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Monday 18 April 2016

नयी पेंशन योजना व पुरानी पेंशन योजना में अन्तर

हमारे बहुत से साथी नयी पेंशन योजना व पुरानी पेंशन योजना में अन्तर नहीं जानते आज मैं आप को इसका अन्तर स्पष्ट करने की कोशिश करूगाँ -
तो आइए देखते हैं दोनो में अन्तर -
1-पुरानी पेंशन पाने वालों के लिए जी0 पी0 एफ0 सुविधा उपलब्ध है जबकि नयी पेंशन योजना में जी0 पी 0एफ0 नहीं है ।
2-पुरानी पेंशन के लिए वेतन से कोई कटौती नहीं होती है जबकि नयी पेंशन योजना में वेतन से प्रति माह 10%की कटौती निर्धारित है ।
3-पुरानी पेंशन योजना में रिटायरमेन्ट के समय एक निश्चित पेंशन( अन्तिम वेतन का 50%) की गारेण्टी है जबकि नयी पेंशन योजना में पेंशन कितनी मिलेगी यह निश्चित नहीं है यह पूरी तरह शेयर मार्केट व बीमा कम्पनी पर निर्भर है ।
4-पुरानी पेंशन सरकार देती है जबकि नयी पेंशन बीमा कम्पनी देगी । यदि कोई समस्या आती है तो हमे सरकार से नहीं बल्कि बीमा कम्पनी से लडना पडेगा ।
5-पुरानी पेंशन पाने वालों के लिए रिटायरमेंट पर ग्रेच्युटी( अन्तिम वेतन के अनुसार 16.5माह का वेतन) मिलता है जबकि नयी पेंशन वालों के लिये ग्रेच्युटी की कोई व्यवस्था नहीं है ।
6-पुरानी पेंशन वालों को सेवाकाल में मृत्यु पर डेथ ग्रेच्युटी मिलती है जो 7पे कमीशन ने 10लाख से बढाकर 20लाख कर दिया है जबकि नयी पेंशन वालों के लिए डेथ ग्रेच्युटी की सुविधा समाप्त कर दी गयी है ।
7-पुरानी पेंशन में आने वाले लोंगों को सेवाकाल में मृत्यु होने पर उनके परिवार को पारिवारिक पेंशन मिलती है जबकि नयी पेंशन योजना में पारिवारिक पेंशन को समाप्त कर दिया गया है ।
8-पुरानी पेंशन पाने वालों को हर छ: माह बाद महँगाई तथा वेतन आयोगों का लाभ भी मिलता है जबकि नयीपेंशन में फिक्स पेंशन मिलेगी महँगाई या वेतन आयोग का लाभ नहीं मिलेगा यह हमारे समझ से सबसे बडी हानि है ।
9-पुरानी पेंशन योजना वालों के लिए जी0 पी0 एफ0 से आसानी से लोन लेने की सुविधा है जबकि नयी पेंशन योजना में लोन की कोई सुविधा नही है( विशेष परिस्थिति में कठिन प्रक्रिया है केवल तीन बार वह भी रिफण्डेबल) ।
11-पुरानी पेंशन योजना में जी0 पी0 एफ0 निकासी( रिटायरमेंट के समय) पर कोई आयकर नहीं देना पडता है जबकि नयी पेंशन योजना में जब रिटायरमेंट पर जो जो अंशदान का 60%वापस मिलेगा उसपर आयकर लगेगा
12-जी 0पी0एफ0पर ब्याज दर निश्चित है जबकि एन0 पी0 एस0 पूरी तरह शेयर पर आधारित है ।

Thursday 31 March 2016

Story of April fool- why it is celebrated

अप्रैल फूल" किसी को कहने से पहले
इसकी
वास्तविक सत्यता जरुर जान ले.!!
पावन महीने की शुरुआत को मूर्खता दिवस
कह रहे
हो !!
पता भी है क्यों कहते है अप्रैल फूल (अप्रैल फुल
का
अर्थ है - हिन्दुओ का मूर्खता दिवस).??
ये नाम अंग्रेज ईसाईयों की देन है…
मुर्ख हिन्दू कैसे समझें "अप्रैल फूल" का मतलब बड़े
दिनों से बिना सोचे समझे चल रहा है अप्रैल फूल,
अप्रैल फूल ???
इसका मतलब क्या है.?? दरअसल जब ईसाइयत अंग्रेजो
द्वारा हमे 1 जनवरी का नववर्ष थोपा गया तो उस
समय लोग विक्रमी संवत के अनुसार 1 अप्रैल से
अपना
नया साल बनाते थे, जो आज भी सच्चे हिन्दुओ
द्वारा मनाया जाता है, आज भी हमारे बही
खाते
और बैंक 31 मार्च को बंद होते है और 1 अप्रैल से शुरू
होते है, पर उस समय जब भारत गुलाम था तो ईसाइयत
ने विक्रमी संवत का नाश करने के लिए साजिश करते
हुए 1 अप्रैल को मूर्खता दिवस "अप्रैल फूल" का नाम
दे दिया ताकि हमारी सभ्यता मूर्खता लगे अब आप
ही सोचो अप्रैल फूल कहने वाले कितने
सही हो
आप.?
यादरखो अप्रैल माह से जुड़े हुए इतिहासिक दिन और
त्यौहार
1. हिन्दुओं का पावन महिना इस दिन से शुरू होता है
(शुक्ल प्रतिपदा)
2. हिन्दुओ के रीति -रिवाज़ सब इस दिन के कलेण्डर
के अनुसार बनाये जाते है।

