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Thursday 9 July 2015

"ओह माय गॉड" और "pk" पर कोर्ट में केस

"ओह माय गॉड" और "pk" पर कोर्ट में केस चला .. . "कांजी भाई" और "pk" कोर्ट में हाजिर हुए -->


वकील :
हाँ तो आप दोनों का कहना है, कि इन्सान डर के कारण मंदिर जाता है और मूर्ति पूजा गलत है।

कांजी भाई :
जी बिलकुल। ईश्वर तो सभी जगह है, उसको मंदिर में ढूँढने की क्या आवश्यकता है।

वकील :
आप का मतलब है कि मंदिर में नहीं है।

कांजी भाई :
वहां भी है।

वकील :
तो फिर आप लोगो को मंदिर जाना क्यों पाखंड लगता है?

कांजी भाई :
हमारा मतलब है मंदिर ही क्यों जाना मूर्ति में ही क्यों?? जब सभी जगह है तो जरूरत ही क्या है पूजा करने की बस मन में ही पूजा कर लो।

वकील :
"हा हा हा हा"

कांजी भाई :
इसमें हंसने की क्या बात है??

वकील दोनो को घूरते हुए आगे बड़ा और पुछा :
एक बात बताइए आप पानी केसे पीते है?

“पानी कैसे पीते है? ये कैसा पागलो जेसा सवाल है जज साहब??
कांजी बोला”

वकील लगभग चिल्लाते हुए :
मैं पूछता हूँ आप पानी कैसे पीते है?

कांजी भाई हडबडाते हुए :
ज ज ज जी ग्लास से।

पॉइंट टू बी नोटेड मी लार्ड, "कांजी भाई" ग्लास से पानी पीते है।
और ये "pk" तो इस ग्रह का आदमी नहीं है, फिर भी पूछ लेते है।
क्यों भाई तुम पानी कैसे पीते हो?

pk :
जी मैं भी ग्लास से पीता हूँ।

वकील कांजी भाई की और मुड़ते हुए :
"कांजी भाई" एक बात बताइए, जब पानी हाइड्रोजन और आक्सीजन के रूप में इस हवा में भी मोजूद है, तो आप हवा में से सूंघकर पानी क्यों नहीं पी लेते?

और ऐसा कहकर वकील ने हवा में लगभग नाक को तीन बार अलग-अलग सुकेड़ते हुए बताया, मानो हवा से, नाक से पानी पी रहा हो।

कांजी भाई झुंझलाकर बोला :
जज साहब, वकील साहब कैसी बाते कर रहे है? भला इस प्रकार हवा से सूंघकर पानी कैसे पिया जा सकता है? पानी पीने के लिए किसी ग्लास की जरूरत तो पड़ेगी ही।

और
वकील जेसे कांजी पर टूट पड़ा हो :
इसी प्रकार "कांजी भाई", जैसे आप यह जानते हुए भी, कि पानी सभी जगह मोजूद है आप को पानी पीने के लिए ग्लास की आवश्यकता होती है।
उसी प्रकार यह जानते हुए भी, कि ईश्वर सभी जगह मोजूद है, उसके बावजूद हमें मूर्ति, मंदिर या तीर्थस्थल की आवश्यकता होती है। ताकि हम ईश्वर की सरलता से ध्यान लगाकर आराधना कर सके।


"कांजी भाई" चुप।
और अब "pk" को भी बात समझ में आ चुकि थी, की आदमी मंदिर क्यों जाता है।

नया लांच हुआ है, अगर भगवान पर विस्वास है तो लोगो को send करो..
धन्यवाद ...!!!!!

