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Wednesday 8 October 2014

पुरी में जगन्नाथ मंदिर के 8 अजूब

पुरी में जगन्नाथ मंदिर के 8 अजूबे इस प्रकार है।

1.मन्दिर के ऊपर झंडा हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराते हुए।

2.पुरी में किसी भी जगह से आप मन्दिर के ऊपर लगे सुदर्शन चक्र को देखेगे तो वह आपको सामने ही लगा दिखेगा।

3.सामान्य दिन के समय हवा समुद्र से जमीन की तरफ आती है, और शाम के दौरान इसके विपरीत, लेकिन पूरी में इसका उल्टा  होता है.
4.पक्षी या विमानों मंदिर के ऊपर उड़ते हुए नहीं पायेगें।

5.मुख्य गुंबद की छाया दिन के किसी भी समय अदृश्य है.

6.मंदिर के अंदर पकाने के लिए भोजन की मात्रा पूरे वर्ष के लिए  रहती है।  प्रसाद की एक भी मात्रा कभी भी यह व्यर्थ नहीं जाएगी, चाहे कुछ हजार लोगों से  20 लाख लोगों को खिला सकते हैं.

7. मंदिर में रसोई (प्रसाद)पकाने के लिए 7 बर्तन एक दूसरे पर रखा जाता है और लकड़ी पर पकाया जाता है. इस प्रक्रिया में शीर्ष बर्तन में सामग्री पहले पकती है फिर क्रमश: नीचे की तरफ  एक के बाद एक पकते जाती है।

8.मन्दिर के सिंहद्वार में पहला कदम  प्रवेश करने पर (मंदिर के अंदर से) आप सागर द्वारा निर्मित किसी भी ध्वनि नहीं सुन सकते. आप (मंदिर के बाहर से) एक ही कदम को पार करें जब आप इसे सुन सकते हैं. इसे शाम को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

साथ में यह भी जाने:-
मन्दिर का रसोई घर दुनिया का सबसे बड़ा रसोइ घर है।

प्रति दिन सांयकाल मन्दिर के ऊपर लगी ध्वजा को मानव द्वारा उल्टा चढ़ कर बदला जाता है।

मन्दिर का क्षेत्रफल चार लाख वर्ग फिट में है।
मन्दिर की ऊंचाई 214 फिट है।

विशाल रसोई घर में भगवान जगन्नाथ को चढ़ाने वाले महाप्रसाद को बनाने 500 रसोईये एवं 300 उनके सहयोगी काम करते है।
" जय जगन्नाथ
जय जय जगन्नाथ "
एक बात बोलू इंकार मत करना आपको आप जिसे चाहते हे उनकी कसम हे। शिव जी 5 नाम 

1"शिव शंकर"
2"भोले नाथ"
3"नील कंठ"
4"महारुद्र"
5"मृत्युंजय"

10 लोगो को सेंड करों ।आज  आपको गुड न्यूज़ मिलेगी,अगर पढ़कर अंजन बने रहे तो शानिवार तक कुछ ऐसा होगा जो कभी सोचा भी नहीं  ।

