसरों पर अनजाने से भी कहीं दोष का उपार्जन न हो !

- इस विषय को अधिक सूक्ष्मता से जानने के लिए त्रिवर्णाचारजी, धर्म-संग्रह श्रावकाचारजी, क्रियाकोष और सूतक-निर्णय जैसे शास्त्रों को पढ़ना चाहिए !
नमो अरिहँताणँ
नमो सिध्णामँ
नमो आयरियाणँ
नमो उवझायाणँ
नमो लोए सव साहुणँ,
ऐसो पँच नमोकारो,
सव पावपँणासनो,
मँगलाणँच सवेसिँह,
पढमँम हवै मँगलम

Saturday 1 August 2015

Anger within

I recently read the parable of the empty boat. A monk decides to meditate alone, away from his monastery. He takes his boat out to the middle of the lake, moors it there, closes his eyes and begins his meditation.
After a few hours of undisturbed silence, he suddenly feels the bump of another boat colliding with his own. With his eyes still closed, he senses his anger rising, and by the time he opens his eyes, he is ready to scream at the boatman who dared disturb his meditation.
But when he opens his eyes, he sees it’s an empty boat that had probably got untethered and floated to the middle of the lake. At that moment, the monk achieves self-realization, and understands that the anger is within him; it merely needs the bump of an external object to provoke it out of him.
From then on, whenever he comes across someone who irritates him or provokes him to anger, he reminds himself,
“The other person is merely an empty boat. The anger is within me.”

Friday 31 July 2015

REET - STAY REMOVED

तृतीय श्रेणी अध्यापकों की भर्ती के लिए राज्य अध्यापक पात्रता सह भर्ती परीक्षा (रीट)  की अधिसूचना सिंतबर में जारी होगी। परीक्षा माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान कराएगा। राज्य सरकार ने भर्ती  परीक्षा में आ रही  विधिक अड़चन को दूर कर दिया है। 

राज्य में वर्ष 2012 के बाद तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती के लिए परीक्षा नहीं हुई है। वर्ष 2011 और 2012 में राज्य अध्यापक पात्रता परीक्षा 'आरटेटÓ का आयोजन माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने किया था। इन परीक्षाओं में राज्य सरकार द्वारा कट ऑफ माक्र्स में छूट को लेकर विवाद खड़ा हो गया और मामला उच्च न्यायालय तक पहुंच गया। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिर शिक्षा बोर्ड आरटेट-2012 का परिणाम जारी कर पाया था। 

यूं हटी अड़चन 

'रीटÓ को लेकर शिक्षा बोर्ड के सामने विधिक अड़चन आ गई थी। दरअसल पूर्व में 'रीटÓ के लिए  मई के अंतिम सप्ताह में अधिसूचना जारी होनी थी। लेकिन अंतिम समय में खुलासा हुआ कि बोर्ड अधिनियम में भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित करने का प्रावधान  ही नहीं है। इसके लिए मंत्रिमंडल में प्रस्ताव पारित करने के बाद मामला राज्यपाल के पास भेजा गया। राज्यपाल ने भी शिक्षा बोर्ड अधिनियम में संशोधन करने का प्रस्ताव पास कर दिया है। इसके  बाद अब 'रीटÓ आयोजित करने का रास्ता साफ हो गया है। 

 नगर निकाय चुनाव समाप्त होते ही रीट प्रक्रिया प्रारंभ कर दी जाएगी। सितंबर में अधिसूचना जारी होगी। शिक्षा बोर्ड द्वारा परीक्षा आयोजित करने संबंधी विधिक अड़चन साफ हो गई है। राज्यपाल ने अधिनियम में संशोधन की स्वीकृति दे दी है। इस साल सरकारी विद्यालयों में प्रवेश नामांकन की रिकार्ड बढ़ोतरी को देखते हुए रीट के माध्यम से अध्यापकों के पदों पर भर्ती का आंकड़ा भी उसी अनुपात में बढऩे की संभावना है। 

प्रोफेसर वासुदेव देवनानी, शिक्षा राज्य मंत्री

 राज्य सरकार से निर्देश मिलते ही रीट की परीक्षा आयोजित कर ली जाएगी। शिक्षा बोर्ड स्तर पर परीक्षा की तैयारी कर ली है। 

प्रोफेसर बी.एल. चौधरी, अध्यक्ष, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान। 

2013 से नहीं हुई परीक्षा

कट ऑफ माक्र्स विवाद के चलते वर्ष 2013 में आरटेट के लिए आवेदन मांगने के बावजूद शिक्षा बोर्ड अंतिम समय में परीक्षा कराने से मुकर गया। दरअसल 2013 में विधानसभा चुनाव से पहले सुराज संकल्प यात्रा के दौरान मौजूदा मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने आरटेट को समाप्त कर नई प्रक्रिया प्रारंभ करने की चुनावी घोषणा की थी। 

चुनाव के बाद भाजपा सत्ता में आई तो शिक्षा बोर्ड ने भी आरटेट से हाथ खींच लिया। इसके बाद राज्य सरकार ने  आरटेट की  जगह अध्यापकों की भर्ती के लिए एक ही परीक्षा  रिक्रूटमेंट कम एलिजिब्लिटी एक्जॉम फॉर टीचर्स (रीट) की घोषणा कर दी।  राज्य सरकार फिलहाल जिलावार खाली पदों की संख्या की समीक्षा करा रही है।

Wednesday 29 July 2015

Home remedy - pipali (Ayurveda)

पिप्पली (Indian long pepper) -
पिप्पली के विभिन्न औषधीय गुण -

१- पिप्पली को पानी में पीसकर माथे पर लेप करने से सिर दर्द ठीक होता है |

२- पिप्पली और वच चूर्ण को बराबर मात्रा में लेकर ३ ग्राम की मात्रा में नियमित रूप से दो बार दूध या गर्म पानी के साथ सेवन करने से आधासीसी का दर्द ठीक होता है |

३- पिप्पली के १-२ ग्राम चूर्ण में सेंधानमक,हल्दी और सरसों का तेल मिलाकर दांत पर लगाने से दांत का दर्द ठीक होता है |

४- पिप्पली,पीपल मूल,काली मिर्च और सौंठ के समभाग चूर्ण को २ ग्राम की मात्रा में लेकर शहद के साथ चाटने से जुकाम में लाभ होता है |

५- पिप्पली चूर्ण में शहद मिलाकर प्रातः सेवन करने से,कोलेस्ट्रोल की मात्रा नियमित होती है तथा हृदय रोगों में लाभ होता है |

६-पिप्पली और छोटी हरड़ को बराबर-बररबर मिलाकर,पीसकर एक चम्मच की मात्रा में सुबह- शाम गुनगुने पानी से सेवन करने पर पेट दर्द,मरोड़,व दुर्गन्धयुक्त अतिसार ठीक होता है |

७- आधा चम्मच पिप्पली चूर्ण में बराबर मात्रा में भुना जीरा तथा थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर छाछ के साथ प्रातः खाली पेट सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है |

Data theft by pakistani hackers through calls


0092 ये नम्बर पाकिस्तान का कोड है. ये नंबर स्टार्टिंग है.. ex. 00923044164317 ऐसे नंबर है.. ये कॉल किसी भी हालत में रिसिव ना करे
पाकिस्तान वाले कॉल करके अपने मोबाइल का पूरा डाटा चुरा रहे है ..
आज CNX news में देखलो.. 
प्लीज msg ज्यादा से ज्यादा  फॉरवर्ड करे...

Issue by Indian Army...⚓