तिरुपति बालाजी मंदिर के ११ सच 

तिरुपति बालाजी मंदिर के ११ सच    

१.  मुख्यद्वार के दाएँ और बालाजी के सिर पर अनंताळवारजी के द्वारा मारे गये निशान हैं बालरूप में बालाजी को ठोड़ी से रक्त आया था, उसी समय से बालाजी के ठोड़ी पर चंदन लगाने की प्रथा शुरू हुई।
२.  भगवान बालाजी के सिर पर आज भी रेशमी बाल हैं और उनमें उलझने नहीं आती और वह हमेशा ताजा लगते है।   
३.  मंदिर से २३ किलोमीटर दूर एक गाँव है, उस गाँव में बाहरी व्यक्ति का प्रवेश निषेध है। वहाँ पर लोग नियम से रहते हैं। वहाँ की महिलाएँ ब्लाउज नहीं पहनती। वहीँ से लाए गये फूल भगवान को चढाए जाते है और वहीँ की ही वस्तुओं को चढाया जाता है जैसे- दूध, घी, माखन आदि।
४. भगवान बालाजी गर्भगृह के मध्य भाग में खड़े दिखते है मगर वे दाई तरफ के कोने में खड़े हैं बाहर से देखने पर ऎसा लगता है।
५.  बालाजी को प्रतिदिन नीचे धोती और उपर साड़ी से सजाया जाता है।
६.  गृभगृह में चढाई गई किसी  वस्तु को बाहर नहीं लाया जाता, बालाजी के पीछे एक जलकुंड है उन्हें वही पीछे देखे बिना उनका विसर्जन किया जाता है।
७.  बालाजी की पीठ को जितनी बार भी साफ करो, वहाँ गीलापन रहता ही है, वहाँ पर कान लगाने पर समुद्र घोष सुनाई देता है। 
८.  बालाजी के वक्षस्थल पर लक्ष्मीजी निवास करती हैं। हर गुरूवार को निजरूप दर्शन के समय भगवान बालाजी की चंदन से सजावट की जाती है उस चंदन को निकालने पर लक्ष्मीजी की छवी उस पर उतर आती है। बाद में उसे बेचा जाता है। 
९.  बालाजी के जलकुंड में विसर्जित वस्तुए तिरूपति से २० किलोमीटर दूर वेरपेडु में बाहर आती हैं। 
१०.  गर्भगृह मे जलने वाले चिराग  कभी बुझते नही हैं, वे कितने ही हजार सालों से जल रहे हैं किसी को पता भी नही है।
११.  बताया जाता है सन् १८०० में मंदिर परिसर को १२ साल के लिए बंद किया गया था। किसी एक राजा ने १२ लोगों को गलती करने पर उन्हें मारकर दीवार पर लटकाया था उस समय विमान वेंकटेश्वर प्रकट हुए, ऎसा कहा जाता है।

