Search This Blog

Wednesday 15 July 2015

Basic education and level of Govt. School

न्यूज चैनल पर "राजस्थान की बेसिक शिक्षा का गिरता स्तर" पर चर्चा चली जिसमें अनेक विद्वान लोगों ने भाग लिया और अपने अपने तर्क दिये। इस सम्बन्ध में टीवी पर बैठे लोगों से मैं एक प्रश्न करना चाहता हूँ कि आपमें से किसका बच्चा है जो केवल क्लास में ही पढ़ता है और घर पर किताब उठाकर न देखता हो और बिना अभिभावक अथवा ट्यूटर के मेधावी बन गया हो।
आज बेसिक शिक्षा बदहाल तब दिखाई पड़ती है जब इसकी तुलना कान्वेंट स्कूल से की जाती है जबकि कान्वेंट व परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे की पृष्ठभूमि में कोई नहीं जाना चाहता है।
कान्वेंट स्कूल में बच्चे के प्रवेश से पूर्व बच्चे के माता पिता की योग्यता का test होता है। फिर बच्चे का टेस्ट होता है। प्रवेश के पश्चात अभिभावक मोटी मोटी रकम फीस व किताबों में खर्च करता है बच्चे को विद्यालय से आने जाने वाले वाहन पर भी मोटी रकम खर्च करता है। अभिभावकों के शिक्षित होने के कारण इतनी मोती रकम खर्च करने के उद्देश्य को वो शिक्षित अभिभावक भलीभांति जानते है और उनका पहला उद्देश्य मात्र अपने बच्चे की शिक्षा होती है।
शिक्षित व समृद्ध अभिभावक प्रतिदिन सुबह को अपने बच्चे को स्कूल की वै स्वयं आने से पूर्व समय से उठाकर पढाते है उसके पश्चात् नहलाकर uniform पहनाते है माँ बड़े प्यार से लंच बॉक्स तैयार करके उसके बैग में रखती है और घर से बाहर सड़क पर खड़े होकर वैन आने का इंतजार करते है जब बच्चा वैन में बैठ कर स्कूल चला जाता है उसके बाद माँ बाप की अपनी निजी जिंदगी के काम शुरू होते हैं।
बच्चे की छुट्टी के पश्चात् माँ बाप उसको रिसीव करने के लिए चिन्तित होते है और व्यापारी अपना व्यापार नौकरपेशा अपनी ड्यूटी से समय निकालकर बच्चे को रिसीव करता है।
बच्चा घर आने के बाद निर्धारित टाइम टेबिल के अनुसार टीवी देखता एवं खेलता है उसके पश्चात् माँ पिता स्वयं अथवा ट्यूटर बच्चे को लेकर बैठते है और स्कूल में कराये काम का 4 गुना काम होम वर्क के रूप में पूरा कराते है। यहाँ तक कि बच्चा सोने से पहले भी याद (learn) करता है।
छोटे छोटे बच्चों को स्कूल से प्रोजेक्ट के नाम पर ऐसे ऐसे काम मिलते जो छात्र तो कर ही नहीं सकता माता पिता को भी करने में पसीने छुट जाते हैं उसको तैयार करने में बाज़ार की खाक छाननी पड़ती है।
प्रति माह होनी वाली पेरेंट्स मीटिंग में चाहे व्यापार बंद करना पड़े अथवा नौकरपेशा को CL लेनी पड़े लेकिन मीटिंग में भाग लेकर अपने बच्चे से जुडी जानकारी लेते है।
कहने का अभिप्राय है कि उक्त अभिभावक वो है जो शिक्षित व समृद्ध हैं और अपने बच्चे को ही अपना भविष्य व पूँजी मानकर अपनी खुद की इच्छाओं से ज्यादा मेहनत अपने बच्चे पर करते हैं।
इसका दूसरा रूप सरकारी स्कूल में पड़ने वाले छात्र व उसके अभिभावक है। इन स्कूल में आने वाले 80% बच्चों के अभिभावकों को बच्चे के एड्मिसन से कोई मतलब ही नहीं है अध्यापक स्वयं गली अथवा गाँव में जाकर बच्चों को खोजकर उनका प्रवेश स्कूल में करता है जिसको प्रतिदिन अथवा समय से विद्यालय भेजने के प्रति उसके माता पिता को कोई मतलब नहीं होता है बल्कि जब बच्चे को कोई काम घर पर नहीं होता है तब बच्चा स्कूल की ओर रुख करता है इससे भी बड़ा एक और कारण कि ये ऐसे माता पिता है जिन्हें बच्चे की शिक्षा से पहले अपनी रोजी रोटी कमानी होती है आज कक्षा 5 से लेकर 8 तक का बच्चा 100 से लेकर150 रु रोज कमाता है इन गरीब बच्चों के माँ बाप आज इन बच्चों से पहले कमाई करवाना पसन्द करते है और समय बचे तो स्कुल भेजना होता है।
ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी स्कुल का छात्र जब सुबह उठता है तो पहले घर के पालतू पशुओं के चारे की व्यवस्था करता है उसके पश्चात खेती या मजदूरी का काम देखता है और जब कोई काम नहीं होता तो खाली समय में स्कूल आता है उस दिन स्कूल में जो पड़कर जाता है उसे घर पर देखने वाले न अभिभावक हैं न ट्यूटर है।अर्थात जहाँ CONVENT स्कूल के छात्र के हाथ में 24घंटे में से लगभग 10 घंटे किताब होती है बहीं सरकारी स्कूल के छात्र के हाथ में हसिया या खुरपी होती है। एक ओर वो अभिभावक है जिसे उसका बच्चा ही सब कुछ है एक ओर वो है जिसे अपने भूखे पेट को भरने के लिए रोजी रोटी ही सब कुछ है।
