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Sunday 26 July 2015

Hindi - deteriorating basic education in india

न्यूज चैनल पर बेसिक शिक्षा का गिरता स्तर" पर चर्चा चली जिसमें अनेक विद्वान लोगों ने भाग लिया और अपने अपने तर्क दिये। इस सम्बन्ध में टीवी पर बैठे लोगों से मैं एक प्रश्न करना चाहता हूँ कि आपमें से किसका बच्चा है जो केवल क्लास में ही पढता है और घर पर किताब उठाकर न देखता हो और बिना अभिभावक अथवा ट्यूटर के मेधावी बन गया हो।
आज बेसिक शिक्षा बदहाल तब दिखाई पड़ती है जब इसकी तुलना कान्वेंट स्कूल से की जाती है जबकि कान्वेंट व परिषदीय विद्यालयों में पड़ने वाले बच्चे की पृष्ठभूमि  में कोई नहीं जाना चाहता है।
कान्वेंट स्कूल में बच्चे के प्रवेश से पूर्व बच्चे के माता पिता की योग्यता का test होता है। फिर बच्चे का टेस्ट होता है। प्रवेश के पश्चात अभिभावक मोटी मोटी रकम फीस व किताबों में खर्च करता है बच्चे को विद्यालय से आने जाने वाले वाहन पर भी मोटी रकम खर्च करता है। अभिभावकों के शिक्षित होने के कारण इतनी मोती रकम खर्च करने के उद्देश्य को वो शिक्षित अभिभावक भलीभाँति जानते है और उनका पहला उद्देश्य मात्र अपने बच्चे की शिक्षा होती है।
शिक्षित व समृद्ध अभिभावक प्रतिदिन सुबह को अपने बच्चे को स्कूल की वैन आने से पूर्व समय से उठाकर पढाते है उसके पश्चात् नहलाकर uniform पहनाते है माँ बड़े प्यार से लंच बॉक्स तैयार करके उसके बैग में रखती है और घर से बाहर सड़क पर खड़े होकर वैन आने का इंतजार करते है जब बच्चा वैन में बैठ कर स्कूल चला जाता है उसके बाद माँ बाप की अपनी निजी जिंदगी के काम शुरू होते हैं।
बच्चे की छुट्टी के पश्चात् माँ बाप उसको रिसीव करने के लिए चिन्तित होते है और व्यापारी अपना व्यापार नौकरपेशा अपनी ड्यूटी से समय निकालकर बच्चे को रिसीव करता है।
बच्चा घर आने के बाद निर्धारित टाइम टेबिल के अनुसार टीवी देखता एवं खेलता है उसके पश्चात् माँ पिता स्वयं अथवा ट्यूटर बच्चे को लेकर बैठते है और स्कूल में कराये काम का 4 गुना काम होम वर्क के रूप में पूरा कराते है। यहाँ तक कि बच्चा सोने से पहले भी याद (learn) करता है।
छोटे छोटे बच्चों को स्कूल से प्रोजेक्ट के नाम पर ऐसे ऐसे काम मिलते जो छात्र तो कर ही नहीं सकता माता पिता को भी करने में पसीने छूट जाते हैं उसको तैयार करने में बाज़ार की खाक छाननी पड़ती है।
प्रति माह होनी वाली पेरेंट्स मीटिंग में चाहे व्यापार बंद करना पड़े अथवा नौकरपेशा को CL लेनी पड़े लेकिन मीटिंग में भाग लेकर अपने बच्चे से जुडी जानकारी लेते है।
कहने का अभिप्राय है कि उक्त अभिभावक वो है जो शिक्षित व समृद्ध हैं और अपने बच्चे को ही अपना भविष्य व पूँजी मानकर अपनी खुद की इच्छाओं से ज्यादा मेहनत अपने बच्चे पर करते हैं।
इसका दूसरा रूप सरकारी स्कूल में पड़ने वाले छात्र व उसके अभिभावक है। इन स्कूल में आने वाले 80% बच्चों के अभिभावकों को बच्चे के एड्मिसन से कोई मतलब ही नहीं है अध्यापक स्वयं गली अथवा गाँव में जाकर बच्चों को खोजकर उनका प्रवेश स्कूल में करता है जिसको प्रतिदिन अथवा समय से विद्यालय भेजने के प्रति उसके माता पिता को कोई मतलब नहीं होता है बल्कि जब बच्चे को कोई काम घर पर नहीं होता है तब बच्चा स्कूल की ओर रुख करता है इससे भी बड़ा एक और कारण कि ये ऐसे माता पिता है जिन्हें बच्चे की शिक्षा से पहले अपनी रोजी रोटी कमानी होती है आज कक्षा 5 से लेकर 8 तक का बच्चा 100 से लेकर150 रु रोज कमाता है इन गरीब बच्चों के माँ बाप आज इन बच्चों से पहले कमाई करवाना पसन्द करते है और समय बचे तो स्कूल भेजना होता है।
ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी स्कूल  का छात्र जब सुबह उठता है तो पहले घर के पालतू पशुओं के चारे की व्यवस्था करता है उसके पश्चात खेती या मजदूरी का काम देखता है और जब कोई काम नहीं होता तो खाली समय में स्कूल आता है उस दिन स्कूल में जो पड़कर जाता है उसे घर पर देखने वाले न अभिभावक हैं न ट्यूटर है।अर्थात जहाँ CONVENT स्कूल के छात्र के हाथ में 24घंटे में से लगभग 10 घंटे किताब होती है बहीं सरकारी स्कूल के छात्र के हाथ में हसिया या खुरपी होती है। एक ओर वो अभिभावक है जिसे उसका बच्चा ही सब कुछ है एक ओर वो है जिसे अपने भूखे पेट को भरने के लिए रोजी रोटी ही सब कुछ है।