अच्छे तथ्य है एक बार जरुर पढ़ें आप सब

Wednesday 8 July 2015

Attention: Drawbacks of NPS scheme

***नई पेन्शन नीति के नुकसान ****
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अन्तर्राष्टीय श्रम संगठन के अनुसार सरकार  या रोजगार देने वाले ( नियोक्ता ) की तरफ से पेन्शन कोई एहसान नही है। बल्कि यह वेतन का ही हिस्सा है जो कर्मचारी को सेवाकाल के दौरान नही दिया गया , इस प्रकार पेंशन अपने वेतन से काटा गया पैसा है । भारत का सर्वोच्च न्यायालय भी इसी बात को प्रमाणित करता है ।
संविधान के अनुसार भारत एक लोक कल्याणकारी राज्य है जिसके अनुसार बचपन और बुढापा इन दोनो को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना सरकार का कर्तव्य है ।जिसके तहत पेन्शन दी जाती थी ।
लेकिन सरकार ने पेन्शन नीति को समाप्त कर नई पेन्शन नीति लागू की है वित्त मंत्रालय के पत्र  एवं पी एफ आर डी एक्ट- 2013 सेक्शन - 20 के अनुसार हमे नई पेन्शन नीति से निम्न नुकशान होगे --
1-   नई पेन्शन नीति के तहत पुरानी स्कीम की तुलना मे 4 गुना से अधिक वेतन से कटौती होगी , जिसके रिटर्न की गारन्टी नही होगी ।
2- जी पी एफ की सुविधा से वंचित किया गया ।
3- ग्रेच्युटी के लाभ से वंचित किया गया।आज के अनुसार 10 लाख का नुकसान ।
4- जमा राशि को सेवा से पहले नही निकाल सकते ।केवल एक या दो बार विशेष परिश्थिति मे ।
5- रिटायर मेन्ट के समय अपनी जमा की गयी राशि का केवल 60 %  ही निकाल सकते हैं बाकी 40% शेयर मार्कट मे ही लगाना पडेगा ।
6- सेवा मुक्ति से पहले मृत्यु होने , नौकरी छोडने पर 80% पैसा पेन्शन फन्ड मे रख लिया जायेगा और परिवार को 20% ही रकम मिलेगी ।
7- रिटायरमेन्ट के बाद पेन्शन सरकार नही बल्कि इन्शोरेन्श कम्पनी देगी जिसमे हम जमा राशि का 40% निवेश करेंगे पेन्शन उस राशि के मासिक व्याज से कम होगी और मूल राशि तो वह कम्पनी ही खा जायेगी ।
आप कल्पना कीजिए कि हम रिटायर हो चुके हैं और शेयर मार्केट गिर गया है जिसमे सारा पैसा डूब जाय और सरकार जिम्मेवारी लेने से मना कर दे । तब क्या स्थिति होगी और आपके बच्चो के पास स्थायी रोजगार नही हो तब क्या होगा ??
तब शायद हमारे पास कोई रास्ता नही होगा तब बहुत देर हो चुकी होगी , अभी हमारे पास वक्त है संघर्ष करने की शक्ति है आओ संघर्ष की ओर बढ़े ।

[ ये लेख आप सभी के न्यू पेन्शन पर विचार करने के लिए  अब आपके सामने विचार हेतु   है!

Panchayati raj in rajasthan - Failure or scam

राज्य के 465 सरपंचों पर हवालात का खतरा मंडरा रहा है। इन पर फर्जी शैक्षणिक योग्यता से चुनाव लड़ने के चलते एफआईआर दर्ज है। पुलिस जांच कर रही है। दस्तावेज फर्जी पाए जाते हैं तो हवालात जाना पड़ेगा। प्रदेश के 746 सरपंचों के खिलाफ फर्जी दस्तावेज से चुनाव लड़ने के आरोप है। इनमें से 465 के खिलाफ पुलिस में आईपीसी की धारा 420,466, 467 के तहत भी मामले दर्ज है। पंचायतीराज विभाग भी इन सरपंचों के दस्तावेज की पड़ताल में लगा हुआ है।
23 सरपंच निलंबित
पुलिस की ओर से प्रदेश में अब तक 23 सरपंचों के खिलाफ जांच की जा चुकी है। इन सरपंचों के खिलाफ कोर्ट में चालान भी पेश किया जा चुका है। इनमें से कुछ की गिरफ्तारी भी हो गई है। पंचायतीराज विभाग इन सभी सरपंचों को निलंबित कर चुका है।
1 जिला प्रमुख व 3 प्रधान पर भी केस
पाली जिला प्रमुख, सिरोही जिला के रेवदर, श्रीगंगानगर के पदमपुर व बाड़मेर के रामसर प्रधान के खिलाफ भी फर्जी शैक्षणिक योग्यता प्रमाण पत्र लगाने का आरोप है। 3 वार्ड पंच, 5 पंचायत समिति सदस्य व 3 जिला परिषद सदस्यों पर भी मामला दर्ज है।
जिन मामलों में आरोपित सरंपच को गिरफ्तार किया है या कोर्ट में चालान पेश कर चुके, उन प्रकरणों में कार्रवाई कर रहे हैं। ऎसे 23 सरपंच निलंबित किए जा चुके हैं।आनंद कुमार, सचिव एवं आयुक्त पंचायतीराज विभाग
फर्जी दस्तावेज से चुनाव लड़ने का मामला आईपीसी की धारा 420. 467,468 में आता है। पुलिस जांच में जिनके खिलाफ मामला बनता है, उन पर कार्रवाई होगी