पत्रकारों का कहना है कि कक्षा 2 के बच्चे को नाम लिखना नहीं आता ।मैं कहता हूँ कि कक्षा 2 यानि कान्वेंट का नर्सरी ,क्या नर्सरी का बच्चा अपना नाम लिख सकता है मुफ्त भोजन के चक्कर में न समझ अभिभावक 3-3 साल के बच्चे की उम्र अधिक बताकर कक्षा 1 में प्रवेश दिला देते हैं यानि 3साल पहले। जबकि कान्वेंट में PLAY,NURSARY,JUNIOR KG,SENIOR KG उसके बाद कक्षा1 में बच्चा आता है।आज परिषदीय स्कूल का कक्षा 4 के छात्र की आयु CONVENT वाले कक्षा 1 के छात्र के बराबर है।सरकार ने नीति बना दी कि बच्चे को फेल नहीं करना है। और इन स 1 में बच्चा आता है।आज परिषदीय स्कूल का कक्षा 4 के छात्र की आयु CONVENT वाले कक्षा 1 के छात्र के बराबर है।सरकार ने नीति बना दी कि बच्चे को फेल नहीं करना है। और इन सब के बावजूद हमेशा फंसता कौन है। कृपया पूरा लेख जरूर पढ़ें...
.
एक शिक्षक की कलम से....
.
वर्तमान परिस्थिति के कुछ सटीक विश्लेषण..
.
मेरे प्रिय शिक्षक साथियों।
बहुत समय से मैं आत्मसंघर्ष से गुजर रहा हूँ
विचारों में, कर्म में और अभिव्यक्ति में भी।
परन्तु वस्तुत: मानसिक संघर्ष को आज आपके समक्ष व्यक्त करने से स्यवं को रोक नहीं पा रहा हूँ।
शिक्षक होना अपने आप में गर्व की बात है।
परन्तु अब ऐसा लग रहा है इस विकल्प को चुनकर घोर अपराध किया है। उस पर प्राथमिक शिक्षक होना "एक तो करेला ऊपर से नीम चढ़ा" वाली कहावत को चरितार्थ करता है।
सरकारी स्कूलों मे प्राथमिक शिक्षा की दशा अत्यन्त शोचनीय है। यह कहने की आवश्यकता भी नहीं है। लेकिन ऐसी स्थिति के लिए जिम्मेदार किसे माना जाए यह यक्ष प्रश्न मेरे सम्मुख काफी समय से मुँह बाए खड़ा है, परन्तु जितना चिन्तन करता हूँ समस्या गहरी और बहुमुखी प्रतीत होती जाती है।
कभी प्रशासनिक स्तर, कभी संस्थागत स्तर पर, कभी व्यक्तिगत स्तर पर, कभी सामाजिक स्तर पर और कभी चयन के स्तर पर। परन्तु समस्या एक शिक्षक के लिए बहुआयामी है जबकि शेष समाज,
सरकार, प्रशासन के लिए समस्या एकल-आयामी है। वह शिक्षक को घूर के देखता है जैसे वही अपराधी हो।
बेसिक शिक्षा की सारी दुर्दशा का एकमात्र दोशी शिक्षक को माना जा रहा है। अच्छी विडम्बना है।
अब बात अपने प्राथमिक शिक्षा को लेकर करता हूँ। मैं भी सरकारी प्राथमिक स्कूल से कक्षा 5 उत्तीर्ण हूँ। तब न सही भवन थे, न ही किताबें मिलती थी, न ही ड्रेस मिलती थी, न ही मध्याह्न भोजन की व्यस्था थी, विद्यालय भी प्राय: दूर ही होते थे। प्रशासनिक नियन्त्रण व हस्तक्षेप न के बराबर था। परन्तु शिक्षा आज से कई गुना बेहतर थी। शिक्षक भी पर्याप्त संख्या में प्रत्येक विषय के अलग-2। शिक्षण के अलावा कोई कार्य नहीं था। न रोज सूचना देना था, न खाना बनवाना था, न बिल्डिंग बनवानी थी, न आडिट करवाना था, न प्रधान के घर के चक्कर लगाने थे और न अधिकारियों की चापलूसी करनी थी। मेरे प्राथमिक शैक्षिक जीवन में कभी विद्यालय का निरीक्षण भी न के बराबर हुआ। फिर भी अच्छी पढ़ाई होती थी। आज इसके जवाब में कहा जाता है तब शिक्षक ईमानदार चरित्रवान होते थे, पर आज नही है। अगर आज ईमानदार चरित्रवान शिक्षक कम हैं तो इसका जिम्मेदार कौन है..??? क्या चयन प्रणाली इसके लिए जिम्मेदार नही है..??? आज शिक्षक को कर्मचारी बना दिया गया है। किसने बनाया खुद शिक्षक ने..??? सरकार ने पहले उन्हे बिल्डर, टेलर, बुक सेलर, खानसामा, विभिन्न विभागों के भिन्न-2 पदों के कार्य सौंप दिये जैसे राजस्व विभाग, पंचायत विभाग, खाद्य आपूर्ति, स्वास्थ्य आदि । अब जब कर्मचारी बन गए हैं तो स्वाभाविक है कि कुछ गुण कर्मचारी के आ ही जाएंगे।
वाह रे नीति नियन्ता। अब उपदेश देते हैं शिक्षक धर्म का पालन करो।वो भी बिना किसी अधिकार के। जैसे बंगाल में ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1765-72 तक द्वैध शासन चलाया था। जिसमें अधिकार कंपनी के पास और कर्तव्य सारे नवाब करें। वैसी हालत हमारे बेशिक शिक्षा की है।
जब तक शिक्षा की नीति रीति शिक्षक स् नही बनाएगा और ऊपर से हवा-हवाई नीतियाँ बनेगी तब तक शिक्षा व्यवस्था सुधरने से रही। दंडात्मक प्रक्रिया चलती रहेगी, प्रशासनिक हस्तक्षेप बढ़ता रहेगा, साथ ही शिक्षकों का शोषण बढ़ता रहेगा जिससे शिक्षा व्यवस्था का स्तर गिरता रहेगा। शिक्षा विभाग मे आज भी एक से बढ़कर एक बहुत से विद्वान शिक्षक मौजूद हैं परंतु चापलूसों और चाटुकारों के आगे उनकी कोई पहचान नहीं है।