6. आज का दिन दुनिया को दिशा देने वाला है।
अंग्रेज ईसाई, हिन्दुओ के विरुध थे इसलिए हिन्दू के
त्योहारों को मूर्खता का दिन कहते थे और आप
हिन्दू भी बहुत शान से कह रहे हो.!!
गुलाम मानसिकता का सुबूत ना दो अप्रैल फूल लिख
के.!!
अप्रैल फूल सिर्फ भारतीय सनातन कलेण्डर, जिसको
पूरा विश्व फॉलो करता था उसको भुलाने और
मजाक उड़ाने के लिए बनाया गया था। 1582 में पोप
ग्रेगोरी ने नया कलेण्डर अपनाने का फरमान
जारी
कर दिया जिसमें 1 जनवरी को नया साल का प्रथम
दिन बनाया गया।
जिन लोगो ने इसको मानने से इंकार किया, उनको 1
अप्रैल को मजाक उड़ाना शुरू कर दिया और धीरे-
धीरे
1 अप्रैल नया साल का नया दिन होने के बजाय मूर्ख
दिवस बन गया।

Monday 7 March 2016

Welcome cup Tea...

I have read this msg many times but whenever I get it again, I feel like sharing it again..

Welcome cup Tea... very touching...

A group of 15 solders led by a Major were on their way to the post in Himalayans where they would be deployed for the next 3 months. The batch who would  be relieved waiting anxiously.

It was cold winter & intermittent snowfall made the treacherous climb more difficult.

If someone could offer a cup of tea. . the major thought, knowing it was a futile wish..

They continued for an hour before they came across a dilapidated structure, which looked like a tea shop but locked. It was late in the night.

"No tea boys, bad luck", said the major. But he suggested all take some rest there as they have been walking for 3 hours.
"Sir, this is a tea shop and we can make tea... We will have to break the lock", suggested one solder.

The officer was in great dilemma to the unethical suggestion but the thought of a steaming cup of tea for the tired solders made him to give the permission.

They were in luck, the place had everything needed to make tea and also packets of biscuits.
The solders had tea & biscuits and  were ready for the remaining journey.

The major thought, they had broken open lock and had tea & biscuits without the permission of the owner. But they're not a band of thieves but disciplined soldiers.
He took out a Rs 1000/- note from his wallet, placed it on the  counter, pressed under sugar container, so that the owner can see.

The officer was now relieved of his guilt. He ordered to put the shutter down and proceed.

Three months passed, they continued to  do gallantly in their works and were lucky not to loose anyone from the group in the intense insurgency situation.
It was time for another team to replace them.

Soon they were on their way back and stopped at the same tea shop which was open and owner was present in the shop.
The owner an old man will meager resources was very happy to greet 15 customers.

All of them had tea and biscuits. They talked to the old man about his life and  experience specially selling tea at such a remote place.

The old man had many stories to tell, replete with his faith in God.
"Oh, Baba, if God is there, why should He keep you in such poverty?", commented one of them.

"Do not say  like that Sahib! God actually is there, I got a proof 3 months ago."
"I was going through very tough times because my only son had been severely beaten by terrorist who wanted some information from him which he did not have. I had closed my shop to take my son to hospital. Some medicines were to be purchased and I had no money. No one would give
me loan for fear of the terrorists. There was no hope, Sahib".

"And that day Sahib, I prayed to God for help. And Sahib, God walked into my shop that day."
"When I returned to my shop, I found lock broken, I felt I was finished, I lost whatever little I had. But then I saw that God had left Rs 1000/ under the sugar pot. I can't tell you Sahib what that money was worth that day. God exists Sahib. He does."

The faith in his eyes were unflinching.
Fifteen pairs of eyes met the eyes of the officer and read the order in his eyes clear and unambiguous, "Keep quiet".

The officer got up and paid the bill. He hugged the old man and said, "Yes Baba, I know God does exist. And yes, the tea was wonderful."

The the 15 pairs of eyes did not miss to notice the moisture building up in the eyes of their officer, a rare sight.

The truth is u can be God to anyone.

(shared by a soldier)

Tuesday 23 February 2016

3 1/2 minutes risk

Pls note this as very important for all shared by a  doctor. - for those who get up at night from sleep to urinate or early morning : Each individual must take note of the 3 x 1/2 minutes. Why is it important? 3 x 1/2 minutes  will greatly reduce the number of sudden deaths. Often this occurs, a person who still look healthy, has died in the night. Often we hear stories of people, yesterday I was chatting with him, why did he suddenly die? The reason is that when you wake up at night to go to the bathroom is often done in a rush. Immediately we stand, the brain lacks blood flow. Why "3 x 1/2 minute" very important?   In the middle of the night when you are awakened by the urge to urinate for example, ECG pattern can change. Because getting up suddenly, the brain will be anaemic and causes heart failure due to lack of blood. Advised to practice "3 1/2 minutes," which are:
1. When waking from sleep, lie in bed for the 1st 1/2 minute;
2. Sit in bed for the next 1/2 minute;
3. Lower your legs, sitting on the edge of the bed for the last half-minute. After 3 x 1/2 minutes, you will not have  anaemic brain and heart will not fail, reducing the possibility of a fall and sudden death.
Share with family, friends & loved ones. It can occur regardless of age; young or old.
Sharing is Caring. If you already know, regard this as refresher."

