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Wednesday 11 February 2015

अपने लक्ष्य पर विश्वास क़ायम रखिये..

एक बार कुछ scientists ने एक बड़ा ही interesting
experiment किया..
उन्होंने 5 बंदरों को एक बड़े से cage में बंद कर
दिया और बीचों -बीच एक
सीढ़ी लगा दी जिसके ऊपर केले लटक रहे थे..
जैसा की expected था, जैसे ही एक बन्दर की नज़र
केलों पर पड़ी वो उन्हें खाने के लिए दौड़ा..
पर जैसे ही उसने कुछ सीढ़ियां चढ़ीं उस पर ठण्डे
पानी की तेज धार डाल दी गयी और उसे उतर कर
भागना पड़ा..
पर experimenters यहीं नहीं रुके,
उन्होंने एक बन्दर के किये गए
की सजा बाकी बंदरों को भी दे डाली और
सभी को ठन्डे पानी से भिगो दिया..
बेचारे बन्दर हक्के-बक्के एक कोने में दुबक कर बैठ गए..
पर वे कब तक बैठे रहते,
कुछ समय बाद एक दूसरे बन्दर को केले खाने का मन
किया..
और वो उछलता कूदता सीढ़ी की तरफ दौड़ा..
अभी उसने चढ़ना शुरू
ही किया था कि पानी की तेज धार से उसे
नीचे गिरा दिया गया..
और इस बार भी इस बन्दर के
गुस्ताखी की सज़ा बाकी बंदरों को भी दी गयी..
एक बार फिर बेचारे बन्दर सहमे हुए एक जगह बैठ गए...
थोड़ी देर बाद जब तीसरा बन्दर केलों के लिए
लपका तो एक अजीब वाक्य हुआ..
बाकी के बन्दर उस पर टूट पड़े और उसे केले खाने से
रोक दिया,
ताकि एक बार फिर उन्हें ठन्डे
पानी की सज़ा ना भुगतनी पड़े..
अब experimenters ने एक और interesting चीज़ की..
अंदर बंद बंदरों में से एक को बाहर निकाल
दिया और एक नया बन्दर अंदर डाल दिया..
नया बन्दर वहां के rules क्या जाने..
वो तुरंत ही केलों की तरफ लपका..
पर बाकी बंदरों ने झट से उसकी पिटाई कर दी..
उसे समझ नहीं आया कि आख़िर क्यों ये बन्दर ख़ुद
भी केले नहीं खा रहे और उसे भी नहीं खाने दे रहे..
ख़ैर उसे भी समझ आ गया कि केले सिर्फ देखने के
लिए हैं खाने के लिए नहीं..
इसके बाद experimenters ने एक और पुराने बन्दर
को निकाला और नया अंदर कर दिया..
इस बार भी वही हुआ नया बन्दर केलों की तरफ
लपका पर बाकी के बंदरों ने उसकी धुनाई कर
दी और मज़ेदार बात ये है कि पिछली बार
आया नया बन्दर भी धुनाई करने में शामिल था..
जबकि उसके ऊपर एक बार
भी ठंडा पानी नहीं डाला गया था!
experiment के अंत में सभी पुराने बन्दर बाहर जा चुके
थे और नए बन्दर अंदर थे जिनके ऊपर एक बार
भी ठंडा पानी नहीं डाला गया था..
पर उनका behaviour भी पुराने बंदरों की तरह
ही था..
वे भी किसी नए बन्दर को केलों को नहीं छूने देते..
Friends, हमारी society में भी ये behaviour
देखा जा सकता है..
जब भी कोई नया काम शुरू करने की कोशिश
करता है,
चाहे वो पढ़ाई , खेल , एंटरटेनमेंट, business,
राजनीती, समाजसेवा या किसी और field से
related हो, उसके आस पास के लोग उसे ऐसा करने से
रोकते हैं..
उसे failure का डर दिखाया जाता है..
और interesting बात ये है कि उसे रोकने वाले
maximum log वो होते हैं जिन्होंने ख़ुद उस field में
कभी हाथ भी नहीं आज़माया होता..
इसलिए यदि आप भी कुछ नया करने की सोच रहे हैं
और आपको भी समाज या आस पास के
लोगों का opposition face करना पड़ रहा है
तो थोड़ा संभल कर रहिये..
अपने logic और guts की सुनिए..
ख़ुद पर और अपने लक्ष्य पर विश्वास क़ायम रखिये..
और बढ़ते रहिये..
कुछ बंदरों की ज़िद्द के आगे आप भी बन्दर मत बन
जाइए..