पत्रकारों का कहना है कि कक्षा 2 के बच्चे को नाम लिखना नहीं आता ।मैं कहता हूँ कि कक्षा 2 यानि कान्वेंट का नर्सरी ,क्या नर्सरी का बच्चा अपना नाम लिख सकता है मुफ्त भोजन के चक्कर में न समझ अभिभावक 3-3 साल के बच्चे की उम्र अधिक बताकर कक्षा 1 में प्रवेश दिला देते हैं यानि 3साल पहले। जबकि कान्वेंट में PLAY,NURSARY,JUNIOR KG,SENIOR KG उसके बाद कक्षा1 में बच्चा आता है।आज परिषदीय स्कूल का कक्षा 4 के छात्र की आयु CONVENT वाले कक्षा 1 के छात्र के बराबर है।सरकार ने नीति बना दी कि बच्चे को फेल नहीं करना है। और इन सब के बावजूद हमेशा फंसता कौन है। कृपया पूरा लेख जरूर पढ़ें...
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एक शिक्षक की कलम से....
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वर्तमान परिस्थिति के कुछ सटीक विश्लेषण..
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मेरे प्रिय शिक्षक साथियों।
बहुत समय से मैं आत्मसंघर्ष से गुजर रहा हूँ
विचारों में, कर्म में और अभिव्यक्ति में भी।
परन्तु वस्तुत: मानसिक संघर्ष को आज आपके समक्ष व्यक्त करने से स्यवं को रोक नहीं पा रहा हूँ।
शिक्षक होना अपने आप में गर्व की बात है।
परन्तु अब ऐसा लग रहा है इस विकल्प को चुनकर घोर अपराध किया है। उस पर प्राथमिक शिक्षक होना "एक तो करेला ऊपर से नीम चढ़ा" वाली कहावत को चरितार्थ करता है।
सरकारी स्कूलों मे प्राथमिक शिक्षा की दशा अत्यन्त शोचनीय है। यह कहने की आवश्यकता भी नहीं है। लेकिन ऐसी स्थिति के लिए जिम्मेदार किसे माना जाए यह यक्ष प्रश्न मेरे सम्मुख काफी समय से मुँह बाए खड़ा है, परन्तु जितना चिन्तन करता हूँ समस्या गहरी और बहुमुखी प्रतीत होती जाती है।
कभी प्रशासनिक स्तर, कभी संस्थागत स्तर पर, कभी व्यक्तिगत स्तर पर, कभी सामाजिक स्तर पर और कभी चयन के स्तर पर। परन्तु समस्या एक शिक्षक के लिए बहुआयामी है जबकि शेष समाज,
सरकार, प्रशासन के लिए समस्या एकल-आयामी है। वह शिक्षक को घूर के देखता है जैसे वही अपराधी हो।
बेसिक शिक्षा की सारी दुर्दशा का एकमात्र दोशी शिक्षक को माना जा रहा है। अच्छी विडम्बना है।
अब बात अपने प्राथमिक शिक्षा को लेकर करता हूँ। मैं भी सरकारी प्राथमिक स्कूल से कक्षा 5 उत्तीर्ण हूँ। तब न सही भवन थे, न ही किताबें मिलती थी, न ही ड्रेस मिलती थी, न ही मध्याह्न भोजन की व्यस्था थी, विद्यालय भी प्राय: दूर ही होते थे। प्रशासनिक नियन्त्रण व हस्तक्षेप न के बराबर था। परन्तु शिक्षा आज से कई गुना बेहतर थी। शिक्षक भी पर्याप्त संख्या में प्रत्येक विषय के अलग-2। शिक्षण के अलावा कोई कार्य नहीं था। न रोज सूचना देना था, न खाना बनवाना था, न बिल्डिंग बनवानी थी, न आडिट करवाना था, न प्रधान के घर के चक्कर लगाने थे और न अधिकारियों की चापलूसी करनी थी। मेरे प्राथमिक शैक्षिक जीवन में कभी विद्यालय का निरीक्षण भी न के बराबर हुआ। फिर भी अच्छी पढ़ाई होती थी। आज इसके जवाब में कहा जाता है तब शिक्षक ईमानदार चरित्रवान होते थे, पर आज नही है। अगर आज ईमानदार चरित्रवान शिक्षक कम हैं तो इसका जिम्मेदार कौन है..??? क्या चयन प्रणाली इसके लिए जिम्मेदार नही है..??? आज शिक्षक को कर्मचारी बना दिया गया है। किसने बनाया खुद शिक्षक ने..??? सरकार ने पहले उन्हे बिल्डर,  टेलर, बुक सेलर, खानसामा, विभिन्न विभागों के भिन्न-2 पदों के कार्य सौंप दिये जैसे राजस्व विभाग, पंचायत विभाग, खाद्य आपूर्ति, स्वास्थ्य आदि । अब जब कर्मचारी बन गए हैं तो स्वाभाविक है कि कुछ गुण कर्मचारी के आ ही जाएंगे।
वाह रे नीति नियन्ता। अब उपदेश देते हैं शिक्षक धर्म का पालन करो।वो भी बिना किसी अधिकार के। जैसे बंगाल में ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1765-72 तक द्वैध शासन चलाया था। जिसमें अधिकार कंपनी के पास और कर्तव्य सारे नवाब करें। वैसी हालत हमारे बेशिक शिक्षा की है।
जब तक शिक्षा की नीति रीति शिक्षक स्यवं नही बनाएगा और ऊपर से हवा-हवाई नीतियाँ बनेगी तब तक शिक्षा व्यवस्था सुधरने से रही। दंडात्मक प्रक्रिया चलती रहेगी, प्रशासनिक हस्तक्षेप बढ़ता रहेगा, साथ ही शिक्षकों का शोषण बढ़ता रहेगा जिससे शिक्षा व्यवस्था का स्तर गिरता रहेगा। शिक्षा विभाग मे आज भी एक से बढ़कर एक बहुत से विद्वान शिक्षक मौजूद हैं परंतु चापलूसों और चाटुकारों के आगे उनकी कोई पहचान नहीं है।