विज्ञान चालीसा

विज्ञान चालीसा"
जय न्यूटन विज्ञान के आगर,
गति खोजत ते भरि गये सागर ।
ग्राहम् बेल फोन के दाता,
जनसंचार के भाग्य विधाता ।
बल्ब प्रकाश खोज करि लीन्हा,
मित्र एडीशन परम प्रवीना ।
बायल और चाल्स ने जाना,
ताप दाब सम्बन्ध पुराना ।
नाभिक खोजि परम गतिशीला,
रदरफोर्ड हैं अतिगुणशीला ।
खोज करत जब थके टामसन,
तबहिं भये इलेक्ट्रान के दर्शन ।
जबहिं देखि न्यट्रोन को पाए,
जेम्स चैडविक अति हरषाये ।
भेद रेडियम करत बखाना,
मैडम क्यूरी परम सुजाना ।
बने कार्बनिक दैव शक्ति से,
बर्जीलियस के शुद्ध कथन से ।
बनी यूरिया जब वोहलर से,
सभी कार्बनिक जन्म यहीं से ।
जान डाल्टन के गूँजे स्वर,
आशिंक दाब के योग बराबर ।
जय जय जय द्विचक्रवाहिनी,
मैकमिलन की भुजा दाहिनी ।
सिलने हेतु शक्ति के दाता,
एलियास हैं भाग्यविधाता ।
सत्य कहूँ यह सुन्दर वचना, ल्यूवेन हुक की है यह रचना ।
कोटि सहस्र गुना सब दीखे,
सूक्ष्म बाल भी दण्ड सरीखे ।
देखहिं देखि कार्क के अन्दर,
खोज कोशिका है अति सुन्दर ।
काया की जिससे भयी रचना,
राबर्ट हुक का था यह सपना ।
टेलिस्कोप का नाम है प्यारा,
मुट्ठी में ब्रम्हाण्ड है सारा ।
गैलिलियो ने ऐसा जाना,
अविष्कार परम पुराना ।
विद्युत है चुम्बक की दाता,
सुंदर कथन मनहिं हर्षाता ।
पर चुम्बक से विद्युत आई,
ओर्स्टेड की कठिन कमाई ।
ओम नियम की कथा सुहाती,
धारा विभव है समानुपाती ।
एहि सन् उद्गगम करै विरोधा,
लेन्ज नियम अति परम प्रबोधा ।
चुम्बक विद्युत देखि प्रसंगा,
फैराडे मन उदित तरंगा ।
धारा उद्गगम फिरि मन मोहे,
मान निगेटिव फ्लक्स के होवे ।
जय जगदीश सबहिं को साजे,
वायरलेस अब हस्त बिराजै ।
अलेक्जेंडर फ्लेमिंग आए,
पैसिंलिन से घाव भराये ।
आनुवांशिकी का यह दान,
कर लो मेण्डल का सम्मान ।
डा रागंजन सुनहु प्रसंगा,
एक्स किरण की उज्ज्वल गंगा ।
मैक्स प्लांक के सुन्दर वचना,
क्वाण्टम अंक उन्हीं की रचना ।
फ्रैंकलिन की अजब कहानी,
देखि पतंग प्रकृति हरषानी ।
डार्विन ने यह रीति बनाई,
सरल जीव से सॄष्टि रचाई ।
परि प्रकाश फोटान जो धाये,
आइंस्टीन देखि हरषाए ।
षष्ठ भुजा में बेंजीन आई,
लगी केकुले को सुखदाई ।
देखि रेडियो मारकोनी का,
मन उमंग से भरा सभी का ।
कृत्रिम जीन का तोहफा लैके,
हरगोविंद खुराना आए ।
ऊर्जा की परमाणु इकाई,
डॉ भाषा के मन भाई ।
थामस ग्राहम अति विख्याता,
गैसों के विसरण के ज्ञाता ।

जो यह पढ़े विज्ञान चालीसा, देइ उसे विज्ञान आशीषा ।
श्री "निशीथ" अब इसके चेरा, मन मस्तिष्क में इसका डेरा ।

Saturday 4 October 2014

जय हो रंगीले राजस्थान की

कौन करेगा मेरे राजस्थान की बराबरी?
.
होलेण्ड जितने बच्चे तो
सैकैण्ड्री मे फेल हो जाते हैं!
.
पोलेण्ड की पोपुलेशन से ज्यादा
कच्छे सेल हो जाते हैं!
.
राजस्थान दुबई से दो गुणा और
नार्वे से चार गुणा बङा है!
.
आस्ट्रिया से आठ गुणा
स्वीडन से साठ गुणा बडा है!
.
बरमूडा, जर्शी, जाम्बिया और
टाँगो से बहुत बङा है!
.
मेक्सिको से जस्ट आगे
ब्राजील के पीछे खडा है!
.
आई मीन दुनिया के
आधे से ज्यादा देशों से बडा है!
.
सम्पूर्ण विश्व के मानचित्र पर
त्याग और तपस्या का
एक गौरवशाली इतिहास लेकर खडा है।
.
जिसकी बलिदानी गाथा गाना
किसी कवि के वश की बात नहीं।
.
हल्दीधाटी पर कलम चले,
यह कविता की औकात नहीं!
.
यूँ घास की रोटी
किसी ग्रंथ पर लिखना भी समझौता है।
.
जौहर की ज्वाला कागज पर
यह आगजनी को न्यौता है।
.
कैशरिया लिपी वीरों की,
जहाँ रक्तिम वर्ण तराशा है।
.
बाँकडली मूँछे सिर्फ समझती,
तलवारों की भाषा है।
.
सिर्फ मौत का वरण यहाँ
मनहरण छंद कहलाता है।
.
हर जख्म यहाँ पर अलँकार
बलिदान बंध कहलाता है।
.
विशेष व्याकरण वीरों का,
है शब्द कोष मे केवल जय!
.
विराम चिन्ह सिर शत्रु के,
प्रत्यय का मतलब है प्रलय!
.
संधि ना सीखी सपने में और
समास द्वंद्व के सीखे हैं!
.
शुद्धि सदा वचन की और
पर्याय युध्द के लिखे हैं!
.
पन्ना पर पन्ना कौन भरे,
स्याही से चन्दन कौन लिखे!
.
बिन कलम झुकाये महाराणा का
अभिनन्दन कौन लिखे!
.
मीरां की श्रद्धा कौन लिखे!
हाङा की निष्ठा कौन लिखे!
.
हठ हम्मीर, दुर्गा-साँगा की
प्राण प्रतिष्ठा कौन लिखे!
.
कौन लिखे गौरा बादल!
कौन लिखे सैनिक का शव!
.
कौन लिखे शैतान सिंह और
कौन लिखे जेपी यादव!
.
चेतावनी के चुँगटियो से चेत गया
वो राजस्थान !
.
शेरशाह को मुठ्ठी बाजरा रेत गया
वो राजस्थान !
.
चार बाँस चोबीस गज से भेद गया
वो राजस्थान !
.
पीथल रा आखर राणा का मन छेद गया
वो राजस्थान! Jai ho mere rangeele rajasthan
ki.

