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Wednesday 8 July 2015

Vyapam scam


व्यापम की कहानी निष्पक्ष जुबानी

व्यापम में हो रही अनियमितताओं की जाँच के लिए 2009 में आनंद राय नामक एक शख्स ने जनहित याचिका लगायी, जिस पर संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक इन अनियमितताओं की जाँच के लिए आयोग का गठन किया जिसकी रिपोर्ट 2011 में आयी, 
इस जाँच रिपोर्ट को अाधार मान कर 2011 से इसी सरकार ने इसमें लिप्त लोगो की धरपकड़ शुरू की गयी, जिसमे हर दिन नयी नयी चौकाने वाली जानकारियाँ सामने आने लगी, ये सब 2004 से चलता आ रहा था,
एक गिरोह इसके पीछे सक्रिय था, जिसमें एक के बदले दूसरा विद्यार्थी परीक्षा देने बैठ जाता था, कुछ चुनिंदा स्टूडेंट्स को एक साथ रोल नंबर अलॉट कर उन्हें सामूहिक नक़ल करायी जाती थी, और सब से खतरनाक था स्टूडेंट्स की ओएमआर शीट्स में उनके नंबर बढ़ाना, ये सब किसी बाहरी गिरोह द्वारा संभव नहीं था, इसके तार बड़े पैमाने में व्यापम के अंदर जुड़े हुए थे,

इन सारी बातो को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने 2013 में इसकी जाँच के लिए स्पेशल टास्क फ़ोर्स(STF) का गठन किया,
नवंबर 2013 में एसटीएफ ने एक और बड़ा खुलासा किया, ये फर्जीवाड़ा सिर्फ पीएमटी की परीक्षा में नहीं बल्कि व्यापम द्वारा आयोजित और कई अन्य परीक्षाओ जैसे प्री पीजी, फ़ूड इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर, मिल्क फेडरेशन और पुलिस कांस्टेबल भर्ती में भी किये गए थे, 
अब इस बात के पुख्ता सबूत मिल चुके थे कि व्यापम के अंदर का सिस्टम किसी बाहरी गिरोह के साथ मिलकर इन सारे कारनामो को अंजाम दे रहा था, 
फिर जाँच की रिपोर्ट आते आते लोगो की गिरफ्तारियां शुरू हुयी, जिसमें सबसे बड़ा नाम था मध्यप्रदेश के तकनिकी शिक्षा मंत्री जिनके अंतर्गत व्यापम काम करता था, लक्ष्मी नारायण शर्मा, डॉ. विनोद भंडारी, डॉ. जगदीश सागर जो मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए व्यापम के कुछ लोगो के साथ मिलकर उनका रोल नंबर एक साथ अलॉट कराते थे ताकि उन्हें सामूहिक नक़ल करायी जा सके , मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के ओएसडी ओ.पी. शुक्ला, व्यापम के परीक्षा नियंत्रक पंकज त्रिवेदी, स्टूडेंट्स की ओएमआर आंसर शीट से छेड़छाड़ कर उनके नंबर बढ़ाने वाले व्यापम के सिस्टम एनालिस्ट नितिन महेंद्र और अजय सेन, व्यापम के एक अधिकारी सी.के. मिश्रा जो डॉ. विनोद भंडारी और डॉ. जगदीश सागर से पैसे लेकर उनके चहेते स्टूडेंट्स को एक साथ रोल नंबर अलॉट करते थे, मध्यप्रदेश के बड़े खनन कारोबारी सुधीर शर्मा, मध्यप्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव और उनके पुत्र शैलेश और फर्जीवाड़ा करके मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लेने वाले सैकड़ो मेडिकल स्टूडेंट्स गिरफ्तार हुए, बाहरी गैंग का भांडाफोड़ हुआ जो असली स्टूडेंट्स के बदले परीक्षा देने दूसरे राज्यों से मेडिकल कॉलेज के छात्रो को बुलवाता था,