Saturday 25 July 2015

Election Code of conduct and municipal election programme 2015

प्रदेश में आचार संहिता लागू
स्थानीय चुनावों की घोषणा
जयपुर/ निर्वाचन आयुक्त राम लुभेया ने आज स्थानीय निकाय चुनावों की घोषणा कर दी है । इस घोषणा के साथ ही आचार संहिता लागू हो गई है । चुनाव कार्यक्रम इस प्रकार है
1/8/15  --' अधिसूचना जारी 
5/8/15 --- नामांकन दाखिल होगे
6/8/15 -- नामांकन पुत्रो की जांच
8/8/15 -- नाम वापसी
9/8/15 -- नाम वापसी
17/8/15-- मतदान सवेरे 7 बजे से  सांय 6 बजे तक
20/8/15 -- को मतगणना
21/8/15 -- अध्यक्ष का  चुनाव
22/8/15 -- उपाध्यक्ष का चुनाव
कुल वार्ड-- 3351
कुल मतदाता- 3312316
पुरूष मतदाता-- 1935009
महिला मतदाता-- 1777260
अन्य मतदाता-- 47000
नगर निगम-- 1 ,
नगर परिषद-- 15
नगर पालिकाए - 113
2010 मे भाजपा का था कब्जा - 57
2010 मे कांग्रेस का था कब्जा -49

संसार में हकीकत में कौन क्या है.....