Friday 3 October 2014

कृपया भारतीय त्योहारों के अपमान करने से बचें

आजकल एक बड़ा खतरनाक प्रचलन चला हे हिन्दुओ में वह यह की जेसे ही कोई त्यौहार आनेवाला होता हे खुद हिन्दू ही उस त्यौहार को ऐसे पेश करते हे जेसे वो उनके ऊपर बोझ हे :

1) रक्षाबंधन पर मुर्खता :
कुछ हिन्दू ऐसे मेसेज भेजते हे की ||कोई भी अनजान चीज को हाथ नहीं लगाये उसमे राखी हो सकती हे !! ||

अरे कूल दूध !! तुम्हारे लिए अपनी बहन बोझ बन रही हे तुम तो राखी का मजाक बना बेठे हो तुम क्या अपनी माँ बहन की रक्षा करोगे। राखी एक रक्षा सूत्र हे अगर तुम भूल रहे हो तो याद दिलाऊ राजस्थान में औरतो ने अपनी रक्षा के लिए जोहर कर आग में कूद जाती थी।

रानी पद्मिनी के साथ 36000 औरते जोहर हो गयी थी । एक महिला की रक्षा तुमे मजाक लगती हे ???

2) दशहरा पर मुर्खता :
यह मेसेज आजकल खूब प्रचलन में हे की || रावण सीता जी को उठा ले गया हे और राम जी लंका पर चढ़ाई करने जा रहे हे उसके लिय बंदरो की आवश्यकता हे जो भी मेसेज पढ़े तुरंत निकल जाये ||

वाह !!! आज सीता अपहरण हिन्दुओ के लिए मजाक का विषय हो गया हे। जोरू का गुलाम बनना गर्व का विषय राम का सेनिक बनना मजाक हो रहा हे !!!

दूसरा जोक || रावण को कोर्ट ले जाया गया वह कहा गया की गीता पर हाथ रख कसम खाओ तब रावण कहता हे सीता पर हाथ रखा उसमे इतना बवाल हो गया गीता पर रखा तो......||

यह बड़े शर्म की बात हे की अग्नि परीक्षा देने के बाद भी आज हिन्दू सीता माता के चरित्र पर सवाल उठाने को मजाक समझते हे। कभी घर पर बेठी माँ से पुछो पिताजी कहा कहा हाथ लगाते हे अगर नहीं तो तुम्हे किसने हक दिया समस्त हिंदुत्व की माता पर हाथ रखने को मजाक बनाने का ????

एक हमारा मीडिया पहले ही हिन्दू त्योहारों के पीछे पड़ा हे होली पर पानी बर्बाद होता हे पर ईद पर जानवरों की क़ुरबानी धर्म हे

दिवाली पर पटाके छोड़ना प्रदुषण हे पर इसाई नव वर्ष पर आतिशबाजी जश्न हे।

नवरात्री पर 10 बजे के बाद गरबा ध्वनी प्रदुषण हो जाती हे वही मोहरम की रात ढोल ताशे कुटना और नववर्ष की रात जानवरों की तरह 12 बजे तक बाजे बजाना धर्म हे !!!

करवा चौथ और नाग पंचमी पाखंड हे वही इसा के पुनः मरकर लोटना गुड फ्राइडे विज्ञानिक हे !!!

हिन्दुओ को यह लगता हे की अपने पर्व का मजाक बनाना सही हे तो यह गलत हे।

हम राखी और सीता अपहरण पर मजाक करते हे इसके पीछे समाज की मानसिकता बनती हे। लोग लड़की की रक्षा से कतराते ह क्यों की राखी को हमने मजाक बना दिया हे हमने सीता माता जेसी पवित्र माँ का मजाक बना दिया हे।

आज हमने समाज में महिला का मजाक बना दिया हे उसकी रक्षा और उसकी अस्मिता एक जोक बनकर हमारा हास्य कर रही हे इससे पता चलता हे हम कितने धार्मिक हे।

Wednesday 1 October 2014

Jokes: क्या चलेंगे भारतीय नरक में

एक बार एक व्यक्ति मरकर नर्क में

पहुँचा, तो वहाँ उसने देखा कि प्रत्येक

व्यक्ति को किसी भी देश के नर्क में जाने

की छूट है । उसने सोचा,

चलो अमेरिका वासियों के नर्क में जाकर देखें,

जब वह वहाँ पहुँचा तो द्वार पर पहरेदार से

उसने पूछा - क्यों भाई अमेरिकी नर्क में

क्या-क्या होता है ?