अपने लक्ष्य पर विश्वास क़ायम रखिये..

एक बार कुछ scientists ने एक बड़ा ही interesting
experiment किया..
उन्होंने 5 बंदरों को एक बड़े से cage में बंद कर
दिया और बीचों -बीच एक
सीढ़ी लगा दी जिसके ऊपर केले लटक रहे थे..
जैसा की expected था, जैसे ही एक बन्दर की नज़र
केलों पर पड़ी वो उन्हें खाने के लिए दौड़ा..
पर जैसे ही उसने कुछ सीढ़ियां चढ़ीं उस पर ठण्डे
पानी की तेज धार डाल दी गयी और उसे उतर कर
भागना पड़ा..
पर experimenters यहीं नहीं रुके,
उन्होंने एक बन्दर के किये गए
की सजा बाकी बंदरों को भी दे डाली और
सभी को ठन्डे पानी से भिगो दिया..
बेचारे बन्दर हक्के-बक्के एक कोने में दुबक कर बैठ गए..
पर वे कब तक बैठे रहते,
कुछ समय बाद एक दूसरे बन्दर को केले खाने का मन
किया..
और वो उछलता कूदता सीढ़ी की तरफ दौड़ा..
अभी उसने चढ़ना शुरू
ही किया था कि पानी की तेज धार से उसे
नीचे गिरा दिया गया..
और इस बार भी इस बन्दर के
गुस्ताखी की सज़ा बाकी बंदरों को भी दी गयी..
एक बार फिर बेचारे बन्दर सहमे हुए एक जगह बैठ गए...
थोड़ी देर बाद जब तीसरा बन्दर केलों के लिए
लपका तो एक अजीब वाक्य हुआ..
बाकी के बन्दर उस पर टूट पड़े और उसे केले खाने से
रोक दिया,
ताकि एक बार फिर उन्हें ठन्डे
पानी की सज़ा ना भुगतनी पड़े..
अब experimenters ने एक और interesting चीज़ की..
अंदर बंद बंदरों में से एक को बाहर निकाल
दिया और एक नया बन्दर अंदर डाल दिया..
नया बन्दर वहां के rules क्या जाने..
वो तुरंत ही केलों की तरफ लपका..
पर बाकी बंदरों ने झट से उसकी पिटाई कर दी..
उसे समझ नहीं आया कि आख़िर क्यों ये बन्दर ख़ुद
भी केले नहीं खा रहे और उसे भी नहीं खाने दे रहे..
ख़ैर उसे भी समझ आ गया कि केले सिर्फ देखने के
लिए हैं खाने के लिए नहीं..
इसके बाद experimenters ने एक और पुराने बन्दर
को निकाला और नया अंदर कर दिया..
इस बार भी वही हुआ नया बन्दर केलों की तरफ
लपका पर बाकी के बंदरों ने उसकी धुनाई कर
दी और मज़ेदार बात ये है कि पिछली बार
आया नया बन्दर भी धुनाई करने में शामिल था..
जबकि उसके ऊपर एक बार
भी ठंडा पानी नहीं डाला गया था!
experiment के अंत में सभी पुराने बन्दर बाहर जा चुके
थे और नए बन्दर अंदर थे जिनके ऊपर एक बार
भी ठंडा पानी नहीं डाला गया था..
पर उनका behaviour भी पुराने बंदरों की तरह
ही था..
वे भी किसी नए बन्दर को केलों को नहीं छूने देते..
Friends, हमारी society में भी ये behaviour
देखा जा सकता है..
जब भी कोई नया काम शुरू करने की कोशिश
करता है,
चाहे वो पढ़ाई , खेल , एंटरटेनमेंट, business,
राजनीती, समाजसेवा या किसी और field से
related हो, उसके आस पास के लोग उसे ऐसा करने से
रोकते हैं..
उसे failure का डर दिखाया जाता है..
और interesting बात ये है कि उसे रोकने वाले
maximum log वो होते हैं जिन्होंने ख़ुद उस field में
कभी हाथ भी नहीं आज़माया होता..
इसलिए यदि आप भी कुछ नया करने की सोच रहे हैं
और आपको भी समाज या आस पास के
लोगों का opposition face करना पड़ रहा है
तो थोड़ा संभल कर रहिये..
अपने logic और guts की सुनिए..
ख़ुद पर और अपने लक्ष्य पर विश्वास क़ायम रखिये..
और बढ़ते रहिये..
कुछ बंदरों की ज़िद्द के आगे आप भी बन्दर मत बन
जाइए..