G.P.F.खातों के BALANCE ENQUIRY

सरकारी कर्मचारियों के G.P.F.खातों के BALANCE ENQUIRY के लिए इस URL पर जाकर जाकर अपने BALANCE की जानकारी ले सकते है
http://www.sipfportal.rajasthan.gov.in/sipf/Signin.aspx

Check service book online- Also you can edit

सभी अधिकारी कर्मचारी अपनी अपनी सेवा पुस्तिका (सर्विस बुक) का इंद्राज ओन लाइन देखे। और जो जो इंद्राज की कमी लगे वो आप खुद फिल अप करे।
आप द्वारा किये गए इन्द्राज को आपका DDO अवलोकन कर उसे वेरिफाई करेगा।

DDO के वेरिफिकेसन के बाद आपकी सर्विस बुक ओन लाइन हो जायेगी।
लोग इन का तरीका इस तरह हे।

http://ihrms.raj.nic.in/

इस URL को ओपन करे।
लोग इन बटन पे क्लिक करे।
User Name में आपकी एम्प्लॉई ID लिखे। जेसे ये मेरी ID का एक्जाम्पल दे रहा हूँ।
RJPA199129008650
पासवर्ड में भी आपकी एम्प्लॉई ID लिखे।
RJPA199129008650

वहीँ पे आपको चार अंको का कोड दिखेगा। जो आपको तीसरे कॉलम में लिखना हे।
ये तीनो कॉलम भरने के बाद लोग इन पे क्लिक करे।
तत पश्चास्त
नया पेज खुलेगा।
वहाँ आपको नया पासवर्ड बनाने के लिए कहा जायेगा।

जो आप अपने हिसाब से बना सकते हे। वहाँ आपको अपना नाम नजर आ जायेगा। जेसे साबीर मोहम्मद ड्राईवर Addcmho Pali
फिर आप एक एक पेज खोल कर फिल अप डेटा का अवलोकन करे।
जो डेटा सही हो उसको न छेड़े।
और जो सही न हो उसे आप एडिट करे और ख़ाली पड़े कॉलम में भी आप अपने सही सही जानकारी (डेटा) भरे। और सबमिट करे।