इन सब के बीच के एसटीएफ द्वारा बतौर परिश्रमिक पर रखा हुआ एक आईटी कंसलटेंट प्रशांत पाण्डेय एसटीएफ द्वारा ही की गयी जाँच और उसमे आरोपियों की इनफार्मेशन लीक करके लोगो से पैसे वसूलता गिरफ्तार हुआ, 
बस यहीं से इस पूरी घटना में नाटकीय मोड़ आया, क्योकि प्रशांत पाण्डेय दिग्विजय सिंह की शरण में पंहुचा और प्रशांत पाण्डेय का सहारा लेकर दिग्विजय सिंह को अपनी बंजर हो चुकी राजनीतिक जमीन फिर से उपजाऊ होती नज़र आने लगी, अतिउत्साह में दिग्विजय सिंह एसटीएफ के दस्तावेज जमा करने के पहले ही आरोपियों की 15 पेज की एक्सेल शीट एक शपथपत्र के साथ जाँच कमिटी के अध्यक्ष को सौंप आये, जाँच कमिटी ने संज्ञान लेते हुए एसटीएफ द्वारा और दिग्विजय सिंह द्वारा जमा की गयी दोनों एक्सेल शीट्स की फोरेंसिक लैब में जाँच करायी जिसमें दिंग्विजय सिंह द्वारा जमा की गयी एक्सेल शीट जस्टिस खानविलकर द्वारा फर्जी बताकर रद्द की गयी, 
सिर्फ यही नहीं दिग्विजय सिंह ने मध्यप्रदेश उच्च न्यायलय में सीबीआई जाँच के लिए याचिका लगायी, लेकिन माननीय उच्च न्यायलय ने एसटीएफ की जाँच को संतोषप्रद बताते हुए इस मामले की निगरानी हेतु एक तीन सदस्यीय एसआईटी गठित की जिसके द्वारा अब मामले की जाँच की निगरानी की जा रही है,

दिग्विजय सिंह 1992 से 2002 तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे 2002 तक मध्यप्रदेश की गिनती बीमारू राज्यों में की जाती रही, लोग सड़क, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओ के लिए तरसते रहे, लेकिन अब 2002 के बाद अब मध्यप्रदेश की जीडीपी ग्रोथ 121% बढ़ गयी, मध्यप्रदेश की कुल विकास दर 11.98% हो गयी और सब से शानदार प्रदर्शन कृषि के क्षेत्र में हुआ कृषि विकास दर 24.99 % पर आ गयी,

अगर शिवराज सिंह चौहान इस मामले में दोषी होते तो वो कभी इस मामले पर संज्ञान लेकर जाँच नहीं बिठाते, एसटीएफ से जाँच नहीं कराते, और अगर कराते भी तो कुछ छोटी मछलियो को पकड़ के खाना पूर्ति की कार्यवाही कर दी जाती, जाँच कि आंच कभी उनके मंत्री या उस प्रदेश के राज्यपाल तक नहीं पहुंच पाती, और पकड़े गए इतने लोगो में कोई न कोई उन पर प्रत्यक्ष रूप से आरोप जरूर लगा चुका होता,
शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्यप्रदेश विकास की नयी ऊंचाइयों तक पहुंचा है, इस मामले से जुड़े लोगो की संदिग्ध मौतों पर सवाल उठने बिलकुल लाज़मी हैं, इस मामले में जितनी मौते हुयी है उनमे से अधिकतर सड़क हादसे में हुयी हैं, अब ये मामला सिर्फ मध्यप्रदेश का नहीं पूरे देश का है, 
कोई एक संगठित गिरोह है जो हर राज्य में प्रतियोगी परीक्षाओ के प्रश्न पत्र लीक कर या और कई अन्य तरीको से फर्जीवाड़ा कर रहा है, अभी हाल ही उत्तरप्रदेश में एसडीएम भर्ती परीक्षा में 86 में 54 एसडीएम एक विशेष वर्ग से ही चुनकर आये,
क्योंकि व्यापम में हेर फेर पकड़े जाने के बाद भी छत्तीसगढ़ जैसे अन्य कई राज्यों में प्रतियोगी परीक्षाओ के प्रश्नपत्र लीक हुए हैं और अभी हाल ही में ऐसे किसी गिरोह ने एआईपीएमटी का पर्चा लीक किया जिसके कारण एआइपीएमटी की परीक्षा भी रद्द की गयी,