इस संसार में हकीकत में कौन क्या है.......?
• केले का छिलका----- पृथ्वी से मिलाप करने का दलाल
• सिनेमा----- पैसा देकर कैद होने का स्थान
• जेल ----- बिना पैसे का हास्टल
• सास ----- बहु के पीछे छोडा गया बिना पैसे का जासूस
• चिन्ता----- बजन कम करने की सबसे सस्ती दवा
• मृत्यु ----- बिना पासपोर्ट के पृथ्वी सेदूर जाने की छूट
• ताला ----- बिना वेतन का चौकीदार
• मुर्गा ----- देहात की अलार्म घडी
• झगडा ----- वकील का कमाऊ बेटा
• चश्मा----- जादूई आँख
• स्वप्न ----- बिना पैसे की फिल्म
• हॉस्पिटल----- रोगियों का संग्रहालय
• श्मशान----- दुनिया का आखिरी स्टेशन
• ईश्वर----- किसी से मुलाकात न करने वाला व्यवस्थापक
• चाय कॉफी----- कलयुग का अमृत
• विद्वान----- अक्ल का ठेकेदार
• चोर----- रात का शरीफ व्यापारी
• विश्व----- एक महान धर्मशाला।
गलती जिंदगी का एक पन्ना है;
परन्तु 'रिश्ते' पूरी किताब हैं।
ज़रूरत पड़ने पर 'गलती' का पन्ना फाड़ देना लेकिन एक पन्ने के लिए पूरी किताब मत फाड़ देना।

इंकलाब जिंदाबाद

Comments - क्या आप जानते है "इन्कलाब" का अर्थ क्या है, नीचे देखते है सहीद ए आजम भगत सिंह के शब्दो में --- .
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इन्कलाब एक लड़ाई है, जुल्म और नाइंसाफी के खिलाफ....

इन्कलाब एक हथियार है, आदमी पर से आदमी का शोषण रोकने के लिए.....

इन्कलाब एक ऐलान है, देश के नौजवानों को एकजुट करने के लिए..

इन्कलाब एक चेतावनी है, इस बरबस सरकार को होशियार करने के लिए.....

इन्कलाब एक पुकार है, सोये हुए आवाम को उठाने के लिए.....
इन्कलाब एक आवाज है, दबे हुए जमीर को जगाने के लिए........

तो पूरी ताकत के साथ बोलते हैं और बोलते रहेंगे.....
  " इंकलाब जिंदाबाद "

तुम्हारा भाई तुम्हारे साथ है, और मेरा भाई ...????

रावण जब रणभूमि में मृत्युशय्या पर अंतिम सांसे ले रहा था तब उसने श्री राम से कहा-
'राम मैं तुमसे हर बात में श्रेष्ठ हूँ।
जाति मेरी ब्राह्मण हैं, जो तुमसे श्रेष्ठ है।
आयु में भी तुमसे बड़ा हूँ,
मेरा कुटुम्ब तुम्हारे कुटुम्ब से बड़ा है।
मेरा वैभव तुमसे अघिक हैं,
तुम्हारा महल स्वर्णजड़ित है परन्तु मेरी पूरी लंका ही स्वर्ण नगरी है,
मैं बल और पराक्रम में भी तुमसे श्रेष्ठ हूँ,
मेरा राज्य तुम्हारे राज्य से बड़ा है,
ज्ञान और तपस्या में तुमसे श्रेष्ठ हूँ।
इतनी श्रेष्ठताओं के होने पर भी रणभूमि में मैं तुमसे परास्त हो गया।
सिर्फ इसलिये कि
तुम्हारा भाई तुम्हारे साथ है, और मेरा भाई ...????

रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद के बीच एक दुर्लभ संवाद

रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद के बीच एक दुर्लभ संवाद

स्वामी विवेकानंद     :  मैं समय नहीं निकाल पाता. जीवन आप-धापी से भर गया है.

रामकृष्ण परमहंस   :  गतिविधियां तुम्हें घेरे रखती हैं. लेकिन उत्पादकता आजाद करती है.

स्वामी विवेकानंद     :  आज जीवन इतना जटिल क्यों हो गया है?   
     
रामकृष्ण परमहंस   :  जीवन का विश्लेषण करना बंद कर दो. यह इसे जटिल बना देता है. जीवन को सिर्फ जिओ.

स्वामी विवेकानंद     :  फिर हम हमेशा दुखी क्यों रहते हैं?   
   
रामकृष्ण परमहंस   :  परेशान होना तुम्हारी आदत बन गयी है. इसी वजह से तुम खुश नहीं रह पाते.

स्वामी विवेकानंद     :  अच्छे लोग हमेशा दुःख क्यों पाते हैं?

रामकृष्ण परमहंस   :  हीरा रगड़े जाने पर ही चमकता है. सोने को शुद्ध होने के लिए आग में तपना पड़ता है. अच्छे लोग दुःख नहीं पाते बल्कि परीक्षाओं से गुजरते हैं. इस अनुभव से उनका जीवन बेहतर होता है, बेकार नहीं होता.

स्वामी विवेकानंद     :  आपका मतलब है कि ऐसा अनुभव उपयोगी होता है?