पहरेदार बोला - कुछ खास नहीं, सबसे पहले आपको एक इलेक्ट्रिक

चेयर पर एक घंटा बैठाकर करंट दिया जायेगा,

फ़िर एक कीलों के बिस्तर पर आपको एक घंटे

लिटाया जायेगा, उसके बाद एक दैत्य आकर

आपकी जख्मी पीठ पर पचास कोडे

बरसायेगा...  ! यह सुनकरवह

व्यक्ति बहुत घबराया और उसने रूस के नर्क

की ओर रुख किया, और वहाँ के पहरेदार से

भी वही पूछा, रूस के पहरेदार ने भी लगभग

वही वाकया सुनाया जो वह अमेरिका के नर्क

में सुनकर आया था । फ़िर वह व्यक्ति एक-

एक करके सभी देशों के नर्कों के दरवाजे

जाकर आया, सभी जगह उसे  भयानक किस्से सुनने को मिले । अन्त में

जब वह एक जगह पहुँचा,

देखा तो दरवाजे पर लिखा था "भारतीय नर्क" और उस दरवाजे के बाहर उस नर्क में

जाने के लिये लम्बी लाईन लगी थी, लोग भारतीय नर्क में जाने को उतावले हो रहे थे,

उसने सोचा कि जरूर यहाँ सजा कम मिलती होगी... तत्काल उसने पहरेदार से

पूछा कि सजा क्या

है ? पहरेदार ने

कहा - कुछ खास नहीं...सबसे पहले

आपको एक इलेक्ट्रिक चेयर पर एक

घंटा बैठाकर करंट दिया जायेगा, फ़िर एक

कीलों के बिस्तर पर आपको एक घंटे लिटाया जायेगा, उसके बाद एक दैत्य आकर

आपकी जख्मी पीठ पर पचास कोडे

बरसायेगा...  ! चकराये हुए व्यक्ति ने

उससे पूछा - यही सब तो बाकी देशों के नर्क

में भी हो रहा है, फ़िर यहाँ इतनी भीड

क्यों है ? पहरेदार बोला - इलेक्ट्रिक चेयर

तो वही है, लेकिन बिजली नहीं है, कीलों वाले

बिस्तर में से कीलें कोई निकाल ले गया है,

और कोडे़ मारने वाला दैत्य

सरकारी कर्मचारी है, आता है, दस्तखत

करता है और चाय-नाश्ता करने

चला जाता है...और कभी गलती से

जल्दी वापस आ भी गया तो एक-दो कोडे़

मारता है और पचास लिख देता है...चलो आ

जाओ अन्दर !!!