शिवराज सिंह चौहान एक कुशल प्रशासक हैं, हम सब भी यही चाहते हैं कि, एक अच्छे प्रशासक होने के नाते इस मामले से जुड़े लोगो की सुरक्षा की जाये और जल्द से जल्द इन रहस्मय तरीके से हो रही मौतों के कारणों की तह तक जाकर बहुत जल्द ही इन मौतों के पीछे का कलुषित चेहरा और वो शिक्षा माफिया पूरे देश के सामने बेनकाब हो, जिसकी वजह से देश के हज़ारो होनहार छात्रो का भविष्य अंधकारमय हुआ..

Tuesday 7 July 2015

Rocking daughters -PYARI SI BETIYA

Dear Papa....

"Beti" bankar ayi hu ma-baap ke jivan me,

basera hoga kal mera kisi aur ke aangan me,....

 kyu ye reet "RAB" ne banai hogi, 

"kehte" hai aaj nahi to kal tu "parai" hogi, 

"Dekhe" janam "paal-poskar" jisne hame bada kiya,

aur "waqt" aya to unhi hatho ne hame "vida" kia,

"Tut" ke bikhar jati he humari "zindagi" wahi,...

 par phir bhi us "bandhan" me pyar mile "zaruri" to nahi, 

kyu "rishta" humara itna "Ajib" hota hai,

kya bas yahi "betiyo" ka "Nasib" hota he??
☀☀☀☀☀☀☀☀☀☀
❤ "Papa" Says"... ❤
☀☀☀☀☀☀☀☀☀☀
❤Bahut "chanchal" bahut ❤
❤"Khushnuma" si hoti hai "BETIYA".❤

❤"Nazuk" sa "dil" rakhti hai "Masoom" si hoti hai "BETIYA". ❤

❤"Baat" baat par roti hai ❤
❤ "Nadan" si hoti hai "BETIYA".❤

❤"Rehmat" se "bharpoor"
"Khuda" ki "Nemat" hai "BETIYA".❤

❤"Ghar" mehak uthta hai ❤
❤ Jab "muskrati" hain "BETIYA".❤

❤"Ajeeb" si "Taklif" hoti hai ❤
❤ Jab "dusre" ghar jati hai "BETIYA".❤

❤"Ghar" lagta hai suna suna "Kitna" rula ke "jati" hai "BETIYA" ❤

❤"Khushi" ki "jhalak"
"Babul" ki "ladli" hoti hai "BETIYA"❤

❤Ye "Hum" nahi "kehte"❤

❤Yeh toh "RAB " kehta hai. . .Ke Jab main bahut khush hota hu toh ❤ ❤"janam" leti hai
"PYARI SI BETIYA" ❤

Monday 6 July 2015

Hindu rituals and beliefs

एक गोत्र में शादी क्यूँ नहीं....
वैज्ञानिक कारण हैं..