Friday 19 February 2016

General rules for employees


ज्वाइन से एक साल तक जैसे - 10 दिसम्बर 2015 को किया तो 9 दिसम्बर 2016 तक 12 CL मिलेगी
इसका कोई नियम लेखविज्ञ में हो तो बताइये

जब स्थाईकरण फॉर्म भरा जाता हे 2 वर्ष की समाप्ति पर तो उसमे CL की गणना वर्ष के अनुसार ही होती हे
प्रथम वर्ष की CL
द्वितीय वर्ष की CL
न की जुलाई से जून

बहुत से अध्यापक जानकारी के अभाव में परिवीक्षा काल की CL की गणना भी जुलाई से जून कर लेते हे
फिर जब स्थाईकरण फॉर्म के समय समस्या आती हे
क्योकि मेरे कुछ साथियो ने भी ऐसा किया था बाद में DEO ने उनके फॉर्म पर नोट लगा के वापस लोटा दिए की CL की गणना नियुक्ति तिथि से करो न की जुलाई से जून
फिर जब उन्होंने नियुक्ति तिथि से गणना की तो किसी के 15 CL किसी 14 CL हो गयी
उन अध्यापको को 12 CL से ज्यादा होने वाले दिनों का वेतन चालान से वापस जमा करवाना पडा था
इसलिए सुझाव हे की परिवीक्षा कॉल में CL की गणना नियुक्ति तिथि से ही करे
ताकि आगे आपको परेशानी न हो

             CL क्या है
          

CL = आकस्मिक अवकाश

CL - कार्मिक का अधिकारी नहीं हे। संस्था प्रधान की स्वीकृति से ही ले सकते हे विशेष परिस्थिति (बीमारी, अस्पताल, अंत्येष्टि) को छोड़ कर ।

CL - अस्थाई कार्मिक को एक वर्ष में 12
CL - स्थाई कार्मिक को एक वर्ष में 15
एक साथ में 10 CL से ज्यादा नहीं ले सकते और अगर 3 दिन आप विद्यालय जाने में 1 घण्टे से कम समय  लेट हो जाते हे तो 1 CL और 1 घण्टे के बाद आधी CL कटेगी।
अगर कार्मिक बिना सुचना विद्यालय में नहीं आता हे तो संस्था प्रधान उसके कॉलम में ? मार्क लगाएगा ।
जब कार्मिक विद्यालय में उपस्थित होगा तब कारन बताओ नोटिस जारी होगा फिर कार्मिक संस्था प्रधान को कारण बताएगा ।
संस्था प्रधान को लगे तो वो उसकी CL स्वीकृत करे नहीं तो PL या HPL की भी स्वीकृति लेनी होगी ।

प्रोबेशन में CL के नियम का 12 CL की गणना कब से कब होगी

परिवीक्षा काल में नियुक्ति तिथि से गणना की जाती हे
परिविक्षा काल में CL की गणना नियुक्ति तिथि  से की जाती
CL वर्ष में 12 मिलती हे और आप कभी भी ले सकते हो
बस एक साथ 10 से ज्यादा नहीं इसको लेकर काफी भ्रान्ति हे की 1 महीने की एक मिलती हे ये गलत हे वर्ष की 12 मिलती है

परिवीक्षा काल में कितनी छुटियाँ मिलती है

परीवीक्षा काल आगे नही बढाना है तो 30 दिन ही अवैतनिक रहे !!!
90 दिन तक नियुक्त अधिकारी उससे ज्यादा का एडमिनिस्ट्रेशन और उससे अधिक वित्त विभाग स्वीकृति देगा
नोट= सभी स्थिति में (केवल 30 दिवस को छोड़कर) परीवीक्षा काल आगे बढेगा।

पहले 22/5/09 के अनुसार 90 दिन से अधिक पर  प्रोबेशनर ट्रेनी में कार्यकाल बढा सकते है जो अधिकतम एक साल होगी।
प्रोबेशनर ट्रेनी 11/6/14 के बाद 30  दिवस तक ही अवैतनिक रह सकते हैं ।ये नये आदेश है पहले 90 दिन तक के लिए मान्य था ।
अतः अब 30 दिन ही मान्य है ।।