Tuesday 23 September 2014

कृष्णा अर्जुन और निर्धन ब्राह्मण

एक बार श्री कृष्ण और अर्जुन
भ्रमण पर निकले तो उन्होंने मार्ग में एक निर्धन
ब्राहमण को भिक्षा मागते देखा अर्जुन को उस पर
दया आ गयी और उन्होंने उस
ब्राहमण को स्वर्ण मुद्राओ से
भरी एक पोटली दे
दी जिसे पाकर ब्राहमण
ख़ुशी ख़ुशी घर लौट
चला पर राह में एक लुटेरे ने उससे
वो पोटली छीन
ली !
♡♡ब्राहमण दुखी होकर फिर से
भिक्षावृत्ति में लग गया अगले दिन फिर अर्जुन
की दृष्टि जब उस ब्राहमण पर
पड़ी तो उन्होंने उससे इसका कारण
पूछा ब्राहमण की व्यथा सुनकर उन्हें
फिर से उस पर दया आ गयी और इस
बार उन्होंने ब्राहमण को एक माणिक दिया !
♡♡ब्राहमण उसे लेकर घर पंहुचा और
चोरी होने के डर से उसे एक घड़े में
छिपा दिया और दिन भर का थका मांदा होने के कारण
उसे नींद आ गयी इस
बीच ब्राहमण
की स्त्री उस घड़े
को लेकर नदी में जल लेने
चली गयी और जैसे
ही उसने घड़े को नदी में
डुबोया वह माणिक भी जल
की धरा के साथ बह गया !
♡♡ब्राहमण को जब यह बात
पता चली तो अपने भाग्य
को कोसता हुआ वह फिर भिक्षावृत्ति में लग गया
♡♡अर्जुन और श्री कृष्ण ने जब
फिर उसे इस दरिद्र अवस्था में उसे देखा तो जाकर
सारा हाल मालूम किया इस पर अर्जुन
भी निराश हुए मन की मन
सोचने लगे इस अभागे ब्राहमण के
जीवन में कभी सुख
नहीं आ सकता !
♡♡अब यहाँ से प्रभु
की लीला प्रारंभ हुई
उन्होंने उस ब्राहमण को दो पैसे दान में दिए !
♡♡तब अर्जुन ने उनसे पुछा “प्रभु
मेरी दी मुद्राए और माणिक
भी इस अभागे
की दरिद्रता नहीं मिटा सके
तो इन दो पैसो से इसका क्या होगा” यह सुनकर
प्रभु बस मुस्कुरा भर दिए और अर्जुन से उस
ब्राहमण के पीछे जाने को कहा !
♡♡रास्ते में ब्राहमण सोचता हुआ
जा रहा था कि दो पैसो से तो एक व्यक्ति के लिए
भी भोजन
नहीं आएगा प्रभु ने उसे इतना तुच्छ
दान क्यों दिया !
♡♡तभी उसे एक मछुवारा दिखा जिसके
जाल में एक मछली तड़प
रही थी ब्राहमण
को उस मछली पर दया आ
गयी उसने सोचा इन दो पैसो से पेट
कि आग
तो बुझेगी नहीं क्यों न इस
मछली के प्राण
ही बचा लिए जाये यह सोचकर उसने
दो पैसो में उस मछली का सौदा कर
लिया और मछली को अपने कमंडल में
डाल दिया कमंडल के अन्दर जब
मछली छटपटई तो उसके मुह से
माणिक निकल पड़ा ब्राहमण ख़ुशी के
मारे चिल्लाने “लगा मिल गया मिल गया ”..!!!
♡♡तभी भाग्यवश वह
लुटेरा भी वहा से गुजर रहा था जिसने
ब्राहमण की मुद्राये
लूटी थी उसने
सोचा कि ब्राहमण उसे पहचान गया और अब
जाकर राजदरबार में उसकी शिकायत
करेगा इससे डरकर वह ब्राहमण से रोते हुए
क्षमा मांगने लगा और उससे लूटी हुई
सारी मुद्राये भी उसे वापस
कर दी यह देख अर्जुन प्रभु के आगे
नतमस्तक हुए बिना नहीं रह सके !
मोरल...जब आप दूसरे का भला कर रहे होते हैं,
तब आप ईश्वर का कार्य कर रहे होते हैं।