Monday 9 February 2015

Swine flu- स्वाइन फ्लू: बचाव और इलाज

स्वाइन फ्लू एक बार फिर देश में पांव पसार रहा है। फ्लू से डरने के बजाय जरूरत इसके लक्षणों के बारे में जानने और सावधानी बरतने की है। आइए जानें स्वाइन फ्लू से सेफ्टी के तमाम पहलुओं के बारे में :

एक्सपर्ट्स पैनल

डॉ. सुशील कौल, सीनियर कंसल्टेंट, कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल

डॉ. चंदन केदावट, सीनियर कंसल्टेंट, पीएसआरआई हॉस्पिटल

डॉ. सुशील वत्स, सीनियर होम्योपैथ

डॉ. एल. के. त्रिपाठी, आयुर्वेद विशेषज्ञ

डॉ. सुरक्षित गोस्वामी, योगाचार्य

क्या है स्वाइन फ्लू

स्वाइन फ्लू श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारी है, जो ए टाइप के इनफ्लुएंजा वायरस से होती है। यह वायरस एच1 एन1 के नाम से जाना जाता है और मौसमी फ्लू में भी यह वायरस सक्रिय होता है। 2009 में जो स्वाइन फ्लू हुआ था, उसके मुकाबले इस बार का स्वाइन फ्लू कम पावरफुल है, हालांकि उसके वायरस ने इस बार स्ट्रेन बदल लिया है यानी पिछली बार के वायरस से इस बार का वायरस अलग है।

कैसे फैलता है

जब आप खांसते या छींकते हैं तो हवा में या जमीन पर या जिस भी सतह पर थूक या मुंह और नाक से निकले द्रव कण गिरते हैं, वह वायरस की चपेट में आ जाता है। यह कण हवा के द्वारा या किसी के छूने से दूसरे व्यक्ति के शरीर में मुंह या नाक के जरिए प्रवेश कर जाते हैं। मसलन, दरवाजे, फोन, कीबोर्ड या रिमोट कंट्रोल के जरिए भी यह वायरस फैल सकते हैं, अगर इन चीजों का इस्तेमाल किसी संक्रमित व्यक्ति ने किया हो।

शुरुआती लक्षण

- नाक का लगातार बहना, छींक आना, नाक जाम होना।

- मांसपेशियां में दर्द या अकड़न महसूस करना।

- सिर में भयानक दर्द।

- कफ और कोल्ड, लगातार खांसी आना।

- उनींदे रहना, बहुत ज्यादा थकान महसूस होना।

- बुखार होना, दवा खाने के बाद भी बुखार का लगातार बढ़ना।

- गले में खराश होना और इसका लगातार बढ़ते जाना।

नॉर्मल फ्लू से कैसे अलग

सामान्य फ्लू और स्वाइन फ्लू के वायरस में एक फर्क होता है। स्वाइन फ्लू के वायरस में चिड़ियों, सूअरों और इंसानों में पाया जाने वाला जेनेटिक मटीरियल भी होता है। सामान्य फ्लू और स्वाइन फ्लू के लक्षण एक जैसे ही होते हैं, लेकिन स्वाइन फ्लू में यह देखा जाता है कि जुकाम बहुत तेज होता है। नाक ज्यादा बहती है। पीसीआर टेस्ट के माध्यम से ही यह पता चलता है कि किसी को स्वाइन फ्लू है। स्वाइन फ्लू होने के पहले 48 घंटों के भीतर इलाज शुरू हो जाना चाहिए। पांच दिन का इलाज होता है, जिसमें मरीज को टेमीफ्लू दी जाती है।

कब तक रहता है वायरस

एच1एन1 वायरस स्टील, प्लास्टिक में 24 से 48 घंटे, कपड़े और पेपर में 8 से 12 घंटे, टिश्यू पेपर में 15 मिनट और हाथों में 30 मिनट तक एक्टिव रहते हैं। इन्हें खत्म करने के लिए डिटर्जेंट, एल्कॉहॉल, ब्लीच या साबुन का इस्तेमाल कर सकते हैं। किसी भी मरीज में बीमारी के लक्षण इन्फेक्शन के बाद 1 से 7 दिन में डिवेलप हो सकते हैं। लक्षण दिखने के 24 घंटे पहले और 8 दिन बाद तक किसी और में वायरस के ट्रांसमिशन का खतरा रहता है।