आकस्मिक अवकाश के नियम :
⏩⏩⏩⏩⏩
.
1⃣
CS Pb No. 4376-G-II-59/27671 दिनांक 28 मई 1959 के अनुसार एक वर्ष में कर्मचारियों को आकस्मिक अवकाश इस प्रकार देय होगा
10 वर्ष या 10 वर्ष से कम सेवा वाले कर्मचारिओं के लिए – 10 दिन
10 वर्ष से अधिक लेकिन 20 वर्ष या 20 वर्ष से कम सेवा वाले कर्मचारिओं के लिए – 15 दिन
20 वर्ष से अधिक सेवा वाले कर्मचारिओं के लिए – 20 दिन
अन्य समाधान :
यदि एक कर्मचारी अपनी 10 वर्ष या 20 वर्ष की सेवा वर्ष के बीच मेँ पूरी करता है तो उनकी Casual Leave किस प्रकार Calculate करेंगे ?
आकस्मिक अवकाश की अवधि कितनी हो सकती है व बीच में आने वाली अन्य अवकाश की किस प्रकार गणना की जाती है ?
Casual Leave लेकर कितने दिन तक Absent from Duty रहा जा सकता है ?
इन सभी प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए व आकस्मिक अवकाश के बारे में अन्य महत्वपूर्ण जानकारी के लिए निम्न Letter डाऊनलोड कर सकते हैं -
CS Pb No. 4376-G-II-59/27671
2⃣
सभी महिला कर्मचारियों की सेवा वर्ष की संख्या की परवाह किए बगैर वे हर साल 20 दिनों के आकस्मिक अवकाश की हकदार होंगी।
अधिक जानकारी के लिए निम्न पत्र डाउनलोड कर सकते है –
F.D. HR. No. 11/16/89-1Fr-II
3⃣
नए भर्ती हुए कर्मचारी को आकस्मिक अवकाश के नियम :
30 जून या 30 जून से पहले सेवा में आने पर – 10 दिन
30 जून के बाद व 30 सितम्बर से पहले सेवा में आने पर – 5 दिन
30 सितंबर के बाद सेवा में आने पर – 2 दिन
4⃣
देर से उपस्थिति के लिए दंड प्रक्रिया के बारे में
letter No. 8644-GSII-765/35042, dated 22nd October, 1965 के अनुसार यदि कोई कर्मचारी 3 दिन देर से उपस्थित होता है तो कर्मचारी के खाते से 1 आकस्मिक अवकाश काटा जा सकता है।
अधिक जानकारी के लिए निम्न पत्र डाउनलोड कर सकते है –
8644-GSII-765/35042
5⃣
छोटी छुट्टी के लेखांकन के लिए प्रक्रिया
(1) दो घंटे या उससे कम की अल्पावधि छुट्टी एक तिहाई दिन के आकस्मिक अवकाश के रूप में माना जाना चाहिए.
(2) दो घंटे से अधिक व साढ़े तीन घंटे तक के लिए लघु छुट्टी आधे दिन का आकस्मिक अवकाश के रूप में माना जाना चाहिए,
(3) इसे साढ़े तीन से अधिक है, तो और पूरे दिन के आकस्मिक अवकाश के रूप में माना जाए
(4) लघु छुट्टी का खाता शाखा / कार्यालय में बनाए आकस्मिक छुट्टी खाते में समायोजित किया जाना चाहिए.
letter No. 4295-4GS (1l)-65/27841
6⃣
यदि स्थानांतरण या प्रमोशन या अन्य किसी कारण से दूसरे स्थान पर उसी पद पर या नए पद पर duty join करनी पड़ती है और उसके कारण किसी कर्मचारी को अपना आवास बदलना पड़ता है तो joining time में preparatory leave के रूप में 6 कार्यदिवस ( इसमें केवल रविवार तथा Vacation को छोड़ा जाता है। अन्य किसी छूटी को नही ) तथा Journey के लिए 150 किलोमीटर या उसके भाग हेतू एक दिन या वास्तविक समय जो अधिक लगता है, मिलेगा । 8 किलोमीटर की दूरी के अंदर यह सुविधा उपलब्ध नहीं है । यह लूविधा CSR Part I, Chapter 9 के अंतर्गत उपलब्ध है ।
7⃣
(F.D. Hr. No. 5/1/3 PR(FD)-80 दिनांक 16.3.82 के अनुसार यदि स्थानांतरण के समय किसी कर्मचारी का जनहित मे Joining Time (6 कार्यदिवस) नही दिया जाता वह उसके बदले उसी सत्र में विशेष आकस्मिक अवकाश लेले का अधिकारी है।
8⃣
CS Hr. No. 8488-2GS-II-72/4165 दिनांक 13.2.73 के अनुसार कर्मचारियों को नसबंदी आपरेशन के लिए 6 दिन का आकस्मिक अवकाश मिलता है। महिला कर्मियों को Non Pueppral Sterlization के लिए 14 दिन का तथा IUCD Insertions के लिए एक दिन का आकस्मिक अवकाश मिलता है ।
9⃣
CS Hr. No. 28/6/78-GS-II Dated 16.3.78 के अनुसार नसबंदी आपरेशन फ़ेल हो जाने पर पुनः नसजोड़ आपरेशन करवाने के लिए पुरुष कर्मियों को 14 दिन का तथा महिला कर्मियों को 21 दिन का आकस्मिक अवकाश मिलता है ।
1⃣0⃣
CS. Pb. No. 3446-8-GS-62/9556 दिनांक 26.3.62 के अनुसार मान्यता प्राप्त संगठनो के चुने हुए प्रतिनिधियों को बैठकों व सम्मेलनों मे भाग लेने के लिए वर्ष में दस विशेष आकस्मिक अवकाश मिलते है। जिनमे से आधे कर्मचारी के खाते से कम हो जाते है।
1⃣1⃣
CS. Hr. No. 27/38/78/-2GS-II दिनांक 24.10.90 के अनुसार राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय खेलों में भाग लेने, इससे संबधित यात्रा अथवा पूर्व प्रशिक्षण अवधि को आन ड्यूटी माना जाता है । उपरोक्त पत्र के अनुसार दिये गए अन्य कुछ मान्यता प्राप्त कोचिंग कैंप, पर्वतारोहण, तथा ट्रेकिंग में भाग लेने हेतु एक वर्ष में अधिकतम 30 दिन तक का आकस्मिक अवकाश प्राप्त होता है
1⃣2⃣
CS. Hr. No. 28/22/78 Dated 9.8.79 के अनुसार रक्तदान करने वाले दिन सहित 2 दिन का विशेष आकस्मिक अवकाश मिलता है ।