Vyapam scam


व्यापम की कहानी निष्पक्ष जुबानी

व्यापम में हो रही अनियमितताओं की जाँच के लिए 2009 में आनंद राय नामक एक शख्स ने जनहित याचिका लगायी, जिस पर संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक इन अनियमितताओं की जाँच के लिए आयोग का गठन किया जिसकी रिपोर्ट 2011 में आयी, 
इस जाँच रिपोर्ट को अाधार मान कर 2011 से इसी सरकार ने इसमें लिप्त लोगो की धरपकड़ शुरू की गयी, जिसमे हर दिन नयी नयी चौकाने वाली जानकारियाँ सामने आने लगी, ये सब 2004 से चलता आ रहा था,
एक गिरोह इसके पीछे सक्रिय था, जिसमें एक के बदले दूसरा विद्यार्थी परीक्षा देने बैठ जाता था, कुछ चुनिंदा स्टूडेंट्स को एक साथ रोल नंबर अलॉट कर उन्हें सामूहिक नक़ल करायी जाती थी, और सब से खतरनाक था स्टूडेंट्स की ओएमआर शीट्स में उनके नंबर बढ़ाना, ये सब किसी बाहरी गिरोह द्वारा संभव नहीं था, इसके तार बड़े पैमाने में व्यापम के अंदर जुड़े हुए थे,

इन सारी बातो को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने 2013 में इसकी जाँच के लिए स्पेशल टास्क फ़ोर्स(STF) का गठन किया,
नवंबर 2013 में एसटीएफ ने एक और बड़ा खुलासा किया, ये फर्जीवाड़ा सिर्फ पीएमटी की परीक्षा में नहीं बल्कि व्यापम द्वारा आयोजित और कई अन्य परीक्षाओ जैसे प्री पीजी, फ़ूड इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर, मिल्क फेडरेशन और पुलिस कांस्टेबल भर्ती में भी किये गए थे, 
अब इस बात के पुख्ता सबूत मिल चुके थे कि व्यापम के अंदर का सिस्टम किसी बाहरी गिरोह के साथ मिलकर इन सारे कारनामो को अंजाम दे रहा था, 
फिर जाँच की रिपोर्ट आते आते लोगो की गिरफ्तारियां शुरू हुयी, जिसमें सबसे बड़ा नाम था मध्यप्रदेश के तकनिकी शिक्षा मंत्री जिनके अंतर्गत व्यापम काम करता था, लक्ष्मी नारायण शर्मा, डॉ. विनोद भंडारी, डॉ. जगदीश सागर जो मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए व्यापम के कुछ लोगो के साथ मिलकर उनका रोल नंबर एक साथ अलॉट कराते थे ताकि उन्हें सामूहिक नक़ल करायी जा सके , मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के ओएसडी ओ.पी. शुक्ला, व्यापम के परीक्षा नियंत्रक पंकज त्रिवेदी, स्टूडेंट्स की ओएमआर आंसर शीट से छेड़छाड़ कर उनके नंबर बढ़ाने वाले व्यापम के सिस्टम एनालिस्ट नितिन महेंद्र और अजय सेन, व्यापम के एक अधिकारी सी.के. मिश्रा जो डॉ. विनोद भंडारी और डॉ. जगदीश सागर से पैसे लेकर उनके चहेते स्टूडेंट्स को एक साथ रोल नंबर अलॉट करते थे, मध्यप्रदेश के बड़े खनन कारोबारी सुधीर शर्मा, मध्यप्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव और उनके पुत्र शैलेश और फर्जीवाड़ा करके मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लेने वाले सैकड़ो मेडिकल स्टूडेंट्स गिरफ्तार हुए, बाहरी गैंग का भांडाफोड़ हुआ जो असली स्टूडेंट्स के बदले परीक्षा देने दूसरे राज्यों से मेडिकल कॉलेज के छात्रो को बुलवाता था,