फिर आपका DDO समस्त डेटा को चेक करके वेरिफाई करेगा।
इस तरह आपकी सर्विस बुक ऑनलाइन तैयार हो जायेगी।

ये हम सब के लिए बहुत जरूरी हे।
क्योकि सर्विस बुक हमारी नोकरी का एक महत्व पूर्ण दस्तावेज हे।

Recruitment of school/ college lecturer in rajasthan 2015

CABINET : 1180 व्याख्याताओं की होगी भर्ती
जयपुर। प्रदेश में 1180 व्याख्याताओं की भर्ती होगी। इसके लिए लिखित परीक्षा आयोजित कराई जाएगी। इसके बाद इंटरव्यू होंगे। इंटरव्यू का पार्ट मामूली रखा गया है। परीक्षा के तहत 75-75 अंक के दो प्रश्नपत्र होंगे। इसके अलावा एक प्रश्नपत्र 50 अंक का होगा, जो राजस्थान के सामान्यज्ञान पर आधारित होगा। इंटरव्यू केवल 24 अंकों का होगा।
राज्य कैबिनेट की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह फैसला किया गया। इसके अलावा अन्य कई फैसले भी किए गए। व्याख्याताओं के लिए पूर्व में इस भर्ती के लिए केवल इंटरव्यू का प्रावधान रखा गया था। इसमें नेट, सेट और पीएचडी योग्यताधारी भाग ले सकेंगे। ऐसे अभ्यर्थी जिन्होंने दसवीं कक्षा में 50 प्रतिशत, ग्रेजुएशन व पीजी में 55-55 प्रतिशत अंक पाए हैं, वे ही इसमें शामिल हो सकेंगे।

Life Cycle: (From Apple To Apple)

Apple se vitamins
Vitamins se power
Powerse work
Work se money
Money se pyar
Pyar se shadi
Shadi se patni
Patnise tension
Tension se bimari
Bimari me phir se apple
-----------------------
Life Cycle:
(From Apple To Apple)

Tuesday 14 July 2015

शिक्षक बचाओ, देश बचेगा

अति विशिष्ट व्यक्ति / V I P कौन है?
क्या आप को जानकारी है कि............
1)अमेरिका में सिर्फ दो तरह के लोगों को वी आई
पी मानते हैं :
वैज्ञानिक और शिक्षक ।
2) फ्रांस के न्यायालय में सिर्फ शिक्षकों को ही
कुर्सी पर बैठने का अधिकार है।
3) जापान में पुलिस सरकार से अनुमति लेने के बाद
ही किसी शिक्षक को गिरफ्तार कर सकती है।
4) कोरिया में हर शिक्षक को वे सारे अधिकार
प्राप्त हैं, जो भारत के मंत्री को प्राप्त हैं, सिर्फ
अपना आय कार्ड दिखा कर ।
5) अमेरिकन तथा यूरोपीय देशों में प्राथमिक
अध्यापक को सर्वाधिक वेतन मिलता है, क्योंकि
कच्ची मिट्टी को वे ही पक्का करते हैं ।
और भारत में यदि शिक्षक यदि अपने वेतन के लिए
या छात्रों की उन्नति के लिए किसी गलत नियम के
विर्रुद्ध कोई आवाज़ उठाये या आंदोलन करे तो
भारतीय पुलिस उन्हें डंडे मारती है ।
एक ऐसा समाज, जहाँ शिक्षकों का अपमान
होता रहेगा, वहाँ सिर्फ चोर, डाकू, लुटेरे और
भ्रष्टाचारी लोग ही पनपते है।
शिक्षक बचाओ, देश बचेगा

P Narayana Murthy- an inspiring personality

P Narayana Murthy

My wife called, 'How long will you be with that newspaper? Will you  come here and make your darling daughter eat her food?

I tossed the paper away and rushed to the scene. My only daughter, Sindu, looked frightened; tears were welling up in her eyes.

In front of her was a bowl filled to its brim with curd rice. Sindu is a nice child, quite and  intelligent for her age.

I picked up the bowl. 'Sindu, darling, why don't you take a few mouthful of this curd rice? Just for Dad's sake, dear'.

Sindu softened a bit and wiped her tears with the back of her hands. 'Ok, Dad. I will eat - not just a few mouthfuls, but the whole lot of this. But, you should...' Sindu hesitated...... 'Dad, if I eat this entire curd Rice, will you give me whatever I ask for?'

'Promise'. I covered the pink soft hand extended by my daughter with mine, and clinched the deal.

Now I became a bit anxious. 'Sindu, dear, you shouldn't insist on getting a computer or any such expensive items. Dad does not have that kind of money right now. Ok?'

'No, Dad. I do not want anything expensive.'