Sunday 14 February 2016

Interesting daily tips

1. किसी चीज से ध्यान हटाने के लिए कोई पहेली या “सुडोकू” हल कीजिए।
2. सोचो, अगर आपका अपहरण हो जाए और हाथ-पैर बांध दिए जाए तो मुंह पर चिपके टेप को उतारने के लिए उसे चाटना शुरू करे। वह खुदबखुद गिर जाएगा।
3. अगर कपड़े सिकुडकर छोटे हो गए हैं तो उन्हें गर्म पानी और हेयर कंडीशनर के घोल में5 मिनिट के लिए भिगो दीजिए। वे वापस अपने पुराने साइज में आ जाएंगे।
4. अगर “Wikipedia” की इंग्लिश आपको बहुत कठिन लग रही है तो बांई तरफ सिम्पल इंग्लिश के ऑप्शन पर क्लिक कीजिए।
5. अपनी नाक बंद करके, तीन बार निगलने से आपको हिचकी में राहत मिलेगी।
6. जिम में Exercise करने से पहले एक संतरा खानेसे आपके शरीर में वर्क आउट के दौरान पानी की कमी नही होगी, साथ ही साथ आपके मसल्स में सूजन भी नहीं आएगी।
7. मूंगफली का उपयोग डाइनामाइट में किया जाताहै।
8. अगर आपको लगता है कि कोई आपको “गलत नंबर” दे रहा है तो इसे जांचने के लिए उन्हें इसे कुछ डीजिट बदलकर पढ़कर सुना दीजिए और अगर वह आपकोसही नही करते हैं तो समझ लीजिए कि दिया गया नंबर गलत है।
9. सिगरेट पीने वाले लोग, सिगरेट न पीने वाले और सिगरेट पीना छोड़ चुके लोगों की तुलना मेंज्यादा तनावग्रस्त होते हैं।
10. अपने कमरे में पढ़ाई या एक्सरसाइज करते समय जूते पहने रहने से आपके दिमाग को लगता है कि आप व्यस्त हैं।
11. हवाई जहाज के पिछले हिस्से में बैठे यात्रियों के हवाई जहाज क्रैश होने की स्थिति में बचने की संभावना 40 प्रतिशत बढ़ी हुई होती है।
12. अगर आपको रात में लंबी दूरी तक गाड़ी चलानी है तो “Comedy” सुने। कॉमेडी सुनते हुएनींद लगना मुश्किल काम है।
13. मोबाइल पर चैटिंग करते हुए किसी समस्या काहल खोजना नामुमकिन है। अपने बीच की समस्या कोमिलकर सुलझाने की कोशिश करने से समस्या के सुलझने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
14. किसी नई जगह अगर टैक्सी ड्राइवर आपसे पूछेकि क्या आप आस-पास की किसी जगह से हैं तो हां कर दीजिए। कभी-कभी ड्राइवर किराया बढ़ाने के लिए आपको दूर ले जाते हैं।
15. “Alexander Graham Bell”, जिन्होने टेलीफोन की खोज की थी, ने अपनी पत्नी और मां को कभी फोन नहीं किया क्योंकि वे दोनों बहरी थीं।
16. तितलीयों में स्वाद महसूस करने की क्षमता उनके पैरों में होती है।
17. द्वितीय विश्व युद्ध के समय धातु की इतनी कमी थी कि इस दौरान दिया गया ऑस्कर प्लास्टर का बना हुआ था।
18. अगर बिच्छू पर शराब की थोड़ी भी मात्रा गिर जाए तो यह तुरंत पागल होकर खुद को काट लेता है और मर जाता है।
19. पुस्तकालयो से सबसे ज्यादा चोरी होने वाली किताब “गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स” है।
20. खुद को गुदगुदी करना नामुमकिन है क्योंकि दिमाग इस बात को नकार देता है।

पढ़ने के बाद लाइक & शेयर ज़रूर कर दे !!!

Friday 23 October 2015

भारत की सुरक्षा परिषद में एंट्री रोकने के लिए चीन ने दी रिश्वत!