चिंता की बात

इस बीमारी से लड़ने के लिए सबसे जरूरी है दिमाग से डर को निकालना। ज्यादातर मामलों में वायरस के लक्षण कमजोर ही दिखते हैं। जिन लोगों को स्वाइन फ्लू हो भी जाता है, वे इलाज के जरिए सात दिन में ठीक हो जाते हैं। कुछ लोगों को तो अस्पताल में एडमिट भी नहीं होना पड़ता और घर पर ही सामान्य बुखार की दवा और आराम से ठीक हो जाते हैं। कई बार तो यह ठीक भी हो जाता है और मरीज को पता भी नहीं चलता कि उसे स्वाइन फ्लू था। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट बताती है कि जिन लोगों का स्वाइन फ्लू टेस्ट पॉजिटिव आता है, उनमें से इलाज के दौरान मरने वालों की संफ्या केवल 0.4 फीसदी ही है। यानी एक हजार लोगों में चार लोग। इनमें भी ज्यादातर केस ऐसे होते हैं, जिनमें पेशंट पहले से ही हार्ट या किसी दूसरी बीमारी की गिरफ्त में होते हैं या फिर उन्हें बहुत देर से इलाज के लिए लाया गया होता है।

यह रहें सावधान

5 साल से कम उम्र के बच्चे, 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं। जिन लोगों को निम्न में से कोई बीमारी है, उन्हें अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए :

- फेफड़ों, किडनी या दिल की बीमारी

- मस्तिष्क संबंधी (न्यूरोलॉजिकल) बीमारी मसलन, पर्किंसन

- कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग

- डायबीटीजं

- ऐसे लोग जिन्हें पिछले 3 साल में कभी भी अस्थमा की शिकायत रही हो या अभी भी हो। ऐसे लोगों को फ्लू के शुरुआती लक्षण दिखते ही डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

- गर्भवती महिलाओं का प्रतिरोधक तंत्र (इम्यून सिस्टम) शरीर में होने वाले हॉरमोन संबंधी बदलावों के कारण कमजोर होता है। खासतौर पर गर्भावस्था के तीसरे चरण यानी 27वें से 40वें सप्ताह के बीच उन्हें ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है।

अकसर पूछे जाने वाले सवाल

- अगर किसी को स्वाइन फ्लू है और मैं उसके संपर्क में आया हूं, तो क्या करूं?

सामान्य जिंदगी जीते रहें, जब तक फ्लू के लक्षण नजर नहीं आने लगते। अगर मरीज के संपर्क में आने के 7 दिनों के अंदर आपमें लक्षण दिखते हैं, तो डॉक्टर से सलाह करें।

- अगर साथ में रहने वाले किसी शफ्स को स्वाइन फ्लू है, तो क्या मुझे ऑफिस जाना चाहिए?

हां, आप ऑफिस जा सकते हैं, मगर आपमें फ्लू का कोई लक्षण दिखता है, तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं और मास्क का इस्तेमाल करें।

- स्वाइन फ्लू होने के कितने दिनों बाद मैं ऑफिस या स्कूल जा सकता हूं?

अस्पताल वयस्कों को स्वाइन फ्लू के शुरुआती लक्षण दिखने पर सामान्यत: 5 दिनों तक ऑब्जर्वेशन में रखते हैं। बच्चों के मामले में 7 से 10 दिनों तक इंतजार करने को कहा जाता है। सामान्य परिस्थितियों में व्यक्ति को 7 से 10 दिन तक रेस्ट करना चाहिए, ताकि ठीक से रिकवरी हो सके। जब तक फ्लू के सारे लक्षण खत्म न हो जाएं, वर्कप्लेस से दूर रहना ही बेहतर है।

- क्या किसी को दो बार स्वाइन फ्लू हो सकता है?