रामकृष्ण परमहंस   :  हां. हर लिहाज से अनुभव एक कठोर शिक्षक की तरह है. पहले वह परीक्षा लेता है और फिर सीख देता है.

स्वामी विवेकानंद     :  समस्याओं से घिरे रहने के कारण, हम जान ही नहीं पाते कि किधर जा रहे हैं...

रामकृष्ण परमहंस   :  अगर तुम अपने बाहर झांकोगे तो जान नहीं पाओगे कि कहां जा रहे हो. अपने भीतर झांको. आखें दृष्टि देती हैं. हृदय राह दिखाता है.

स्वामी विवेकानंद     :  क्या असफलता सही राह पर चलने से ज्यादा कष्टकारी है?

रामकृष्ण परमहंस   :  सफलता वह पैमाना है जो दूसरे लोग तय करते हैं. संतुष्टि का पैमाना तुम खुद तय करते हो.

स्वामी विवेकानंद     :  कठिन समय में कोई अपना उत्साह कैसे बनाए रख सकता है?

रामकृष्ण परमहंस   :  हमेशा इस बात पर ध्यान दो कि तुम अब तक कितना चल पाए, बजाय इसके कि अभी और कितना चलना बाकी है. जो कुछ पाया है, हमेशा उसे गिनो; जो हासिल न हो सका उसे नहीं.

स्वामी विवेकानंद     :  लोगों की कौन सी बात आपको हैरान करती है?

रामकृष्ण परमहंस   :  जब भी वे कष्ट में होते हैं तो पूछते हैं, "मैं ही क्यों?" जब वे खुशियों में डूबे रहते हैं तो कभी नहीं सोचते, "मैं ही क्यों?"

स्वामी विवेकानंद     :  मैं अपने जीवन से सर्वोत्तम कैसे हासिल कर सकता हूँ?

रामकृष्ण परमहंस   :  बिना किसी अफ़सोस के अपने अतीत का सामना करो. पूरे आत्मविश्वास के साथ अपने वर्तमान को संभालो. निडर होकर अपने भविष्य की तैयारी करो.

स्वामी विवेकानंद     :  एक आखिरी सवाल. कभी-कभी मुझे  लगता है कि मेरी प्रार्थनाएं बेकार जा रही हैं.

रामकृष्ण परमहंस   :  कोई भी प्रार्थना बेकार नहीं जाती. अपनी आस्था बनाए रखो और डर को परे रखो. जीवन एक रहस्य है जिसे तुम्हें खोजना है. यह कोई समस्या नहीं जिसे तुम्हें सुलझाना है. मेरा विश्वास करो- अगर तुम यह जान जाओ कि जीना कैसे है तो जीवन सचमुच बेहद आश्चर्यजनक है.|

रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद के बीच एक दुर्लभ संवाद

रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद के बीच एक दुर्लभ संवाद

स्वामी विवेकानंद     :  मैं समय नहीं निकाल पाता. जीवन आप-धापी से भर गया है.

रामकृष्ण परमहंस   :  गतिविधियां तुम्हें घेरे रखती हैं. लेकिन उत्पादकता आजाद करती है.

स्वामी विवेकानंद     :  आज जीवन इतना जटिल क्यों हो गया है?   
     
रामकृष्ण परमहंस   :  जीवन का विश्लेषण करना बंद कर दो. यह इसे जटिल बना देता है. जीवन को सिर्फ जिओ.

स्वामी विवेकानंद     :  फिर हम हमेशा दुखी क्यों रहते हैं?   
   
रामकृष्ण परमहंस   :  परेशान होना तुम्हारी आदत बन गयी है. इसी वजह से तुम खुश नहीं रह पाते.

स्वामी विवेकानंद     :  अच्छे लोग हमेशा दुःख क्यों पाते हैं?

रामकृष्ण परमहंस   :  हीरा रगड़े जाने पर ही चमकता है. सोने को शुद्ध होने के लिए आग में तपना पड़ता है. अच्छे लोग दुःख नहीं पाते बल्कि परीक्षाओं से गुजरते हैं. इस अनुभव से उनका जीवन बेहतर होता है, बेकार नहीं होता.

स्वामी विवेकानंद     :  आपका मतलब है कि ऐसा अनुभव उपयोगी होता है?

रामकृष्ण परमहंस   :  हां. हर लिहाज से अनुभव एक कठोर शिक्षक की तरह है. पहले वह परीक्षा लेता है और फिर सीख देता है.

स्वामी विवेकानंद     :  समस्याओं से घिरे रहने के कारण, हम जान ही नहीं पाते कि किधर जा रहे हैं...

