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Monday 12 January 2015

Essay- Swami vivekanand स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानन्द वेदान्त के विख्यात और
प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम
नरेन्द्र नाथ दत्त था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में
सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत
की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। भारत
का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन अमेरिका और
यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्द की वक्तृता के
कारण ही पहुँचा। उन्होंने रामकृष्ण मिशन
की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है। वे
रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। उन्हें प्रमुख रूप से
उनके भाषण की शुरुआत "मेरे अमरीकी भाइयो एवं बहनों" के
साथ करने के लिये जाना जाता है। उनके संबोधन के इस
प्रथम वाक्य ने सबका दिल जीत लिया था।
Quote 1: उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक
लक्ष्य ना प्राप्त हो जाये।
Quote 2: उठो मेरे शेरो, इस भ्रम को मिटा दो कि तुम
निर्बल हो , तुम एक अमर आत्मा हो, स्वच्छंद जीव हो,
धन्य हो, सनातन हो , तुम तत्व नहीं हो , ना ही शरीर हो ,
तत्व तुम्हारा सेवक है तुम तत्व के सेवक नहीं हो।
Quote 3: ब्रह्माण्ड कि सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं।
वो हमीं हैं जो अपनी आँखों पर हाँथ रख लेते हैं और फिर रोते
हैं कि कितना अन्धकार है!
Quote 4: जिस तरह से विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न धाराएँ
अपना जल समुद्र में मिला देती हैं ,उसी प्रकार मनुष्य
द्वारा चुना हर मार्ग, चाहे अच्छा हो या बुरा भगवान तक
जाता है।
Quote 5: किसी की निंदा ना करें. अगर आप मदद के लिए
हाथ बढ़ा सकते हैं, तो ज़रुर बढाएं. अगर नहीं बढ़ा सकते,
तो अपने हाथ जोड़िये, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये,
और उन्हें उनके मार्ग पे जाने दीजिये।
Quote 6: कभी मत सोचिये कि आत्मा के लिए कुछ
असंभव है. ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है. अगर कोई पाप
है, तो वो यही है; ये कहना कि तुम निर्बल हो या अन्य
निर्बल हैं।
Quote 7: अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे,
तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा, ये सिर्फ बुराई का एक ढेर
है, और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर
है.
Quote 8: जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो,
ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिये,
नहीं तो लोगो का विश्वास उठ जाता है।
Quote 9: उस व्यक्ति ने अमरत्त्व प्राप्त कर लिया है,
जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता।
Quote 10: हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है,
इसलिए इस बात का ध्यान रखिये कि आप क्या सोचते हैं।
शब्द गौण हैं. विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं।
Quote 11: जब तक आप खुद पे विश्वास नहीं करते तब
तक आप भागवान पे विश्वास नहीं कर सकते।
Quote 12: सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है,
फिर भी हर एक सत्य ही होगा।
Quote 13: विश्व एक व्यायाम शाला है जहाँ हम खुद
को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।
Quote 14: जिस दिन आपके सामने कोई समस्या न आये -
आप यकीन कर सकते है की आप गलत रस्ते पर सफर कर रहे
है।
Quote 15: यह जीवन अल्पकालीन है, संसार
की विलासिता क्षणिक है, लेकिन जो दुसरो के लिए जीते है, वे
वास्तव में जीते है।
Quote 16: एक शब्द में, यह आदर्श है कि तुम
परमात्मा हो।
Quote 17: भगवान् की एक परम प्रिय के रूप में
पूजा की जानी चाहिए , इस या अगले जीवन की सभी चीजों से
बढ़कर।
Quote 18 : यदि स्वयं में विश्वास करना और अधिक
विस्तार से पढाया और अभ्यास कराया गया होता ,तो मुझे
यकीन है कि बुराइयों और दुःख का एक बहुत
बड़ा हिस्सा गायब हो गया होता।
Quote 19: हम जितना ज्यादा बाहर जायें और
दूसरों का भला करें, हमारा ह्रदय उतना ही शुद्ध होगा ,और
परमात्मा उसमे बसेंगे।
Quote 20: बाहरी स्वभाव केवल अंदरूनी स्वभाव
का बड़ा रूप है।
Quote 21: जिस क्षण मैंने यह जान लिया कि भगवान हर
एक मानव शरीर रुपी मंदिर में विराजमान हैं , जिस क्षण मैं
हर व्यक्ति के सामने श्रद्धा से खड़ा हो गया और उसके
भीतर भगवान को देखने लगा - उसी क्षण मैं बन्धनों से मुक्त
हूँ , हर वो चीज जो बांधती है नष्ट हो गयी , और मैं स्वतंत्र
हूँ।
Quote 22: वेदान्त कोई पाप नहीं जानता , वो केवल
त्रुटी जानता है। और वेदान्त कहता है कि सबसे
बड़ी त्रुटी यह कहना है कि तुम कमजोर हो , तुम पापी हो ,
एक तुच्छ प्राणी हो , और तुम्हारे पास कोई शक्ति नहीं है
और तुम ये वो नहीं कर सकते।
Quote 23: जब कोई विचार अनन्य रूप से मस्तिष्क पर
अधिकार कर लेता है तब वह वास्तविक भौतिकया मानसिक
अवस्था में परिवर्तित हो जाता है।
Quote 24: भला हम भगवान को खोजने कहाँ जा सकते हैं
अगर उसे अपने ह्रदय और हर एक जीवित प्राणी में नहीं देख
सकते।
Quote 25: तुम्हे अन्दर से बाहर की तरफ विकसित
होना है। कोई तुम्हे पढ़ा नहीं सकता , कोई तुम्हे
आध्यात्मिक नहीं बना सकता . तुम्हारी आत्मा के
आलावा।।।।।।।।
In 1902, a professor asked his student whether it was God who created everything that exists in the universe?
Student replied: Yes
He again asked:
What about evil?
Has God created evil also?
The student got silent...
Then the student requested that may he ask a question for him?
Professor allowed him to do so.
He asked: Does cold exist?
Professor said: Yes! Don't you feel the cold dear?
Student said: I'm sorry but you are wrong sir. Cold is a complete absence of heat...
There is no cold, it is only an absence of heat.
Student asked again:
Does darkness exist?
Professor Said: Yes!
Student replied: you are again wrong sir. There is no such thing like darkness. Its actually the absence of light.
Sir! We always study light & heat, but not cold & darkness.
Similarly, the evil does not exist. Actually it is the absence of love, faith & true belief in God.
That student was...
Vivekananda...!!!
Can't stop myself to share this with all....
Very inspiring message

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