जब भी शरीर में किसी वायरस की वजह से कोई बीमारी होती है, शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र उस वायरस के खिलाफ एक प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेता है। जब तक स्वाइन फ्लू के वायरस में कोई ऐसा बदलाव नहीं आता, जो अभी तक नहीं देखा गया, किसी को दो बार स्वाइन फ्लू होने की आशंका नहीं रहती। लेकिन इस वक्त फैले वायरस का स्ट्रेन बदला हुआ है, जिसे हो सकता है शरीर का प्रतिरोधक तंत्र इसे न पहचानें। ऐसे में दोबारा बीमारी होने की आशंका हो सकती है।

दिल्ली में इलाज के लिए कहां जाएं

सरकारी अस्पताल

जीटीबी अस्पताल, दिलशाद गार्डन

एलएनजेपी अस्पताल, दिल्ली गेट

सफदरजंग अस्पताल, रिंग रोड

राम मनोहर लोहिया अस्पताल, बाबा खड़क सिंह मार्ग

दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल, हरिनगर

संजय गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल, मंगोलपुरी

लाल बहादुर शास्त्री हॉस्पिटल, खिचड़ीप़ुर

पं. मदन मोहन मालवीय अस्पताल, मालवीय नगर

बाबा साहब आंबेडकर हॉस्पिटल, रोहिणी

चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय, गीता कॉलोनी

भगवान महावीर अस्पताल, रोहिणी

महर्षि वाल्मीक अस्पताल, पूठ खुर्द

बाबू जगजीवन राम मेमोरियल अस्पताल, जहांगीरपुरी

अरुणा आसफ अली अस्पताल, राजपुर रोड

एयरपोर्ट हेल्थ ऑर्गनाइजेशन हॉस्पिटल, आईजीआई एयरपोर्ट

प्राइवेट हॉस्पिटल

मूलचंद हॉस्पिटल, लाजपतनगर

सर गंगाराम हॉस्पिटल, राजेंद्र नगर

अपोलो हॉस्पिटल, सरिता विहार

ऐक्शन बालाजी हॉस्पिटल, पश्चिम विहार

सेंट स्टीफंस हॉस्पिटल, तीस हजारी

एनसीआर में स्वाइन फ्लू सेंटर

नोएडा: डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल, नोएडा

गुड़गांव: सिविल हॉस्पिटल, ओल्ड गुड़गांव

फरीदाबाद: बादशाह खान (बीके) हॉस्पिटल, फरीदाबाद

गाजियाबाद: एमएमजे हॉस्पिटल, जसीपुरा मोड़, गाजियाबाद

स्वाइन फ्लू से बचाव और इसका इलाज

स्वाइन फ्लू न हो, इसके लिए क्या करें?

- साफ-सफाई का ध्यान रखा जाए और फ्लू के शुरुआती लक्षण दिखते ही सावधानी बरती जाए, तो इस बीमारी के फैलने के चांस न के बराबर हो जाते हैं।

- जब भी खांसी या छींक आए रूमाल या टिश्यू पेपर यूज करें।

- इस्तेमाल किए मास्क या टिश्यू पेपर को ढक्कन वाले डस्टबिन में फेंकें।

- थोड़ी-थोड़ी देर में हाथ को साबुन और पानी से धोते रहें।

- लोगों से मिलने पर हाथ मिलाने, गले लगने या चूमने से बचें।

- फ्लू के शुरुआती लक्षण दिखते ही अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

- अगर फ्लू के लक्षण नजर आते हैं तो दूसरों से 1 मीटर की दूरी पर रहें।

- फ्लू के लक्षण दिखने पर घर पर रहें। ऑफिस, बाजार, स्कूल न जाएं।

- बिना धुले हाथों से आंख, नाक या मुंह छूने से परहेज करें।

आयुर्वेद

ऐसे करें बचाव

इनमें से एक समय में एक ही उपाय आजमाएं।

- 4-5 तुलसी के पत्ते, 5 ग्राम अदरक, चुटकी भर काली मिर्च पाउडर और इतनी ही हल्दी को एक कप पानी या चाय में उबालकर दिन में दो-तीन बार पिएं।

- गिलोय (अमृता) बेल की डंडी को पानी में उबाल या छानकर पिएं।

- गिलोय सत्व दो रत्ती यानी चौथाई ग्राम पौना गिलास पानी के साथ लें।

- 5-6 पत्ते तुलसी और काली मिर्च के 2-3 दाने पीसकर चाय में डालकर दिन में दो-तीन बार पिएं।

- आधा चम्मच हल्दी पौना गिलास दूध में उबालकर पिएं। आधा चम्मच हल्दी गरम पानी या शहद में मिलाकर भी लिया जा सकता है।

- आधा चम्मच आंवला पाउडर को आधा कप पानी में मिलाकर दिन में दो बार पिएं। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

स्वाइन फ्लू होने पर क्या करें

यदि स्वाइन फ्लू हो ही जाए तो वैद्य की राय से इनमें से कोई एक उपाय करें:

- त्रिभुवन कीर्ति रस या गोदंती रस या संजीवनी वटी या भूमि आंवला लें। यह सभी एंटी-वायरल हैं।

- साधारण बुखार होने पर अग्निकुमार रस की दो गोली दिन में तीन बार खाने के बाद लें।

- बिल्वादि टैब्लेट दो गोली दिन में तीन बार खाने के बाद लें।

होम्योपैथी

कैसे करें बचाव

फ्लू के शुरुआती लक्षण दिखने पर इन्फ्लुएंजाइनम-200 की चार-पांच बूंदें, आधी कटोरी पानी में डालकर सुबह-शाम पांच दिन तक लें। इस दवा को बच्चों समेत सभी लोग ले सकते हैं। मगर डॉक्टरों का कहना है कि फ्लू ज्यादा बढ़ने पर यह दवा पर्याप्त कारगर नहीं रहती, इसलिए डॉक्टरों से सलाह कर लें। जिन लोगों को आमतौर पर जल्दी-जल्दी जुकाम खांसी ज्यादा होता है, अगर वे स्वाइन फ्लू से बचना चाहते हैं तो सल्फर 200 लें। इससे इम्यूनिटी बढ़ेगी और स्वाइन फ्लू नहीं होगा।

स्वाइन फ्लू होने पर क्या है इलाज

1: बीमारी के शुरुआती दौर के लिए

जब खांसी-जुकाम व हल्का बुखार महसूस हो रहा हो तब इनमें से कोई एक दवा डॉक्टर की सलाह से ले सकते हैं:

एकोनाइट (Aconite 30), बेलेडोना (Belladona 30), ब्रायोनिया (Bryonia 30), हर्परसल्फर (Hepursuphur 30), रसटॉक्स (Rhus Tox 30), चार-पांच बूंदें, दिन में तीन से चार बार।

2: अगर फ्लू के मरीज को उलटियां आ रही हों और डायरिया भी हो तो नक्स वोमिका (Nux Vomica 30), पल्सेटिला (Pulsatilla 30), इपिकॉक (Ipecac-30) की चार-पांच बूंदें, दिन में तीन से चार बार ले सकते हैं।

3: जब मरीज को सांस की तकलीफ ज्यादा हो और फ्लू के दूसरे लक्षण भी बढ़ रहे हों तो इसे फ्लू की एडवांस्ड स्टेज कहते हैं। इसके लिए आर्सेनिक एल्बम (Arsenic Album 30) की चार-पांच बूंदें, दिन में तीन-चार बार लें। यह दवा अस्पताल में भर्ती व ऐलोपैथिक दवा ले रहे मरीज को भी दे सकते हैं।

योग

शरीर के प्रतिरक्षा और श्वसन तंत्र को मजबूत रखने में योग मददगार साबित होता है। अगर यहां बताए गए आसन किए जाएं, तो फ्लू से पहले से ही बचाव करने में मदद मिलती है। स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले अभ्यास करें:

- कपालभाति, ताड़ासन, महावीरासन, उत्तानपादासन, पवनमुक्तासन, भुजंगासन, मंडूकासन, अनुलोम-विलोम और उज्जायी प्राणायाम तथा धीरे-धीरे भस्त्रिका प्राणायाम या दीर्घ श्वसन और ध्यान।

- व्याघ्रासन, यानासन व सुप्तवज्रासन। यह आसन लीवर को मजबूत करके शरीर में ताकत लाते हैं।

डाइट

- घर का ताजा बना खाना खाएं। पानी ज्यादा पिएं।

- ताजे फल, हरी सब्जियां खाएं।

- मौसमी, संतरा, आलूबुखारा, गोल्डन सेव, तरबूज और अनार अच्छे हैं।

- सभी तरह की दालें खाई जा सकती हैं।

- नींबू-पानी, सोडा व शर्बत, दूध, चाय, सभी फलों के जूस, मट्ठा व लस्सी भी ले सकते हैं।

- बासी खाना और काफी दिनों से फ्रिज में रखी चीजें न खाएं। बाहर के खाने से बचें।

मास्क की बात

न पहने मास्क

- मास्क पहनने की जरूरत सिर्फ उन्हें है, जिनमें फ्लू के लक्षण दिखाई दे रहे हों।

- फ्लू के मरीजों या संदिग्ध मरीजों के संपर्क में आने वाले लोगों को ही मास्क पहनने की सलाह दी जाती है।

- भीड़ भरी जगहों मसलन, सिनेमा हॉल या बाजार जाने से पहले सावधानी के लिए मास्क पहन सकते हैं।