इन सब के बीच के एसटीएफ द्वारा बतौर परिश्रमिक पर रखा हुआ एक आईटी कंसलटेंट प्रशांत पाण्डेय एसटीएफ द्वारा ही की गयी जाँच और उसमे आरोपियों की इनफार्मेशन लीक करके लोगो से पैसे वसूलता गिरफ्तार हुआ, 
बस यहीं से इस पूरी घटना में नाटकीय मोड़ आया, क्योकि प्रशांत पाण्डेय दिग्विजय सिंह की शरण में पंहुचा और प्रशांत पाण्डेय का सहारा लेकर दिग्विजय सिंह को अपनी बंजर हो चुकी राजनीतिक जमीन फिर से उपजाऊ होती नज़र आने लगी, अतिउत्साह में दिग्विजय सिंह एसटीएफ के दस्तावेज जमा करने के पहले ही आरोपियों की 15 पेज की एक्सेल शीट एक शपथपत्र के साथ जाँच कमिटी के अध्यक्ष को सौंप आये, जाँच कमिटी ने संज्ञान लेते हुए एसटीएफ द्वारा और दिग्विजय सिंह द्वारा जमा की गयी दोनों एक्सेल शीट्स की फोरेंसिक लैब में जाँच करायी जिसमें दिंग्विजय सिंह द्वारा जमा की गयी एक्सेल शीट जस्टिस खानविलकर द्वारा फर्जी बताकर रद्द की गयी, 
सिर्फ यही नहीं दिग्विजय सिंह ने मध्यप्रदेश उच्च न्यायलय में सीबीआई जाँच के लिए याचिका लगायी, लेकिन माननीय उच्च न्यायलय ने एसटीएफ की जाँच को संतोषप्रद बताते हुए इस मामले की निगरानी हेतु एक तीन सदस्यीय एसआईटी गठित की जिसके द्वारा अब मामले की जाँच की निगरानी की जा रही है,

दिग्विजय सिंह 1992 से 2002 तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे 2002 तक मध्यप्रदेश की गिनती बीमारू राज्यों में की जाती रही, लोग सड़क, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओ के लिए तरसते रहे, लेकिन अब 2002 के बाद अब मध्यप्रदेश की जीडीपी ग्रोथ 121% बढ़ गयी, मध्यप्रदेश की कुल विकास दर 11.98% हो गयी और सब से शानदार प्रदर्शन कृषि के क्षेत्र में हुआ कृषि विकास दर 24.99 % पर आ गयी,

अगर शिवराज सिंह चौहान इस मामले में दोषी होते तो वो कभी इस मामले पर संज्ञान लेकर जाँच नहीं बिठाते, एसटीएफ से जाँच नहीं कराते, और अगर कराते भी तो कुछ छोटी मछलियो को पकड़ के खाना पूर्ति की कार्यवाही कर दी जाती, जाँच कि आंच कभी उनके मंत्री या उस प्रदेश के राज्यपाल तक नहीं पहुंच पाती, और पकड़े गए इतने लोगो में कोई न कोई उन पर प्रत्यक्ष रूप से आरोप जरूर लगा चुका होता,
शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्यप्रदेश विकास की नयी ऊंचाइयों तक पहुंचा है, इस मामले से जुड़े लोगो की संदिग्ध मौतों पर सवाल उठने बिलकुल लाज़मी हैं, इस मामले में जितनी मौते हुयी है उनमे से अधिकतर सड़क हादसे में हुयी हैं, अब ये मामला सिर्फ मध्यप्रदेश का नहीं पूरे देश का है, 
कोई एक संगठित गिरोह है जो हर राज्य में प्रतियोगी परीक्षाओ के प्रश्न पत्र लीक कर या और कई अन्य तरीको से फर्जीवाड़ा कर रहा है, अभी हाल ही उत्तरप्रदेश में एसडीएम भर्ती परीक्षा में 86 में 54 एसडीएम एक विशेष वर्ग से ही चुनकर आये,
क्योंकि व्यापम में हेर फेर पकड़े जाने के बाद भी छत्तीसगढ़ जैसे अन्य कई राज्यों में प्रतियोगी परीक्षाओ के प्रश्नपत्र लीक हुए हैं और अभी हाल ही में ऐसे किसी गिरोह ने एआईपीएमटी का पर्चा लीक किया जिसके कारण एआइपीएमटी की परीक्षा भी रद्द की गयी,