Saturday 20 September 2014

प्रेरक प्रसंग : पर्स में फोटो


यात्रियों से खचाखच भरी ट्रेन में टी.टी.ई.
को एक पुराना फटा सा पर्स मिला। उसने
पर्स को खोलकर यह पता लगाने की कोशिश
की कि वह किसका है। लेकिन पर्स में
ऐसा कुछ नहीं था जिससे कोई सुराग मिल
सके। पर्स में कुछ पैसे और भगवान श्रीकृष्ण
की फोटो थी। फिर उस टी.टी.ई. ने हवा में
पर्स हिलाते हुए पूछा -"यह किसका पर्स है?"
एक बूढ़ा यात्री बोला -"यह मेरा पर्स है। इसे
कृपया मुझे दे दें।"टी.टी.ई. ने कहा -"तुम्हें यह
साबित करना होगा कि यह पर्स
तुम्हारा ही है। केवल तभी मैं यह पर्स तुम्हें
लौटा सकता हूं।"उस बूढ़े व्यक्ति ने दंतविहीन
मुस्कान के साथ उत्तर दिया -"इसमें भगवान
श्रीकृष्ण की फोटो है।"टी.टी.ई. ने
कहा -"यह कोई ठोस सबूत नहीं है।
किसी भी व्यक्ति के पर्स में भगवान
श्रीकृष्ण की फोटो हो सकती है। इसमें
क्या खास बात है? पर्स में
तुम्हारी फोटो क्यों नहीं है?"
बूढ़ा व्यक्ति ठंडी गहरी सांस भरते हुए
बोला -"मैं तुम्हें बताता हूं कि मेरा फोटो इस
पर्स में क्यों नहीं है। जब मैं स्कूल में पढ़
रहा था, तब ये पर्स मेरे पिता ने मुझे
दिया था। उस समय मुझे जेबखर्च के रूप में
कुछ पैसे मिलते थे। मैंने पर्स में अपने माता-
पिता की फोटो रखी हुयी थी।
जब मैं किशोर अवस्था में पहुंचा, मैं
अपनी कद-काठी पर मोहित था। मैंने पर्स में
से माता-पिता की फोटो हटाकर
अपनी फोटो लगा ली। मैं अपने सुंदर चेहरे और
काले घने बालों को देखकर खुश हुआ
करता था। कुछ साल बाद
मेरी शादी हो गयी। मेरी पत्नी बहुत सुंदर
थी और मैं उससे बहुत प्रेम करता था। मैंने
पर्स में से अपनी फोटो हटाकर
उसकी लगा ली। मैं घंटों उसके सुंदर चेहरे
को निहारा करता।
जब मेरी पहली संतान का जन्म हुआ, तब मेरे
जीवन का नया अध्याय शुरू हुआ। मैं अपने
बच्चे के साथ खेलने के लिए काम पर कम समय
खर्च करने लगा। मैं देर से काम पर जाता ओर
जल्दी लौट आता। कहने की बात नहीं, अब
मेरे पर्स में मेरे बच्चे की फोटो आ गयी थी।"
बूढ़े व्यक्ति ने डबडबाती आँखों के साथ
बोलना जारी रखा -"कई वर्ष पहले मेरे
माता-पिता का स्वर्गवास हो गया। पिछले
वर्ष मेरी पत्नी भी मेरा साथ छोड़ गयी।
मेरा इकलौता पुत्र अपने परिवार में व्यस्त है।
उसके पास मेरी देखभाल का क्त नहीं है।
जिसे मैंने अपने जिगर के टुकड़े की तरह
पाला था, वह अब मुझसे बहुत दूर हो चुका है।
अब मैंने भगवान कृष्ण की फोटो पर्स में
लगा ली है। अब जाकर मुझे एहसास हुआ है
कि श्रीकृष्ण ही मेरे शाश्वत साथी हैं। वे
हमेशा मेरे साथ रहेंगे। काश मुझे पहले ही यह
एहसास हो गया होता। जैसा प्रेम मैंने अपने
परिवार से किया, वैसा प्रेम यदि मैंने ईश्वर के
साथ किया होता तो आज मैं
इतना अकेला नहीं होता।"
टी.टी.ई. ने उस बूढ़े व्यक्ति को पर्स
लौटा दिया। अगले स्टेशन पर ट्रेन के रुकते
ही वह टी.टी.ई. प्लेटफार्म पर बने बुकस्टाल
पर पहुंचा और विक्रेता से
बोला -"क्या तुम्हारे पास भगवान की कोई
फोटो है? मुझे अपने पर्स में रखने के लिए
चाहिए।


Tuesday 16 September 2014

आयुर्वेदिक घरेलु नुस्खे : Ayurvedic home remedies

Ayurvedic duha..

आयुर्वेदिक दोहे
१Ⓜ
दही मथें माखन मिले,
केसर संग मिलाय,
होठों पर लेपित करें,
रंग गुलाबी आय..
२Ⓜ
बहती यदि जो नाक हो,
बहुत बुरा हो हाल,
यूकेलिप्टिस तेल लें,
सूंघें डाल रुमाल..

३Ⓜ
अजवाइन को पीसिये ,
गाढ़ा लेप लगाय,
चर्म रोग सब दूर हो,
तन कंचन बन जाय..

४Ⓜ
अजवाइन को पीस लें ,
नीबू संग मिलाय,
फोड़ा-फुंसी दूर हों,
सभी बला टल जाय..

५Ⓜ
अजवाइन-गुड़ खाइए,
तभी बने कुछ काम,
पित्त रोग में लाभ हो,
पायेंगे आराम..

६Ⓜ
ठण्ड लगे जब आपको,
सर्दी से बेहाल,
नीबू मधु के साथ में,
अदरक पियें उबाल..

७Ⓜ
अदरक का रस लीजिए.
मधु लेवें समभाग,
नियमित सेवन जब करें,
सर्दी जाए भाग..

८Ⓜ
रोटी मक्के की भली,
खा लें यदि भरपूर,
बेहतर लीवर आपका,
टी० बी० भी हो दूर..

९Ⓜ
गाजर रस संग आँवला,
बीस औ चालिस ग्राम,
रक्तचाप हिरदय सही,
पायें सब आराम..

१०Ⓜ
शहद आंवला जूस हो,
मिश्री सब दस ग्राम,
बीस ग्राम घी साथ में,
यौवन स्थिर काम..

११Ⓜ
चिंतित होता क्यों भला,
देख बुढ़ापा रोय,
चौलाई पालक भली,
यौवन स्थिर होय..

१२Ⓜ
लाल टमाटर लीजिए,
खीरा सहित सनेह,
जूस करेला साथ हो,
दूर रहे मधुमेह..