संयुक्त राष्ट्र महासभा के पूर्व प्रेसिडेंट जॉन एशे
को रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। एशे की
गिरफ्तारी के बाद भारत के इस संदेह को मजबूती मिली है
कि सुरक्षा परिषद की सुधार प्रक्रिया को बाधित करने के
लिए यूएन अधिकारियों को बतौर रिश्वत पैसे दिए जा रहे हैं।
जॉन एशे पर चीन से रिश्वत लेने का आरोप लगा है।
गौरतलब है कि अक्टूबर की शुरुआत में एंटिगुआ और बरबुडा के
पूर्व राजदूत जॉन एशे पर अमेरिकी अटॉर्नी अधिकारी प्रीत
भरारा ने चीनी कारोबारियों और अधिकारियों से 13
लाख डॉलर रिश्वत लेने का आरोप लगाया था। जॉन एशे को
यह रकम मकाऊ में संयुक्त राष्ट्र प्रायोजित कॉन्फ्रेंस सेंटर के
समर्थन के लिए दी गई थी।
भरारा ने यह आरोप भी लगाया कि चीनी नागरिकों ने
एंटिगुआ में कारोबार के लिए जॉन एशे को लाखों डॉलर
दिए। हालांकि, इस रिश्वत प्रकरण से जुड़ी ज्यादा बातें
फिलहाल सार्वजनिक नहीं की गई हैं। फिर भी यह समझने के
लिए यह प्रकरण काफी है कि चीन किस तरह से संयुक्त राष्ट्र
के कामकाज को प्रभावित कर रहा है।
भारत की दिलचस्पी इस दावे में ज्यादा है कि जॉन एशे को
चीनी हितों के संरक्षण के लिए यह रकम दी गई थी। इसी के
तहत भारत का यह मानना है कि इसका संबंध सुरक्षा परिषद
की सुधार प्रक्रिया से भी है क्योंकि चीन शुरू से इस सुधार
का विरोध करता रहा है।
विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मैनहट्टन के अटॉर्नी
प्रीत भरारा ने जॉन एशे की गिरफ्तारी के बाद कहा कि
जांच के बाद और भी आरोप लगाए जा सकते हैं। इसके साथ ही
जांच अधिकारी इस बात की भी तस्दीक कर रहे हैं कि संयुक्त
राष्ट्र के कामकाज में भ्रष्टाचार का किस कदर दखल है?

Monday 17 August 2015

२६ मुंह, ५२ हाथ वाली शिव प्रतिमा

२६ मुंह, ५२ हाथ वाली शिव प्रतिमा
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आइए आज अनूठी शिव प्रतिमाओं में से एक प्रतिमा के दर्शन कीजिए।
यह अनूठी प्रतिमा तमिलनाडू के सूचिंद्रम नामक स्थान पर प्रतिष्ठित है।
इस अनूठी प्रतिमा में भगवान शिव के २६ मुख लिंगाकार रूप में है।
भगवान के कुल ५२ हाथ भी इस प्रतिमा में देखे जा सकते हैं।
इस अद्भुत प्रतिमा को अपने तमाम ग्रुप में सेंड कर के अपने परिचितों को भी सावन सोमवार पर भगवान शिव के अप्रतिम रूप के दर्शन कराने का पुण्यलाभ लीजिए।

राजपूत वंशो के गोत्र प्रवरादि

राजपूत वंशो के गोत्र प्रवरादि

       प्रतिहार वंश के गोत्र-प्रवरादि

वंश                –           सूर्य वंश
गोत्र               –            कपिल
वेद                –           यजुर्वेद
शाखा             –           वाजस्नेयी
प्रवर               –  कश्यप, अप्सार, नैधुव
उपवेद            –            धनुर्वेद
कुल देवी         –         चामुंडा माता
वर देवी           –         गाजन माता
कुल देव           –       विष्णु भगवान
सूत्र                 –        पारासर
शिखा              –        दाहिनी
कुलगुरु            –        वशिष्ट
निकास            –         उत्तर
प्रमुख गादी   – भीनमाल, मंडोर,कन्नोज
ध्वज                – लाल (सूर्य चिन्ह युक्त)
वॄक्ष                 – सिरस
पितर          – नाहङराव, लूलर गोपालजी
नदी                  –        सरस्वती
तीर्थ                  –       पुष्कर राज
मन्त्र                  –      गायत्री जाप
पक्षी                   –       गरुड़
नगारा                 –        रणजीत
चारण                 –         लालस
ढोली                  – सोनेलिया लाखणिया विरद                  –   गुजरेश्वर, राणा ,

      तंवर (तोमर) वंश के गोत्र-प्रवरादि

वंश                –                चंद्रवंशी
कुल देवी         –             चिल्लाय माता
शाखा             –          मधुनेक,वाजस्नेयी
गोत्र                –        अत्रि, व्यागर, गागर्य
प्रवर                –  गागर्य,कौस्तुभ,माडषय
शिखा              –                  दाहिनी
भेरू                –                      गौरा
शस्त्र                –                    खड़ग
ध्वज                –                    पंचरगा
पुरोहित             –                    भिवाल
बारहठ              –        आपत केदार वंशी
ढोली                –      रोहतान जात का
स्थान                –  पाटा मानस सरोवर
कुल वॄक्ष            –         गुल्लर
प्रणाम               –          जय गोपाल
निशान              –     कपि(चील),चन्द्रमा
ढोल                 –              भंवर
नगारा             – रणजीत/जय, विजय, अजय
घोड़ा              –                श्वते
निकास           –                  हस्तिनापुर
प्रमुख गदी       –        इन्द्रप्रस्थ,दिल्ली
रंग                 –          हरा
नाई                –          क़ाला
चमार              –          भारीवाल
शंख                –          पिचारक
नदी                –       सरस्वति,तुंगभद्रा
वेद                 –            यजुर्वेद
सवारी             –             रथ
देवता               –            शिव
गुरु                  –             सूर्य
उपाधि             – जावला नरेश.दिल्लीपति