Slowly and painfully, she finished eating the whole quantity. I was silently angry with my wife and my mother for forcing my child to eat something that she detested.

After the ordeal was through, Sindu came to me with her eyes wide with expectation. All our attention was on her.

'Dad, I want to have my head shaved off, this Sunday!' was her demand.

'Atrocious!' shouted my wife, 'A girl child having her head shaved off? Impossible!'

'Never in our family!' My mother rasped. 'She has been watching too much of television. Our culture is getting totally spoiled with these TV programs!'

'Sindu, darling, why don't you ask for something else? We will be sad seeing you with a clean-shaven head.'

'Please, Sindu, why don't you try to understand our feelings?' I tried to plead with her.

'Dad, you saw how difficult it was for me to eat that Curd Rice'. Sindu was in tears. 'And you promised to grant me whatever I ask for. Now, you are going back on your words.
"Was it not you who told me the story of King Harishchandra, and its moral that we should honor our promises no matter what?'

It was time for me to call the shots. 'Our promise must be kept.'

'Are you out of your mind?' chorused my mother and wife.

'No. If we go back on our promises, she will never learn to honour her own. Sindu, your wish will be fulfilled.'

With her head clean-shaven, Sindu had a round-face, and her eyes looked big and beautiful.

On Monday morning, I dropped her at her school. It was a sight to watch my hairless Sindu walking towards her classroom. She turned around and waved. I waved back with a smile.

Just then, a boy alighted from a car, and shouted, 'Sinduja, please wait for me!' What struck me was the hairless head of that boy. 'May be, that is the in-stuff', I thought.

A lady got out of car and came to me. She said 'Sir, your daughter Sinduja is great indeed! That boy who is walking along with your daughter is my son, Harish. He is suffering from... leukemia'. She paused to muffle her sobs.

'Harish could not attend the school for the whole of the last month. He lost all his hair due to the side effects of the chemotherapy. He refused to come back to school fearing the unintentional but cruel teasing of the schoolmates.
...... Sinduja visited him last week, and promised him that she will take care of the teasing issue.....

"But, I never imagined she would sacrifice her lovely hair for the sake of my son! Sir, you and your wife are blessed to have such a noble soul as your daughter.'

I stood transfixed with tears 'My little Angel, you are teaching me how selfless real love is!'

The happiest people on this planet are not those who live on their own terms but are those who change their terms for others!

Sunday 12 July 2015

Follow the path suggested by vedas

★जानिये किन वैदिक आज्ञाओं का उल्लंघन बना आर्यावर्त के पतन का कारण★
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
क्या आप जानते है की वेद की आज्ञाओ के उल्लंघन का कितना भयंकर परिणाम हो सकता है ? 
क्या आप जानते है भारत की दुर्गति के पीछे वेद की आज्ञाओ का उल्लंघन ही था ? 

(1.) पहली आज्ञा 

अक्षैर्मा दिव्य: ( ऋ 10/34/13 )

अर्थात जुआ मत खेलो ।

इस आज्ञा का उल्लंघन हुआ । इस आज्ञा का उल्लंघन धर्म राज कहेजाने वाले युधिष्ठिर ने किया ।

परिणाम :- एक स्त्री का भरी सभा में अपमान । महाभारत जैसा भयंकर युद्ध जिसमे करोड़ो सेना मारी गयी । लाखो योद्धा मारे गये । हजारो विद्वान मारे गये और आर्यावर्त पतन की ओर अग्रसर हुआ ।

(2.) दूसरी आज्ञा 

मा नो निद्रा ईशत मोत जल्पिः । ( ऋ 8/48/14)

अर्थात आलस्य प्रमाद और बकवास हम पर शासन न करे ।

लेकिन इस आज्ञा का भी उल्लंघन हुआ । महाभारत के कुछ समय बाद भारत के राजा आलस्य प्रमाद में डूब गये ।

परिणाम :- विदेशियों के आक्रमण , 

(3.) तीसरी आज्ञा 

सं गच्छध्वं सं वद्ध्वम । ( ऋ 10/191/2 )

अर्थात मिल कर चलो और मिलकर बोलो ।

वेद की इस आज्ञा का भी उल्लंघन हुआ । जब विदेशियों के आक्रमण हुए तो देश के राजा मिल कर नहीं चले । बल्कि कुछ ने आक्रमणकारियों का ही सहयोग किया ।

परिणाम :- लाखों लोगो का कत्ल , लाखों स्त्रियों के साथ दुराचार , अपार धन-धान्य की लूटपाट , गुलामी ।

(4.) चौथी आज्ञा

कृतं मे दक्षिणे हस्ते जयो में सव्य आहितः । ( अथर्व 7/50/8 )