१३Ⓜ
प्रातः संध्या पीजिए,
खाली पेट सनेह,
जामुन-गुठली पीसिये,
नहीं रहे मधुमेह..

१४Ⓜ
सात पत्र लें नीम के,
खाली पेट चबाय,
दूर करे मधुमेह को,
सब कुछ मन को भाय..

१५Ⓜ
सात फूल ले लीजिए,
सुन्दर सदाबहार,
दूर करे मधुमेह को,
जीवन में हो प्यार..

१६Ⓜ
तुलसीदल दस लीजिए,
उठकर प्रातःकाल,
सेहत सुधरे आपकी,
तन-मन मालामाल..

१७Ⓜ
थोड़ा सा गुड़ लीजिए,
दूर रहें सब रोग,
अधिक कभी मत खाइए,
चाहे मोहनभोग.

१८Ⓜ
अजवाइन और हींग लें,
लहसुन तेल पकाय,
मालिश जोड़ों की करें,
दर्द दूर हो जाय..

१९Ⓜ
ऐलोवेरा-आँवला,
करे खून में वृद्धि,
उदर व्याधियाँ दूर हों,
जीवन में हो सिद्धि..

२०Ⓜ
दस्त अगर आने लगें,
चिंतित दीखे माथ,
दालचीनि का पाउडर,
लें पानी के साथ..

२१Ⓜ
मुँह में बदबू हो अगर,
दालचीनि मुख डाल,
बने सुगन्धित मुख, महक,
दूर होय तत्काल..

२२Ⓜ
कंचन काया को कभी,
पित्त अगर दे कष्ट,
घृतकुमारि संग आँवला,
करे उसे भी नष्ट..

२३Ⓜ
बीस मिली रस आँवला,
पांच ग्राम मधु संग,
सुबह शाम में चाटिये,
बढ़े ज्योति सब दंग..

२४Ⓜ
बीस मिली रस आँवला,
हल्दी हो एक ग्राम,
सर्दी कफ तकलीफ में,
फ़ौरन हो आराम..

२५Ⓜ
नीबू बेसन जल शहद ,
मिश्रित लेप लगाय,
चेहरा सुन्दर तब बने,
बेहतर यही उपाय..

२६.Ⓜ
मधु का सेवन जो करे,
सुख पावेगा सोय,
कंठ सुरीला साथ में ,
वाणी मधुरिम होय.

२७.Ⓜ
पीता थोड़ी छाछ जो,
भोजन करके रोज,
नहीं जरूरत वैद्य की,
चेहरे पर हो ओज..

२८Ⓜ
ठण्ड अगर लग जाय जो
नहीं बने कुछ काम,
नियमित पी लें गुनगुना,
पानी दे आराम..

२९Ⓜ
कफ से पीड़ित हो अगर,
खाँसी बहुत सताय,
अजवाइन की भाप लें,
कफ तब बाहर आय..

३०Ⓜ
अजवाइन लें छाछ संग,
मात्रा पाँच गिराम,
कीट पेट के नष्ट हों,
जल्दी हो आराम..

३१Ⓜ
छाछ हींग सेंधा नमक, x
दूर करे सब रोग, जीरा
उसमें डालकर,
पियें सदा यह भोग..।

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Sunday 14 September 2014

भोजन की स्वास्थकर आदतें : Health tips - Eating habbits

कुछ साधारण लेकिन महत्वपूर्ण ध्यान रखने योग्य बातें :

1) हमेशा पानी को घूट-घूट करके चबाते हुये पिये और खाने को इतना चबाये की पानी बन जाए। किसी ऋषि ने कहा है की “ खाने को पियो और पीने को खाओ “

2) खाने के 40 मिनट पहले और 60-90 मिनट के बाद पानी पिये और फीृज का ठंडा पानी, बर्फ डाला हुआ पानी जीवन मे कभी भी नही पिये गुनगुना या मिट्टी के घडें का पानी पिये ।

3)सुबह जगने के बाद बिना कुल्ला करे 2 से 3 गिलास पानी सुखआसन मे बैठकर पानी घूटं-घूटं करके पिये यानी उषा पान करे ।

4) खाने के साथ भी कभी पानी न पिये। जरूरत पड़े तो सुबह ताजा फल का रस, दोपहर मे छाछं, और रय   घ्ज्ञ्घ  य666 6यययव् व्6गग6य  6 गग ग66  य 6य6  य6 गय6 यी  666 य6 व्व्यय्यात्रि मे गर्म दूध का उपयोग कर सकते हैं ।

5) भोजन हमेशा सुखआसन मे बैठकर करे और ध्यान खाने पर ही रहे, मतलब टेलिविजन देखते, गाने सुनते हुये, पढ़ते हुये, बातचीत करते हुये कभी भी भोजन न करे ।