रामकृष्ण परमहंस   :  अगर तुम अपने बाहर झांकोगे तो जान नहीं पाओगे कि कहां जा रहे हो. अपने भीतर झांको. आखें दृष्टि देती हैं. हृदय राह दिखाता है.

स्वामी विवेकानंद     :  क्या असफलता सही राह पर चलने से ज्यादा कष्टकारी है?

रामकृष्ण परमहंस   :  सफलता वह पैमाना है जो दूसरे लोग तय करते हैं. संतुष्टि का पैमाना तुम खुद तय करते हो.

स्वामी विवेकानंद     :  कठिन समय में कोई अपना उत्साह कैसे बनाए रख सकता है?

रामकृष्ण परमहंस   :  हमेशा इस बात पर ध्यान दो कि तुम अब तक कितना चल पाए, बजाय इसके कि अभी और कितना चलना बाकी है. जो कुछ पाया है, हमेशा उसे गिनो; जो हासिल न हो सका उसे नहीं.

स्वामी विवेकानंद     :  लोगों की कौन सी बात आपको हैरान करती है?

रामकृष्ण परमहंस   :  जब भी वे कष्ट में होते हैं तो पूछते हैं, "मैं ही क्यों?" जब वे खुशियों में डूबे रहते हैं तो कभी नहीं सोचते, "मैं ही क्यों?"

स्वामी विवेकानंद     :  मैं अपने जीवन से सर्वोत्तम कैसे हासिल कर सकता हूँ?

रामकृष्ण परमहंस   :  बिना किसी अफ़सोस के अपने अतीत का सामना करो. पूरे आत्मविश्वास के साथ अपने वर्तमान को संभालो. निडर होकर अपने भविष्य की तैयारी करो.

स्वामी विवेकानंद     :  एक आखिरी सवाल. कभी-कभी मुझे  लगता है कि मेरी प्रार्थनाएं बेकार जा रही हैं.

रामकृष्ण परमहंस   :  कोई भी प्रार्थना बेकार नहीं जाती. अपनी आस्था बनाए रखो और डर को परे रखो. जीवन एक रहस्य है जिसे तुम्हें खोजना है. यह कोई समस्या नहीं जिसे तुम्हें सुलझाना है. मेरा विश्वास करो- अगर तुम यह जान जाओ कि जीना कैसे है तो जीवन सचमुच बेहद आश्चर्यजनक है.|

Friday 24 July 2015

Harold Schlumberg

An inspiration to us all.
As we get older we sometimes begin to doubt our ability to
"make a difference"in the world.

Harold Schlumberg is such a person:

HAROLD SAYS: "I've often been asked,
'What do you do now that you're retired?
'Well...I'm fortunate to have a chemical engineering background and one of the things I enjoy most is converting beer, wine and whiskey into urine.  It's rewarding, uplifting, satisfying and fulfilling.  I do it every day and I really enjoy it."
Harold is an inspiration to us all

Thursday 23 July 2015

CALL OF GOD

CALL OF GOD

मैं उपरवाला बोल रहा हूँ, जिसने ये पूरी दुनिया बनाई वो उपरवाला.

तंग आ चूका हूँ  मैं तुम लोगों से,

घर का ध्यान तुम न रखो और चोरी हो जाये तो, "उपरवाले तूने क्या किया".

गाड़ी तुम तेज़ चलाओ और धक्का लग जाये तो, "उपरवाले........".

पढाई तुम न करो और फेल हो जाओ तो, "उपरवाले.........".

ऐसा लगता है इस दुनिया में होने वाले हर गलत काम का जिम्मेदार मैं हूँ.

आजकल तुम लोगो ने एक नया फैशन बना लिया है, जो काम तुम लोग नहीं कर सकते, उसे करने में मुझे भी असमर्थ बता देते हो!

उपरवाला भी भ्रष्टाचार नहीं मिटा सकता,
उपरवाला भी महंगाई नहीं रोक  सकता.......
ये सब क्या है?
भ्रष्टाचार किसने बनाया?
मैंने?
किससे रिश्वत लेते देखा है तुमने मुझे?

मैं तो हवा, पानी, धुप, आदि सबके लिए बराबर देता हूँ,

कभी देखा है कि ठण्ड के दिनों में अम्बानी के घर के ऊपर मैं तेज़ धुप दे रहा हूँ, या गर्मी में सिर्फ उसके घर बारिश हो रही है ?