         राठोड़ वंश के गोत्र-प्रवरादि

गोत्र                   –        गोतमस्य
नदी                   –         सरयू
कुण्ड                 –         सूर्य
क्षेत्र                    –         अयोध्या
पुत्र                     –          उषा
पितृ                    –        सोमसायर
गुरु                     –        वशिष्ठ
पुरोहित               –         सोह्ड़
कुलदेवी              –       नागनेचिया
नख                    –       दानेसरा
वेद                     –     शुक्ल यजुर्वेद
घोड़ा                  –       दलसिंगार
तलवार               –        रणथली
माला                  –        रत्न
वंश                    –       इक्ष्वाकु (रघुवंशी)
धर्म                    –        सन्यास
बड़                    –         अक्षय
गऊ                    –         कपिला
नगारा                  –        रणजीत
निशान                 –        पंचरंगा
ढोल                    –         भंवर
दमामी                 –         देहधङो
भाट                    –         सिंगेल्या
बारहठ                 –         रोहङिया
शिखा                  –         दाहिनी
गादी                   –           लाहोर
चिन्ह                   –            चील
इष्ट                      –          सीताराम
सम्प्रदाय               –           रामानुज
पोथी                   -बडवा,रानीमंगा,कुलगुरु
शाखा                  –  साडा तेरह (131/2)
उपाधि                 –    रणबंका, कमध्व्ज

           परमार वंश के गोत्र-प्रवरादि
वंश             –         अग्निवंश
कुल            –          सोढा परमार
गोत्र            –           वशिष्ठ
प्रवर            –      वशिष्ठ, अत्रि ,साकृति
वेद              –       यजुर्वेद
उपवेद         –        धनुर्वेद
शाखा          –        वाजसनयि
प्रथम राजधानी        –    उज्जेन (मालवा)
कुलदेवी                 –   सच्चियाय माता
इष्टदेव                   –       सूर्यदेव महादेव
तलवार                  –        रणतरे
ढाल                      –        हरियण
निशान                  –      केसरी सिंह
ध्वजा                   –       पीला रंग
गढ                      –        आबू
शस्त्र                    –        भाला
गाय                     –       कवली
वृक्ष                      –    कदम्ब,पीपल
नदी                     –     सफरा (क्षिप्रा)
पाघ                     –     पंचरंगी
राजयोगी              –      भर्तहरी
संत                     –     जाम्भोजी
पक्षी                    –    मयूर
प्रमुख गादी           –    धार नगरी

गुहिलोत(सिसोदिया) वंश के गोत्र प्रवरादि

वंश  –  सूर्यवंशी,गुहिलवंश,सिसोदिया                      गोत्र          –       वैजवापायन
प्रवर         –       कच्छ, भुज, मेंष
वेद           –          यजुर्वेद
शाखा       –           वाजसनेयी
गुरु           –          द्लोचन(वशिष्ठ)
ऋषि        –            हरित
कुलदेवी    –             बाण माता
कुल देवता           –   श्री सूर्य नारायण
इष्ट देव               –    श्री एकलिंगजी
वॄक्ष                    –     खेजड़ी
नदी                    –      सरयू
झंडा                   –      सूर्य युक्त
पुरोहित               –       पालीवाल
भाट                   –       बागड़ेचा
चारण                 –      सोदा बारहठ
ढोल                   –      मेगजीत
तलवार               –       अश्वपाल
बंदूक                 –        सिंघल
कटार                –        दल भंजन
नगारा                –        बेरीसाल
पक्षी                  –        नील कंठ
निशान               –         पंच रंगा
निर्वाण               –          रणजीत
घोड़ा                 –          श्याम कर्ण
तालाब               –         भोडाला
विरद                 – चुण्डावत, सारंगदेवोत
घाट                   –           सोरम
ठिकाना              –           भिंडर
चिन्ह                  –           सूर्य
शाखाए               –           24

         चौहान वंश के गोत्र-प्रवरादि

वंश                  –              अग्निवंश
वेद                  –               सामवेद
गोत्र                 –               वत्स
वॄक्ष                 –              आशापाल
नदी                 –               सरस्वती
पोलपात            –               द्सोदी
इष्टदेव              –          अचलेश्वर महादेव
कुल देवी           –           आशापुरा
नगारा               –            रणजीत
निशान              –             पीला
झंडा                 –       सूरज, चांद, कटारी
शाखा                –             कौथुनी
पुरोहित             –     सनादय(चन्दोरिया)
भाट                 –             राजोरा
धुणी                –              सांभर
भेरू                 –           काला भेरव
गढ़                  –             रणथम्भोर
गुरु                  –              वशिष्ठ
तीर्थ                 –             भॄगु क्षेत्र
पक्षी                 –              कपोत
ऋषि                –             शांडिल्य
नोबत               –              कालिका
पितृ                 –              लोटजी
प्रणाम              –        जय आशापुरी
विरद                –           समरी नरेश