6) हमेशा बैठ कर खाना खाये और पानी पिये। अगर संभव हो तो सुखासन, सिद्धासन मे बेठ कर ही खाना खाये।

7) फ्रीज़ मे रखा हुआ भोजन न करें या उसे साधारण तापमान में आने पर ही खाये दुबारा कभी भी गर्म ना करे ।

8) गूँथ कर रखे हुये आटे की रोटी कभी न खाये, जैसे-कुछ लोग सुबह मे ही आटा गूँथ कर रख देते है और शाम को उसी से बनी हुई चपाती खा लेते है जो कि स्वास्थ के लिए हानिकारक है। ताजा बनाए ताजा खाये।

9) खाना खाने के तुरंत बाद पेशाब जरूर करे ऐसा करने से डायबिटज होने की समभावना कम होती हैं    

10) मौसम पर आने वाले फल, और सब्जियाँ ही उत्तम है इसलिए बिना मौसम वाली सब्जियाँ या फल न खाये।

11) सुबह मे पेट भर भोजन करें। जबकि रात मे बहुत हल्का भोजन करें।

12) रात को खीरा, दही और कोई भी वात उत्पन्न करने वाली चीज न खाये।

13) दही के साथ उड़द की दाल न खाये। जैसे–दही और उड़द की दाल का बना हुआ भल्ला।

14) दूध के साथ नमक या नमक की बनी कोई भी चीज न खाये क्योंकि ये दोनों एक दूसरे के प्रतिकूल प्रभाव डालती है।

15) दूध से बनी कोई भी दो चीजे एक साथ न खाएं।

16) कोई भी खट्टी चीज दूध के साथ न खाये सिर्फ एक खा सकते है आँवला। खट्टे आम का शेक न पिये केवल मीठे पके हुए आम का ही शेक पीये ।

17) कभी भी घी और शहद का उपयोग एक साथ न करे क्योंकि दोनों मिलकर विष बनाते है।

18) खाना भूख से कम ही खाये। जीने के लिए खाये खाने के लिए न जिये।

19) रिफाइण्ड तेल जहर हैं आप हमेशा कच्ची घाणी का सरसो, तिल या मूगंफली का तेल ही उपयोग करे और जीवन मे हाटॅ टेक व जोडो के दर्द से बचे  ।

20) तला, और मसालेयुक्त खाना खाने से बचे। अगर ज्यादा ही मन हो तो सुबह मे खाये रात मे  कभी भी नहीं।

21) खाने मे गुड या मिस्री का प्रयोग करें, चीनी के प्रयोग स बचें।

22) नमक का अधिक सेवन न करें। आयोडिन युक्त समुद्री नमक का उपयोग बिल्कुल भी नही करे  सेधां, काला या  डली वाला नमक इस्तेमाल करें।

23) मेदा, नमक, और चीनी ये तीनों सफ़ेद जहर है इनके प्रयोग से बचें।

24) हमेशा साधारण पानी से नहाएँ और पहले सर पर पानी डाले फिर पेरो पर, और अगर गरम से नहाओ तो हमेशा पहले पैरों पर फिर सर पर पानी डालना चाइये।

25) हमेशा पीठ को सीधी रख कर बेठे।

26) सर्दियों मे होंट के फटने से बचने के लिए नहाने से पहले नाभि मे सरसों के तेल लगाये । जबरदस्त लाभ मिलता है।

27) शाम के खाने के बाद 2 घंटे तक न सोये 5 से 10 मिनट वज्रासन मे बेठे 1000 कदम वाक जरूर करे ।

28) खाना हमेशा ऐसी जगह पकाए जहां वायु और सूर्य दोनों का स्पर्श खाने को मिल सके।

29)  कूकर मे खाना न पकाए बल्कि किसी खुले बर्तन मे बनाए
1. माँ से बढकर कोई महान नही है।

2. पिता से बढकर कोई मार्गदर्शक नही है।

3. गुरु से बढकर कोई ग्यानी नही है।

4.भाई से बढकर कोई भरोसेमंद नही है।

5. बहन से बढकर कोई रिश्ता नही है।

6. पत्नि से बढकर कोई जीवन साथी नही है।

7. पुत्र से बढकर कोई सहारा नही है।

8. पुत्री से बढकर कोई सेवा करने वाला नही है।

9. मित्रता से बढकर कोई प्रेम नही है।

बस एक ही वजह है
इन रिश्तो के बिगडने की ''व्यक्तिगत स्वार्थ''।

''व्यक्तिगत स्वार्थ'' से उपर उठकर सम्बन्धो को नयी ''दिशा'' देकर अपने जीवन को उच्च, सरल व धन्य बनाओ।