शिवराज सिंह चौहान एक कुशल प्रशासक हैं, हम सब भी यही चाहते हैं कि, एक अच्छे प्रशासक होने के नाते इस मामले से जुड़े लोगो की सुरक्षा की जाये और जल्द से जल्द इन रहस्मय तरीके से हो रही मौतों के कारणों की तह तक जाकर बहुत जल्द ही इन मौतों के पीछे का कलुषित चेहरा और वो शिक्षा माफिया पूरे देश के सामने बेनकाब हो, जिसकी वजह से देश के हज़ारो होनहार छात्रो का भविष्य अंधकारमय हुआ..

Tuesday 7 July 2015

Rocking daughters -PYARI SI BETIYA

Dear Papa....

"Beti" bankar ayi hu ma-baap ke jivan me,

basera hoga kal mera kisi aur ke aangan me,....

 kyu ye reet "RAB" ne banai hogi, 

"kehte" hai aaj nahi to kal tu "parai" hogi, 

"Dekhe" janam "paal-poskar" jisne hame bada kiya,

aur "waqt" aya to unhi hatho ne hame "vida" kia,

"Tut" ke bikhar jati he humari "zindagi" wahi,...

 par phir bhi us "bandhan" me pyar mile "zaruri" to nahi, 

kyu "rishta" humara itna "Ajib" hota hai,

kya bas yahi "betiyo" ka "Nasib" hota he??
☀☀☀☀☀☀☀☀☀☀
❤ "Papa" Says"... ❤
☀☀☀☀☀☀☀☀☀☀
❤Bahut "chanchal" bahut ❤
❤"Khushnuma" si hoti hai "BETIYA".❤

❤"Nazuk" sa "dil" rakhti hai "Masoom" si hoti hai "BETIYA". ❤

❤"Baat" baat par roti hai ❤
❤ "Nadan" si hoti hai "BETIYA".❤

❤"Rehmat" se "bharpoor"
"Khuda" ki "Nemat" hai "BETIYA".❤

❤"Ghar" mehak uthta hai ❤
❤ Jab "muskrati" hain "BETIYA".❤

❤"Ajeeb" si "Taklif" hoti hai ❤
❤ Jab "dusre" ghar jati hai "BETIYA".❤

❤"Ghar" lagta hai suna suna "Kitna" rula ke "jati" hai "BETIYA" ❤

❤"Khushi" ki "jhalak"
"Babul" ki "ladli" hoti hai "BETIYA"❤

❤Ye "Hum" nahi "kehte"❤

❤Yeh toh "RAB " kehta hai. . .Ke Jab main bahut khush hota hu toh ❤ ❤"janam" leti hai
"PYARI SI BETIYA" ❤

Monday 6 July 2015

Hindu rituals and beliefs

एक गोत्र में शादी क्यूँ नहीं....
वैज्ञानिक कारण हैं..

एक दिन डिस्कवरी पर जेनेटिक
बीमारियों से सम्बन्धित एक ज्ञानवर्धक कार्यक्रम
देख रहा था ... उस प्रोग्राम में एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने कहा की जेनेटिक बीमारी न हो इसका एक ही इलाज है और वो है "सेपरेशन ऑफ़
जींस".. मतलब अपने नजदीकी रिश्तेदारो में विवाह नही करना चाहिए ..क्योकि नजदीकी
रिश्तेदारों में जींस सेपरेट (विभाजन) नही हो पाता और जींस लिंकेज्ड
बीमारियाँ जैसे हिमोफिलिया, कलर ब्लाईंडनेस, और
एल्बोनिज्म होने की १००% चांस होती है ..
फिर मुझे
बहुत ख़ुशी हुई जब उसी कार्यक्रम में ये
दिखाया गया की आखिर हिन्दूधर्म में
हजारों सालों पहले जींस और डीएनए के बारे में
कैसे
लिखा गया है ? हिंदुत्व में कुल सात गोत्र होते
है
और एक गोत्र के लोग आपस में शादी नही कर
सकते
ताकि जींस सेपरेट (विभाजित) रहे.. उस वैज्ञानिक ने
कहा की आज पूरे विश्व
को मानना पड़ेगा की हिन्दूधर्म ही विश्व का
एकमात्र
ऐसा धर्म है जो "विज्ञान पर आधारित" है !
हिंदू परम्पराओं से जुड़े ये वैज्ञानिक तर्क:

1- कान छिदवाने की परम्परा:

भारत में लगभग सभी धर्मों में कान छिदवाने की परम्परा है।
वैज्ञानिक तर्क-
दर्शनशास्त्री मानते हैं कि इससे सोचने की शक्त‍ि बढ़ती है। जबकि डॉक्टरों का मानना है कि इससे बोली अच्छी होती है और कानों से होकर दिमाग तक जाने वाली नस का रक्त संचार नियंत्रित रहता है।

2-: माथे पर कुमकुम/तिलक

महिलाएं एवं पुरुष माथे पर कुमकुम या तिलक लगाते हैं।
वैज्ञानिक तर्क- आंखों के बीच में माथे तक एक नस जाती है। कुमकुम या तिलक लगाने से उस जगह की ऊर्जा बनी रहती है। माथे पर तिलक लगाते वक्त जब अंगूठे या उंगली से प्रेशर पड़ता है, तब चेहरे की त्वचा को रक्त सप्लाई करने वाली मांसपेशी सक्रिय हो जाती है। इससे चेहरे की कोश‍िकाओं तक अच्छी तरह रक्त पहुंचता

3- : जमीन पर बैठकर भोजन

भारतीय संस्कृति के अनुसार जमीन पर बैठकर भोजन करना अच्छी बात होती है।
वैज्ञानिक तर्क- पलती मारकर बैठना एक प्रकार का योग आसन है। इस पोजीशन में बैठने से मस्त‍िष्क शांत रहता है और भोजन करते वक्त अगर दिमाग शांत हो तो पाचन क्रिया अच्छी रहती है। इस पोजीशन में बैठते ही खुद-ब-खुद दिमाग से एक सिगनल पेट तक जाता है, कि वह भोजन के लिये तैयार हो जाये।

4- : हाथ जोड़कर नमस्ते करना

जब किसी से मिलते हैं तो हाथ जोड़कर नमस्ते अथवा नमस्कार करते हैं।
वैज्ञानिक तर्क- जब सभी उंगलियों के शीर्ष एक दूसरे के संपर्क में आते हैं और उन पर दबाव पड़ता है। एक्यूप्रेशर के कारण उसका सीधा असर हमारी आंखों, कानों और दिमाग पर होता है, ताकि सामने वाले व्यक्त‍ि को हम लंबे समय तक याद रख सकें। दूसरा तर्क यह कि हाथ मिलाने (पश्च‍िमी सभ्यता) के बजाये अगर आप नमस्ते करते हैं तो सामने वाले के शरीर के कीटाणु आप तक नहीं पहुंच सकते। अगर सामने वाले को स्वाइन फ्लू भी है तो भी वह वायरस आप तक नहीं पहुंचेगा।

5-: भोजन की शुरुआत तीखे से और अंत मीठे से

जब भी कोई धार्मिक या पारिवारिक अनुष्ठान होता है तो भोजन की शुरुआत तीखे से और अंत मीठे से होता है।
वैज्ञानिक तर्क- तीखा खाने से हमारे पेट के अंदर पाचन तत्व एवं अम्ल सक्रिय हो जाते हैं। इससे पाचन तंत्र ठीक तरह से संचालित होता है। अंत में मीठा खाने से अम्ल की तीव्रता कम हो जाती है। इससे पेट में जलन नहीं होती है।

6-: पीपल की पूजा
तमाम लोग सोचते हैं कि पीपल की पूजा करने से भूत-प्रेत दूर भागते हैं।
वैज्ञानिक तर्क- इसकी पूजा इसलिये की जाती है, ताकि इस पेड़ के प्रति लोगों का सम्मान बढ़े और उसे काटें नहीं। पीपल एक मात्र ऐसा पेड़ है, जो रात में भी ऑक्सीजन प्रवाहित करता ह

