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Friday 6 March 2015

हम क्यों कहते हैं... होली है,होली है.......

आपके इस शुभ दिन के लिये:-
एक बात बताओ..........
होली के दिन हम क्यों कहते हैं...
होली है,होली है.......
जबकि दूसरा भी जानता है
होली है..........
सभी क्यों कहते हैं
होली है,होली है.......
है तो है.................
होली है....
फिर क्यों कहते हैं......
होली है,होली है.......
अब मैं भी कह देता हू
"होली है"
वस्त्र रंग चुके बहुत अब तक
मन रंग सको तो अब होली है
प्रेम से गले मिल सको किसी से तो होली है
प्रेम-रंग बरसा, द्वेष छोड़ सको तो होली है
पोँछ सको यदि आँसू किसी के तो होली है
दुश्मन बहुत हैँ, मित्र बना सको तो होली है
वीरान जिँदगी मेँ रंग भर सको तो होली है
आँसू रोक किसी का हाथ थाम सको तो होली है
उदास चेहरे पे मुस्कान ला सको तो होली है
अपनो को अपना सको तुम तो होली है
निश्छल प्रेम बिखेर सको तो होली है
जीवन मेँ सरल रह सको तो होली है
खुद भी मुस्कुरा सको तो तो होली है
तुम यदि मेरे हो सको तो तो होली है.
मौके मत ढूंढो......
बस खुश रहो तो होली है
होली है,होली है.....!!

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