अर्थात मेरे दाँए हाथ में कर्म है और बाएं हाथ में विजय ।

वेद की इस आज्ञा का उल्लंघन हुआ । लोगो ने कर्म को छोड़ कर भाग्यवादी हो गये ।

परिणाम : कर्महीनता , भाग्य के भरोसे रह आक्रान्ताओ को मुह तोड़ जवाब न देना
, धन धान्य का व्यय , मनोबल की कमी और मानसिक दरिद्रता ।

(5.) पांचवी आज्ञा 

उतिष्ठत सं नह्यध्वमुदारा: केतुभिः सह ।
सर्पा इतरजना रक्षांस्य मित्राननु धावत ।। ( अथर्व 11/10/1)

अर्थात हे वीर योद्धाओ ! आप अपने झंडे को लेकर उठ खड़े होवो और कमर कसकर तैयार हो जाओ । हे सर्प के समान क्रुद्ध रक्षाकारी विशिष्ट पुरुषो ! अपने शत्रुओ पर धावा बोल दो ।

वेद की इस आज्ञा का भी उलंघन हुआ जब लोगो के बीच बुद्ध और जैन मत के मिथ्या अहिंसावाद का प्रचार हुआ । लोग आक्रमणकरियों को मुह तोड़ जवाब देने की बजाय मिथ्या अहिंसावाद को मुख्य मानने लगे ।

परिणाम :- अशोक जैसे महान योद्धा का युद्ध न लड़ना । विदेशियों के द्वारा इसका फायदा उठा कर भारत पर आक्रमण ।

(6.) छठी आज्ञा 

मिथो विघ्राना उप यन्तु मृत्युम । ( अथर्व 6/32/3 )

अर्थात परस्पर लड़नेवाले मृत्यु का ग्रास बनते है और नष्ट भ्रष्ट हो जाते है ।

वेद की इस आज्ञा का उलंघन हुआ ।

परिणाम - भारत के योद्धा आपस में ही लड़ लड़ कर मर गये और विदेशियों ने इसका फायदा उठाया ।

Life is just a Moment.

A man died...

When he realized it, he saw God coming closer with a suitcase in his hand.

Dialog between God and Dead Man:

God: Alright son, it’s time to go

Man: So soon? I had a lot of plans...

God: I am sorry but, it’s time to go

Man: What do you have in that suitcase?

God: Your belongings

Man: My belongings? You mean my things... Clothes... money...

God: Those things were never yours, they belong to the Earth

Man: Is it my memories?

God: No. They belong to Time

Man: Is it my talent?

God: No. They belong to Circumstance

Man: Is it my friends and family?

God: No son. They belong to the Path you travelled

Man: Is it my wife and children?

God: No. they belong to your Heart

Man: Then it must be my body

God: No No... It belongs to Dust

Man: Then surely it must be my Soul!

God: You are sadly mistaken son. Your Soul belongs to me.

Man with tears in his eyes and full of fear took the suitcase from the God's hand and opened it...

Empty...

With heartbroken and tears down his cheek he asks God...

Man: I never owned anything?

God: That’s Right. You never owned anything.

Man: Then? What was mine?

God: your MOMENTS.
Every moment you lived was yours.

Life is just a Moment.

Live it...
Love it...
Enjoy it...

Saturday 11 July 2015

Brahmin brahmins

:         ऊँ         :

ब्राह्मण  निर्धन  होगा  तो  बनेगा
" सुदामा "
✨ फिर एक दिन "श्री कृष्ण" उसकी
सेवा करेंगे !

ब्राह्मण अपमानित होगा तो बनेगा
" चाणक्य "
✨ फिर  एक  दिन  नये  राज्य  कि
स्थापना कर देगा !

ब्राह्मण सठिया जायेगा तो बनेगा
" परशुराम "
✨ फिर एकदिन पापियों का विनाश
कर देगा !

ब्राह्मण  पढ़ेगा  तो  बन  जायेगा
" आर्यभट्ट "
✨ फिर  एक  दिन  पुरे  विश्व  को
0  ( ZERO ) दे जायेगा !

ब्राह्मण जब वेद धर्म का विनाश
देखेगा तो बन जायेगा
" आदि शँकराचार्य "
✨ फिर एक दिन  वैदिक  धर्म  कि
स्थापना कर देगा !

ब्राह्मण  जब  लोगों को  बीमार
देखेगा तो बन जायेगा
" चरक "
✨ फिर  एक  दिन  पुरे  विश्व  को
आर्युवेद दे जायेगा !

ब्राह्मण ने हमेशा अपने ज्ञानके
प्रकाश से विश्व को प्रकाशित किया !

सतसत प्रणाम है
ब्राह्मण समाज को ...............