7-: दक्ष‍िण की तरफ सिर करके सोना

दक्ष‍िण की तरफ कोई पैर करके सोता है, तो लोग कहते हैं कि बुरे सपने आयेंगे, भूत प्रेत का साया आ जायेगा, आदि। इसलिये उत्तर की ओर पैर करके सोयें।
वैज्ञानिक तर्क- जब हम उत्तर की ओर सिर करके सोते हैं, तब हमारा शरीर पृथ्वी की चुंबकीय तरंगों की सीध में आ जाता है। शरीर में मौजूद आयरन यानी लोहा दिमाग की ओर संचारित होने लगता है। इससे अलजाइमर, परकिंसन, या दिमाग संबंधी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। यही नहीं रक्तचाप भी बढ़ जाता है।

8-सूर्य नमस्कार
हिंदुओं में सुबह उठकर सूर्य को जल चढ़ाते हुए नमस्कार करने की परम्परा है।
वैज्ञानिक तर्क- पानी के बीच से आने वाली सूर्य की किरणें जब आंखों में पहुंचती हैं, तब हमारी आंखों की रौशनी अच्छी होती है।

9-सिर पर चोटी

हिंदू धर्म में ऋषि मुनी सिर पर चुटिया रखते थे। आज भी लोग रखते हैं।
वैज्ञानिक तर्क- जिस जगह पर चुटिया रखी जाती है उस जगह पर दिमाग की सारी नसें आकर मिलती हैं। इससे दिमाग स्थ‍िर रहता है और इंसान को क्रोध नहीं आता, सोचने की क्षमता बढ़ती है।

10-व्रत रखना

कोई भी पूजा-पाठ या त्योहार होता है, तो लोग व्रत रखते हैं।
वैज्ञानिक तर्क- आयुर्वेद के अनुसार व्रत करने से पाचन क्रिया अच्छी होती है और फलाहार लेने से शरीर का डीटॉक्सीफिकेशन होता है, यानी उसमें से खराब तत्व बाहर निकलते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार व्रत करने से कैंसर का खतरा कम होता है। हृदय संबंधी रोगों, मधुमेह, आदि रोग भी जल्दी नहीं लगते।

11-चरण स्पर्श करना

हिंदू मान्यता के अनुसार जब भी आप किसी बड़े से मिलें, तो उसके चरण स्पर्श करें। यह हम बच्चों को भी सिखाते हैं, ताकि वे बड़ों का आदर करें।
वैज्ञानिक तर्क- मस्त‍िष्क से निकलने वाली ऊर्जा हाथों और सामने वाले पैरों से होते हुए एक चक्र पूरा करती है। इसे कॉसमिक एनर्जी का प्रवाह कहते हैं। इसमें दो प्रकार से ऊर्जा का प्रवाह होता है, या तो बड़े के पैरों से होते हुए छोटे के हाथों तक या फिर छोटे के हाथों से बड़ों के पैरों तक।

12-क्यों लगाया जाता है सिंदूर

शादीशुदा हिंदू महिलाएं सिंदूर लगाती हैं।
वैज्ञानिक तर्क- सिंदूर में हल्दी, चूना और मरकरी होता है। यह मिश्रण शरीर के रक्तचाप को नियंत्रित करता है। चूंकि इससे यौन उत्तेजनाएं भी बढ़ती हैं, इसीलिये विधवा औरतों के लिये सिंदूर लगाना वर्जित है। इससे स्ट्रेस कम होता है।

13- तुलसी के पेड़ की पूजा
तुलसी की पूजा करने से घर में समृद्ध‍ि आती है। सुख शांति बनी रहती है।
वैज्ञानिक तर्क- तुलसी इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। लिहाजा अगर घर में पेड़ होगा, तो इसकी पत्त‍ियों का इस्तेमाल भी होगा और उससे बीमारियां दूर होती हैं।

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