      कछवाह वंश के गोत्र-प्रवरादि

गोत्र                –      मानव, गोतम
प्रवर               –       मानव, वशिष्ठ
कुलदेव           –        श्री राम
कुलदेवी          –     श्री जमुवाय माता जी
इष्टदेवी           –      श्री जीणमाता जी
इष्टदेव            –      श्री गोपीनाथ जी
वेद                –       सामवेद
शाखा            –        कोथुमी
नदी               –        सरयू
वॄक्ष               –          अखेबड़
नगारा            –            रणजीत
निशान           –              पंचरंगा
छत्र               –              श्वेत
पक्षी              –              कबूतर
तिलक           –               केशर
झाड़ी            –             खेजड़ी
गुरु               –              वशिष्ठ
भोजन           –              सुर्त
गिलास           –              सुख
पुरोहित           –        गंगावत, भागीरथ

        भाटी वंश के गोत्र-प्रवरादि

वंश                –          चन्द्रवंश
कुल               –           यदुवंशी
कुलदेवता        –        लक्ष्मी नाथ जी
कुलदेवी          –        स्वागिया माता
इष्टदेव             –         श्री कृष्ण
वेद                 –          यजुर्वेद
गोत्र                –            अत्रि
छत्र                –            मेघाडम्भर
ध्वज               –        भगवा पीला रंग
ढोल               –              भंवर
नक्कारा          –               अगजीत
गुरु                –               रतन नाथ
पुरोहित           –         पुष्करणा ब्राह्मण
पोलपात          –          रतनु चारण
नदी                –            यमुना
वॄक्ष                –            पीपल
राग                –             मांड
विरुद             –     उतर भड किवाड़ भाटी
प्रणाम            –       जय श्री कृष्ण

       सोलंकी वंश का गोत्र-प्रवरादि

वंश             –              अग्निवंश
गोत्र            –            वशिष्ठ, भारदाज
प्रवर तीन     – भारदाज, बार्हस्पत्य, अंगिरस
वेद             –              यजुर्वेद
शाखा         –           मध्यन्दिनी
सूत्र            –            पारस्कर, ग्रहासूत्र
इष्टदेव        –             विष्णु
कुलदेवी      –          चण्डी, काली, खीवज
नदी           –            सरस्वती
धर्म           –             वैष्णव
गादी          –             पाटन
उत्पति        –           आबू पर्वत
मूल पुरुष      –         चालुक्य देव
निशान          –          पीला
राव              –         लूतापड़ा
घोड़ा            –              जर्द
ढोली            –             बहल
शिखापद       –           दाहिना
दशहरा पूजन  –            खांडा

          झाला वंश के गोत्र-प्रवरादि

वंश                   –      सूर्य वंश
गोत्र                  –       मार्कण्डेय
शाखा                –       मध्यनी
कुल                  –       मकवान(मकवाणा)
पर्व तीन             –      अश्व, धमल, नील
कुलदेवी         – दुर्गा,मरमरा देवी,शक्तिमाता
इष्टदेव              –      छत्रभुज महादेव
भेरव               –       केवडीया
कुलगोर           –       मशीलीया राव
शाखाए           –        झाला,राणा

         गौङ वंश के गोत्र-प्रवरादि

वंश               –         सूर्य वंश
गोत्र              —       भारद्वाज
प्रवर तीन       –   भारद्वाज,बाईस्पत्य, अंगिरस
वेद               –          यजुर्वेद
शाखा            –         वाजसनेयि
सूत्र               –          पारस्कर
कुलदेवी         –          महाकाली
इष्टदेव           –           रुद्रदेव
वॄक्ष              –             केला

        बल्ला वंश के गोत्र-प्रवरादि

वंश            –        इक्ष्वाकु-सुर्यवंश
गोत्र           –            कश्यप
प्रवर           –    कश्यप, अवत्सार, नेधृव
वेद             –              यजुर्वेद
शाखा         –           माध्यन्दिनी
आचारसुत्र    –          गोभिलग्रहासूत्र
गुरु               –         वशिष्ठ
ऋषि             –         कुण्डलेश्वर
पितृ               –          पारियात्र
कुलदेवी         –  अम्बा, कालिका, चावण्ड
इष्टदेव            –            शिव
आराध्यदेव      –       कासब पुत्र सूर्य
मन्त्र               –       ॐ धृणी सूर्याय नम:
भेरू               –          काल भेरू
नदी               –           सरयू
क्षेत्र               –          बल क्षेत्र
वॄक्ष               –           अक्षय
प्रणाम            –          जय श्री राम

     दहिया वंश के गोत्र-प्रवरादि

वंश        –       सूर्य वंश बाद में ऋषि वंश
गोत्र       –        गोतम
प्रवर      –       अलो, नील-जल साम
कुल देवी      –      कैवाय माता
इष्टदेव         –        भेरू काला
कुल देव       –        महादेव
कुल क्षेत्र      –         काशी 
राव             –        चंडिया-एरो
घोड़ा           –        श्याम कर्ण
नगारा          –         रणजीत
नदी             –          गंगा
कुल वृक्ष       –       नीम और कदम
पोलपात        –       काछेला चारण
निकास          –        थानेर गढ
उपाधि           –     राजा, राणा, रावत
पक्षी              –       कबूतर
ब्राह्मण           –       उपाध्याय
तलवार           –         रण थली
प्रणाम            –      जय कैवाय माता
गाय               –        सुर
शगुन              –      पणिहारी
वेद                 –      यजुर्वेद j  
निशान            –      पंच रंगी
शाखा              –       वाजसनेयी
भेरव                –       हर्शनाथ
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