कुछ  बात  है  कि  हस्ती
मिटती  नही  हमारी

Dedicated 2 All Brahmans

✨   ब्राह्मण धर्म
   वेद

✨   ब्राह्मण कर्म
   गायत्री

✨   ब्राह्मण जीवन
   त्याग

✨   ब्राह्मण मित्र
   सुदामा

✨   ब्राह्मण क्रोध
   परशुराम

✨   ब्राह्मण त्याग
   ऋषि दधिची

✨   ब्राह्मण राज
   बाजीराव पेशवा

✨   ब्राह्मण प्रतिज्ञा
   चाणक्य

✨   ब्राह्मण बलिदान
   मंगल पाण्डेय
         चन्द्र शेखर आज़ाद

✨   ब्राह्मण भक्ति
   रावण

✨   ब्राह्मण ज्ञान
   आदि गुरु शंकराचार्य

✨   ब्राह्मण सुधारक
   महर्षि दयानंद

✨   ब्राह्मण राजनीतिज्ञ
   कोटिल्य

✨   ब्राह्मण विज्ञान
   आर्यभट

✨   ब्राह्मण गणितज्ञ
   रामानुजम

✨   ब्राह्मण खिलाड़ी
   सचिन तेंदुलकर

कर्म से : धर्म से : दान से :
: ज्ञान से : विज्ञान से :
नाम से : जीवन से : मृत्यु से :
: भक्ति से : शक्ति से : मुक्ति से :
:आत्मा से : परमात्मा से :
: मूल्यों से : संस्कारो से : बल से :
: बुद्धि से : कौशल से : सम्मान से

✊   विश्वास  से  ब्राह्मण  बनना
आरम्भ करिए तभी  अपने पूर्वजों
के  किये  गौरवशाली   कार्यों   पर
आप  गर्व कर पाएँगे 

   ब्राह्मण महिमा  

✨ ब्राह्मण : ब्रह्मा के मुख से
उत्पन्न सर्वोच्च वर्ण  ✨

१ ब्राह्मण का जन्म :
✨ भगवान् विष्णु का अंश अवतार

२ ब्राह्मण की विद्या :
✨ ज्ञान का अथाह सागर !

३ ब्राह्मण की बुद्धि :
✨ समस्त समस्याओं का समाधान

४ ब्राह्मण की वाणी :
✨ वेद का ज्ञान !

५ ब्राह्मण की शिक्षा :
✨ जीवन जीने की कला !

६ ब्राह्मण की दृष्टी :
✨ समभाव  !

७ ब्राह्मण की शिखा :
✨ संकल्पों का समूह !

८ ब्राह्मण की दया :
✨ संकटों का हरण !

९ ब्राह्मण की कृपा :
✨ भवसागर से तरने का साधन

१० ब्राह्मण का कर्म :
✨ सर्व जन हिताय !

११ ब्राह्मण का निवास :
✨ देवालय !

१२ ब्राह्मण के दर्शन :
✨ सर्वमंगल !

१३ ब्राह्मण का आशीर्वाद :
✨ समस्त सुखों : वैभवों की प्राप्ति !

१४ ब्राह्मण की सेवा :
✨ परलोक सुधारना !

१५ ब्राह्मण का वरदान :
✨ मोक्ष की प्राप्ति !

१६ ब्राह्मण का अस्त्र :
✨ श्राप !

१७ ब्राह्मण का शस्त्र :
✨कलम !

१८ ब्राह्मण को दान :
✨ सहस्त्रों पापों से मुक्ति !

१९ ब्राह्मण को दक्षिणा :
✨ सात पीढ़ी का उद्धार !

२० ब्राह्मण की संतुष्टी :
✨ सभी भयों से मुक्ति !

२१ ब्राह्मण की हुँकार :
✨ राजा महाराजाओं का
चरणागत   होना !

२२ ब्राह्मण की  गर्जना :
✨ सर्व भूतों का संहार !

२३ ब्राह्मण का कोप :
✨ सर्वनाश !

२४ सर्व ब्राह्मण की एकता :
✨ सर्व शक्तिमान !

जय महाकाल ... 
जय परशुराम ...

कृपया सभी ब्राह्मणों को
Forward करें  !      &
Proud of Being a ब्राह्मण

Friday 10 July 2015

Home remedy for diabetes

-- 20 वर्षों से डायबिटीज झेल रहीं 65 वर्षीय महिला जो दिन में दो बार इन्सुलिन लेने को विवश थीं, आज इस रोग से पूर्णतः मुक्त होकर सामान्य सम्पूर्ण आहार ले रही हैं | जी हाँ मिठाई भी ।।

--डाक्टरों ने उस महिला को इन्सुलिन और अन्य ब्लड शुगर कंट्रोल करने वाली दवाइयां भी बंद करने की सलाह दी है ।
और एक ख़ास बात । चूंकि केवल दो सप्ताह चलने वाला यह उपचार पूर्णतः प्राकृतिक तत्वों से घर में ही निर्मित होगा, अतः इसके कोई दुष्प्रभाव होने की रत्ती भर भी संभावना नहीं है ।