उल्टा तुम मेरे पास आते हो रिश्वत की पेशकश लेकर,
कभी लड्डू,
कभी पेड़े,
कभी चादर.
और हा,
आइन्दा से मुझे लड्डू की पेशकश की तो तुम्हारी खैर नहीं,
मेरे नाम पे पूरा डब्बा खरीदते हो,
एक टुकड़ा मुझपर फेंक कर बाकि खुद ही खा जाते हो.

ये महंगाई किसने बनाई?
मैंने?
मैंने सिर्फ ज़मीन बनाई,
उसे "प्लाट" बनाकर बेचा किसने?

मैंने पानी बनाया,
उसे बोतलों में भरकर बेचा किसने?

मैंने जानवर बनाये,
उन्हें मवेशी कहकर बेचा किसने?

मैंने पेड़ बनाये,
उन्हें लकड़ी कहकर बेचा किसने?

मैंने आज तक तुम्हे कोई वस्तु बेचीं?
किसी वस्तु का पैसा लिया?
सब चीज़ों में कसूर मेरा निकालते हो।
अभी भी समय है
सुधर जाओ
वरना
फिर मत कहना
ये प्रलय क्यूँ आई

आज का GK ज्ञान…

आज का ज्ञान……

चाय में गिरी हुई☕
बिस्किट को
दुसरी बिस्किट से
निकालनें की कोशिश ना करें...!

वरना …
जो हाथ मे है
उससे भी हाथ धो बैठोगे !!

ज्ञान समाप्त

Tuesday 21 July 2015

Ranjan Das and importance of sound sleeping

Ranjan Das, CEO and MD of SAP-Indian subcontinent died after a massive cardiac arrest in Mumbai recently.
One of the youngest CEOs, he was only 42.

What killed Ranjan Das?

He was very active in sports, was a fitness freak and a marathon runner.

After his workout, he collapsed with a massive heart attack and died. He is survived by his wife and two very young kids.

It was certainly a wake-up call for corporate India. However, it was even more disastrous for runners.

The question arises as  to why an exceptionally active, athletic person succumbed to a heart attack at 42 years of age.

What is the real reason?

Everyone missed out a small line in the reports that Ranjan used to manage with 4-5 hours of sleep.

In an earlier interview of Ranjan on NDTV in the program ‘Boss' day out’, Ranjan Das himself admitted that he sleeps less and would love to get more sleep.

Short sleep duration (<5 or 5-6 hours) increases risk for high BP by 350% to 500% compared to those who slept longer than 6 hours per night.

Young people (25-49 years of age) are twice as likely to get high BP if they sleep less.

Individuals who sleep less than 5 hours a night have a 3-fold increased  risk of heart attacks.

Just one night of sleep loss increases very toxic substances in body such as Interleukin-6 (IL-6), Tumour necrosis factor-alpha (TNF-alpha) and C-reactive protein (CRP). They also cause cancer, arthritis and heart disease.

Sleeping for <=5 hours per night leads to 39% increase in heart disease. Sleeping for <=6 hours per night leads to 8% increase in heart disease.

What is ideal sleep?

In brief, sleep is composed of two stages: REM (Rapid Eye Movement) and  non-REM. The former helps in mental consolidation while the latter helps in physical repair and rebuilding.

No wonder when one wakes up with an alarm clock after 5-6  hours of sleep, he/she is mentally irritable throughout the day (lack of REM sleep).

And if somebody has slept for less than 5 hours, the body is in a complete physical mess (lack of non-REM sleep), the person is tired throughout the day and immunity is way down.

In conclusion:
Barring stress control, Ranjan Das did everything right: eating proper food, exercising, maintaining proper weight. But he missed getting proper and adequate sleep, minimum 7 hours. That killed him.

We are playing with fire if we are sleeping less than 7 hours even if we have low stress.

Do not set your alarm clock under 7 hours.

Ranjan Das is not alone.

Do Share it with all the Good People In ur Life...

From:
DR.N Siva
(Senior Cardiologist)

Real Story of Jagjit & Chitra Singh's son who was crushed to death by a drunk boy.

This poem will make you cry

Please make ur kids read it too.

I went to a party Mom,

I remembered what you said.

You told me not to drink Mom,

So I drank soda instead.

I really felt proud inside Mom,

The way you said I would.

I didn't drink and drive Mom,

Even though the others said I should.

I know I did the right thing Mom,

I know you are always right.

Now the party is finally ending Mom,

As everyone is driving out of sight.

As I got into my car, Mom,

I knew I'd get home in one piece.

Because of the way you raised me,

So responsible and sweet.

I started to drive away Mom,

But as I pulled out into the road,

The other car didn't see me Mom,

And hit me like a load.

As I lay there on the pavement Mom,

I hear the policeman say, "the other guy is drunk," Mom,

And now I'm the one who will pay.

