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Wednesday 28 January 2015

Hindi poem on teacher specially for teachers day

सत्य     शिक्षक    सत्य
शिक्षक की गोद में उत्थान पलता है।
सारा जहां शिक्षक के पिछे ही चलता है।
शिक्षक का बोया हुआ पेड़ बनता है।
वही पेड़ हजारो बीज जनता है।
शिक्षक काल की गति को मोड़ सकता है।
शिक्षक धरा से अम्बर को जोड़ सकता है।
शिक्षक की महिमा महान होती है।
शिक्षक बिन अधूरी हूँ वशुन्धरा कहती है।
याद रखो चाणक्य ने इतिहास बना डाला था।
क्रूर मगध राजा को मिटटी में मिला डाला था।
बालक चन्द्रगुप्त को चक्रवर्ती सम्राट बनाया था।
एक शिक्षक ने अपना लोहा मनवाया था।
संदीपनी से गुरु सदियों से होते आये है।
कृष्ण जैसे नन्हे नन्हे बिज बोते आये है।
शिक्षक से ही अर्जुन और युधिष्ठिर जैसे नाम है।
शिक्षक की निंदा करने से दुर्योधन बदनाम है।
शिक्षक की ही दया दृष्टि से बालक राम बन जाते है।
शिक्षक की अनदेखी से वो रावण भी कहलाते है।
हम सब ने भी शिक्षक बनने का सुअवसर पाया है।
बहुत बड़ी जिम्मेदारी को हमने गले लगाया है।
आओ हम संकल्प करे की अपना फ़र्ज निभायेगे।
अपने प्यारे भारत को हम जगतगुरु बनायेगे।
अपने शिक्षक होने का हरपल अभिमान करेगे।
इस समाज में हम भी अपना शिक्षा दान 

शिक्षको को समर्पित कविता।
माना की अँधेरा घना है।
पर दीप जलाना कहा मना है।

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