--मुम्बई के किडनी विशेषज्ञ डा. टोनी अलमैदा ने दृढ़ता और धैर्य के साथ इस औषधि के व्यापक प्रयोग किये हैं तथा इसे आश्चर्यजनक माना है ।

अतः आग्रह है कि इस उपयोगी उपचार को अधिक से अधिक प्रचारित करें, जिससे अधिक से अधिक लोग लाभान्वित हो सकें |
देखिये कितना आसान है इस औषधि को घर में ही निर्मित करना |
आवश्यक वस्तुएं–

> 1 – गेंहू 100 gm.
> 2 – वृक्ष से निकली गोंद 100 gm.
> 3 - जौ 100 gm.
> 4 - कलुन्जी 100 gm.

--( निर्माण विधि )

उपरोक्त सभी सामग्री को ५ कप पानी में रखें । आग पर इन्हें १० मिनट उबालें । इसे स्वयं ठंडा होने दें । ठंडा होने पर इसे छानकर पानी को किसी बोतल या जग में सुरक्षित रख दें ।

--( उपयोग विधि )

सात दिन तक एक छोटा कप पानी प्रतिदिन सुबह खाली पेट लेना ।
अगले सप्ताह एक दिन छोड़कर इसी प्रकार सुबह खाली पेट पानी लेना । मात्र दो सप्ताह के इस प्रयोग के बाद आश्चर्यजनक रूप से आप पायेंगे कि आप सामान्य हो चुके हैं ...और बिना किसी समस्या के अपना नियमित सामान्य भोजन ले सकते हैं ।
जिस किसी के पेरेंट्स को प्रॉब्लम हो उपयोग करे

Thursday 9 July 2015

ENO AND EGO

प्रेरणादायक पंक्तिया -
"परिवार" से बड़ा कोई
"धन" नहीं!
"पिता" से बड़ा कोई
"सलाहकार" नहीं!
"माँ" की छाव से बड़ी
कोई "दुनिया" नहीं!
"भाई" से अच्छा कोई
"भागीदार" नहीं!
"बहन" से बड़ा कोई
"शुभचिंतक" नहीं!
"पत्नी" से बड़ा कोई
"दोस्त" नहीं
इसलिए
"परिवार" के बिना
"जीवन" नहीं!!

इसलिए परिवार का मूल्य समझिये।
रिश्तों पर ego न हावी होने दे।
: ENO - काम शुरू सिर्फ 6 second मे,

EGO- काम बिगाड़े सिर्फ 6 second मे।

How to remain happily married

Very good message to all married couples and must follow to be HAPPY--------

        एक पत्नी ने अपने पति  से आग्रह किया कि वह उसकी छह कमियाँ बताए जिन्हें सुधारने से वह बेहतर पत्नी बन जाए. पति यह सुनकर हैरान रह गया और असमंजस की स्थिति में पड़ गया. उसने सोचा कि मैं बड़ी आसानी से उसे ६ ऐसी बातों की सूची थमा सकता हूँ , जिनमें सुधार की जरूरत थी और ईश्वर जानता है कि वह ऐसी ६० बातों की सूची थमा सकती थी, जिसमें मुझे  सुधार की जरूरत थी.
       परंतु पति ने ऐसा नहीं किया और कहा - 'मुझे इस बारे में सोचने का समय दो , मैं तुम्हें सुबह इसका जबाब दे दूँगा.'
        पति अगली सुबह जल्दी ऑफिस गया और फूल वाले को फोन करके उसने अपनी पत्नी के लिए छह गुलाबों का तोहफा भिजवाने के लिए कहा जिसके साथ यह चिट्ठी लगी हो, "मुझे तुम्हारी छह कमियाँ नहीं मालूम, जिनमें सुधार की जरूरत है. तुम जैसी भी हो मुझे बहुत अच्छी लगती हो."
      उस शाम पति जब आफिस से लौटा तो देखा कि उसकी पत्नी दरवाज़े पर खड़ी उसका इंतज़ार कर रही थी, उसकी आंखौं में आँसू भरे हुए थे,यह कहने की जरूरत नहीं कि उनके जीवन की मिठास कुछ और बढ़ गयी थी। पति इस बात पर बहुत खुश था कि पत्नी के आग्रह के बावजूद उसने उसकी छह कमियों की सूची नहीं दी थी.

इसलिए यथासंभव जीवन में सराहना करने में कंजूसी न करें और आलोचना से बचकर रहने में ही समझदारी है।

         ज़िन्दगी का ये हुनर भी,
                             आज़माना चाहिए,
         जंग अगर अपनों से हो,
                              तो हार जाना चाहिए..

Happy Married Life ...