I'm lying here dying, Mom.

I wish you'd get here soon.

How could this happen to me Mom?

My life just burst like a balloon.

There is blood all around me Mom,

And most of it is mine.

I hear the medic say, Mom,

I'll die in a short time.

I just wanted to tell you Mom,

I swear I didn't drink.

It was the others, Mom.

The others didn't think.

He was probably at the same party as I.

The only difference is, he drank and I will die.

Why do people drink, Mom?

It can ruin your whole life.

I'm feeling sharp pains now.

Pains just like a knife.

The guy who hit me is walking, Mom.

And I don't think it's fair.

I'm lying here dying and all he can do is stare.

Tell my brother not to cry, Mom.

Tell Daddy to be brave.

And when I go to heaven, Mom,

Put "GOOD BOY " on my grave.

Someone should have told him, Mom,

Not to drink and drive.

If only they had told him, Mom,

I would still be alive.

My breath is getting shorter, Mom.

I'm becoming very scared.

Please don't cry for me, Mom.

When I needed you, you were always there.

I have one last question, Mom.

Before I say good bye.

I didn't drink and drive,

"So why am I the one to die?"

Someone took the effort to write this poem. So please, forward this to as many people as you can. So that it will make people understand not to mix drinking and driving.

Monday 20 July 2015

5ive undeniable Facts of Life


5ive undeniable Facts
of Life :

1.
Don't educate
your children
to be rich.
Educate them
to be Happy.
So when
they grow up
they will know
the value of things
not the price

2.
Best awarded words
in London ...

"Eat your food
as your medicines.
Otherwise
you have to
eat medicines
as your food"

3.
The One
who loves you
will never leave you
because
even if there are
100 reasons
to give up
he will find
one reason
to hold on

4.
There is
a lot of difference
between
human being
and being human.
A Few understand it.

5.
You are loved
when you are born.
You will be loved
when you die.
In between
You have to manage...!

Nice line from Ratan Tata's Lecture-

If u want to Walk Fast,
Walk Alone..!
But
if u want to Walk Far,
Walk Together..!!

Six Best Doctors in the World-
          1.Sunlight
              2.Rest
          3.Exercise
             4.Diet
   5.Self Confidence
                   &
          6.Friends
Maintain them in all stages of Life and enjoy healthy life

If   you   see   the   moon ..... You   see    the    beauty    of    God .....   If    you   see    the   Sun ..... You   see    the    power   of    God .....   And ....    If   you   see   the   Mirror ..... You   see     the    best    Creation of   GOD .... So    Believe   in     YOURSELF..... :) :) :).

We all are tourists & God is our travel agent who
already fixed all our Routes Reservations & Destinations
So!
Trust him & Enjoy the "Trip" called LIFE...

Sunday 19 July 2015

एक भयानक सत्य

एक भयानक सत्य

भारत में
'1st Class' में पास होने  वाले विद्यायार्थी  टेक्नीकल में प्रवेश लेते है और वो डॉक्टर या इंजिनिअर बनते है

'2nd Class' में पास होने वाले
MBA में admission लेते है और administrator बनते है और 1st Class वालो को हैंडल करते है

'3rd Class' पास होने वाले   कही पे भी प्रवेश नहीं लेते है ।और वो पॉलिटिक्स में जाते है और वो 1st और 2nd क्लास वालो को हैंडल करते है

'Fail' होने वाले भी कही पे भी प्रवेश नहीं लेते है और वो अंडर वर्ल्ड में जाके तीनो पे कंट्रोल करते है

और जो कभी स्कूल में गए ही नहीं। वो  बाबा बनते है और उपर लिखे चारो उनके पैर पडते है।

LPG subsidy precautions for customers

सावधान सावधान

अगर आप अपने एल पी जी  गैस सिलेंडर ऑनलाइन या मोबाइल से बुकिंग कर रहे है...तो ध्यानसे पढ़िए.....अगर आप को गॅस  बुकिंग IVR करते वक्त ऑटोमैटिक बुकिंग करनेवाली व्यक्ति शून्य 0 झिरो प्रेस करने को या शून्य दबाने को कहे तो कृपया शून्य ना दबाये थोड़ा रुक कर अगली सुचना का इंतजार करे अन्यथा आप को गैस सब्सिडी नहीं चाहिए और आप अपनी गैस सब्सिडी छोड़ रहे हो ऐसा मान कर आप की सब्सिडी हमेशा के लिए ख़त्म कर दी जायेगी.पूरी सावधानी बरते और अपने साथियो रिश्तेदारो को भी ये जानकारी दे.