- मरीजों की देखभाल करने वाले डॉक्टर, नर्स और हॉस्पिटल में काम करने वाला दूसरा स्टाफ।

- एयरकंडीशंड ट्रेनों या बसों में सफर करने वाले लोगों को ऐहतियातन मास्क पहन लेना चाहिए।

कितनी देर करता है काम

- स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए सामान्य मास्क कारगर नहीं होता, लेकिन थ्री लेयर सर्जिकल मास्क को चार घंटे तक और एन-95 मास्क को आठ घंटे तक लगाकर रख सकते हैं।

- ट्रिपल लेयर सजिर्कल मास्क लगाने से वायरस से 70 से 80 पर्सेंट तक बचाव रहता है और एन-95 से 95 पर्सेंट तक बचाव संभव है।

- वायरस से बचाव में मास्क तभी कारगर होगा जब उसे सही ढंग से पहना जाए। जब भी मास्क पहनें, तब ऐसे बांधें कि मुंह और नाक पूरी तरह से ढक जाएं क्योंकि वायरस साइड से भी अटैक कर सकते हैं।

- एक मास्क चार से छह घंटे से ज्यादा देर तक न इस्तेमाल करें, क्योंकि खुद की सांस से भी मास्क खराब हो जाता है।

कैसा पहनें

- सिर्फ ट्रिपल लेयर और एन 95 मास्क ही वायरस से बचाव में कारगर हैं।

- सिंगल लेयर मास्क की 20 परतें लगाकर भी बचाव नहीं हो सकता।

- मास्क न मिले तो मलमल के साफ कपड़े की चार तहें बनाकर उसे नाक और मुंह पर बांधें। सस्ता व सुलभ साधन है। इसे धोकर दोबारा भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

ध्यान रखें कि

- जब तक आपके आस-पास कोई मरीज या संदिग्ध मरीज नहीं है, तब तक मास्क न लगाएं।

- अगर मास्क को सही तरीके से नष्ट न किया जाए या उसका इस्तेमाल एक से ज्यादा बार किया जाए तो स्वाइन फ्लू फैलने का खतरा और ज्यादा होता है।

- खांसी या जुकाम होने पर मास्क जरूर पहनें।

- मास्क को बहुत ज्यादा टाइट पहनने से यह थूक के कारण गीला हो सकता है।

- अगर यात्रा के दौरान लोग मास्क पहनना चाहें तो यह सुनिश्चित कर लें कि मास्क एकदम सूखा हो। अपने मास्क को बैग में रखें और अधिकतम चार बार यूज करने के बाद इसे बदल दें।

कीमत
- थ्री लेयर सजिर्कल मास्क : 10 से 12 रुपये

Sunday 8 February 2015

Important days and dates celeberated


IMPORTANT DAYS YOU SHOULD KNOW
=============================
January
January 1 --------- Global Family Day
January 15 --------- Army Day
January 23 --------- Netaji Subhash Chandra Bose's birth anniversary
January 26 --------- Republic Day
January 26 --------- International Customs day
January 28 --------- Birth anniversary of Lala Lajpat Rai
January 28 --------- Data Protection Day
January 30 --------- World Leprosy Eradication Day
February
February 4 --------- World Cancer Day
February 5 --------- Kashmir Day
February 6 --------- International Day against Female Genital Mutilation
February 12 --------- Darwin Day
February 12 --------- World Day of the Sick
February 14 --------- Valentine’s Day
February 20 --------- World Day of Social Justice
February 21 --------- International Mother Language Day
February 22 --------- World Scout Day
February 23 --------- World Peaces and Understanding Day
March
March 4 --------- World Day of the Fight Against Sexual Exploitation
March 8 --------- International Womens' Day
March 13 --------- World Kidney Day
March 13 --------- World Rotaract Day
March 15 --------- World Consumer Rights Day
March 20 --------- International Day of the Francophonie
March 20 --------- World Day of Theatre for Children and Young People
March 21 --------- World Sleep Day
March 21 --------- World Forestry Day
March 21 --------- International Day for the Elimination of Racial Discrimination.
March 22 --------- World Water Day
March 23 --------- World Meteorological Day
March 24 --------- World TB Day
March 24 --------- International Day for Achievers
March 25 --------- International Day of Remembrance - Victims of Slavery and Transatlantic Slave Trade
March 27 --------- World Drama Day
April
April 2 --------- World Austism Awareness Day
April 7 --------- World Health Day
April 17 --------- World Haemophilia Day
April 18 --------- World heritage Day
April 22 --------- Earth Day
April 23 --------- World Book and Copyright Day
April 25 --------- World Malaria Day
April 29 --------- International Dance Day
May
May 1 --------- International Labour day
May 3 --------- Press Freedom Day
May 4 --------- Coal Miners day
May 8 --------- World Red Cross day
May 9 --------- - Victory Day
May 11 --------- National Technology Day
May 12 --------- International Nurses day
May 14 --------- World Migratory day
May 15 --------- International Day of the Family
May 17 --------- World Information Society Day
May 21 --------- Anti-Terrorism Day
May 31 --------- World No Tobacco Day
June
June 4 --------- International day of Innocent Children Victims of Aggression
June 5 --------- World Environment Day
June 7 --------- International Level Crossing Awareness Day
June 8 --------- World oceans Day
June 12 --------- World Day against Child Labour
June 14 --------- World Blood Donor day
June 17 --------- World Day to Combat Desertification and Drought
June 20 --------- World Refugee Day
June 23 --------- United Nations Public Service Day
June 23 --------- International widow's day
June 26 --------- International Day against Drug Abuse and IIlicit Trafficking
June 27 --------- International Diabetes Day
July
July 1 --------- National doctor's Day
July 11 --------- World Population Day
July 12 --------- Malala Day
July 18 --------- Nelson Mandela International Day
July 28 --------- World Nature Conservation day
July 30 --------- International Day of Friendship
August
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September 8 --------- Intern

Wednesday 4 February 2015

केंद्रीय कर्मियों के डीए में छह फीसदी की बढ़ोतरी


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केंद्रीय कर्मियों के डीए में छह फीसदी की बढ़ोतरी
ब्यूरो / अमर उजाला, इलाहाबाद
केंद्रीय कर्मियों के लिए राहत वाली खबर है। जनवरी-2015 से उन्हें महंगाई भत्ते (डीए) में छह फीसदी की बढ़ोतरी का लाभ मिलना तय हो गया है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर गणना करते हुए विशेषज्ञों ने पिछले महीने ही इस वृद्धि का सटीक आंकलन कर लिया था। दिसंबर का सूचकांक जारी होने के बाद छह फीसदी की बढ़ोतरी पक्की हो गई है। केंद्रीय कर्मियों के साथ ही केंद्रीय पेंशनरों, राज्य के कर्मचारियों और पेंशनरों को भी जनवरी-2015 से इस वृद्धि का लाभ मिलेगा।
कर्मचारियों को जुलाई 2014 में सात फीसदी डीए वृद्धि का लाभ मिला था, सो वर्तमान में उन्हें कुल 107 फीसदी डीए मिल रहा है और छह फीसदी की बढ़ोतरी के बाद कुल महंगाई भत्ता 113 फीसदी हो जाएगा।
डीए वृद्धि का वर्षों से सटीक आंकलन कर रहे सिविल एकाउंट्स ब्रदरहुड एजीयूपी के पूर्व अध्यक्ष हरिशंकर तिवारी ने नवंबर माह के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर निर्धारित फार्मूले पर गणना करते हुए छह फीसदी की बढ़ोतरी का आंकलन किया था।
हालांकि विशेषज्ञों को दिसंबर माह का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक जारी होने का इंतजार था। विशेषज्ञों ने पहले ही कह दिया था कि दिसंबर के सूचकांक में कोई बड़ा उलटफेर नहीं हुआ तो छह फीसदी की बढ़ोतरी तय है। अगस्त से नवंबर तक का सूचकांक 253 अंकों पर स्थिर बना हुआ था।
विशेषज्ञों का अनुमान था कि दिसंबर के सूचकांक में एक या दो अंक की गिरवट आएगी या वह स्थिर रहेगा। अनुमान सही साबित हुआ। 30 जनवरी को जारी दिसंबर का सूचकांक भी 253 पर स्थिर रहा और इसी के साथ केंद्रीय कर्मियों के महंगाई भत्ते में छह फीसदी की बढ़ोतरी पक्की हो गई।
हरिशंकर तिवारी का कहना है कि दिसंबर के सूचकांक के आधार पर छह फीसदी की बढ़ोतरी तय हो गई है। अब सरकार की तरफ से औपचारिक घोषणा होने का इंतजार है। नियमत: मार्च 2015 के वेतन के साथ इसका भुगतान हो जाना चाहिए।