एक दिन डिस्कवरी पर जेनेटिक
बीमारियों से सम्बन्धित एक ज्ञानवर्धक कार्यक्रम
देख रहा था ... उस प्रोग्राम में एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने कहा की जेनेटिक बीमारी न हो इसका एक ही इलाज है और वो है "सेपरेशन ऑफ़
जींस".. मतलब अपने नजदीकी रिश्तेदारो में विवाह नही करना चाहिए ..क्योकि नजदीकी
रिश्तेदारों में जींस सेपरेट (विभाजन) नही हो पाता और जींस लिंकेज्ड
बीमारियाँ जैसे हिमोफिलिया, कलर ब्लाईंडनेस, और
एल्बोनिज्म होने की १००% चांस होती है ..
फिर मुझे
बहुत ख़ुशी हुई जब उसी कार्यक्रम में ये
दिखाया गया की आखिर हिन्दूधर्म में
हजारों सालों पहले जींस और डीएनए के बारे में
कैसे
लिखा गया है ? हिंदुत्व में कुल सात गोत्र होते
है
और एक गोत्र के लोग आपस में शादी नही कर
सकते
ताकि जींस सेपरेट (विभाजित) रहे.. उस वैज्ञानिक ने
कहा की आज पूरे विश्व
को मानना पड़ेगा की हिन्दूधर्म ही विश्व का
एकमात्र
ऐसा धर्म है जो "विज्ञान पर आधारित" है !
हिंदू परम्पराओं से जुड़े ये वैज्ञानिक तर्क:

1- कान छिदवाने की परम्परा:

भारत में लगभग सभी धर्मों में कान छिदवाने की परम्परा है।
वैज्ञानिक तर्क-
दर्शनशास्त्री मानते हैं कि इससे सोचने की शक्त‍ि बढ़ती है। जबकि डॉक्टरों का मानना है कि इससे बोली अच्छी होती है और कानों से होकर दिमाग तक जाने वाली नस का रक्त संचार नियंत्रित रहता है।

2-: माथे पर कुमकुम/तिलक

महिलाएं एवं पुरुष माथे पर कुमकुम या तिलक लगाते हैं।
वैज्ञानिक तर्क- आंखों के बीच में माथे तक एक नस जाती है। कुमकुम या तिलक लगाने से उस जगह की ऊर्जा बनी रहती है। माथे पर तिलक लगाते वक्त जब अंगूठे या उंगली से प्रेशर पड़ता है, तब चेहरे की त्वचा को रक्त सप्लाई करने वाली मांसपेशी सक्रिय हो जाती है। इससे चेहरे की कोश‍िकाओं तक अच्छी तरह रक्त पहुंचता

3- : जमीन पर बैठकर भोजन

भारतीय संस्कृति के अनुसार जमीन पर बैठकर भोजन करना अच्छी बात होती है।
वैज्ञानिक तर्क- पलती मारकर बैठना एक प्रकार का योग आसन है। इस पोजीशन में बैठने से मस्त‍िष्क शांत रहता है और भोजन करते वक्त अगर दिमाग शांत हो तो पाचन क्रिया अच्छी रहती है। इस पोजीशन में बैठते ही खुद-ब-खुद दिमाग से एक सिगनल पेट तक जाता है, कि वह भोजन के लिये तैयार हो जाये।

4- : हाथ जोड़कर नमस्ते करना

जब किसी से मिलते हैं तो हाथ जोड़कर नमस्ते अथवा नमस्कार करते हैं।
वैज्ञानिक तर्क- जब सभी उंगलियों के शीर्ष एक दूसरे के संपर्क में आते हैं और उन पर दबाव पड़ता है। एक्यूप्रेशर के कारण उसका सीधा असर हमारी आंखों, कानों और दिमाग पर होता है, ताकि सामने वाले व्यक्त‍ि को हम लंबे समय तक याद रख सकें। दूसरा तर्क यह कि हाथ मिलाने (पश्च‍िमी सभ्यता) के बजाये अगर आप नमस्ते करते हैं तो सामने वाले के शरीर के कीटाणु आप तक नहीं पहुंच सकते। अगर सामने वाले को स्वाइन फ्लू भी है तो भी वह वायरस आप तक नहीं पहुंचेगा।

5-: भोजन की शुरुआत तीखे से और अंत मीठे से

जब भी कोई धार्मिक या पारिवारिक अनुष्ठान होता है तो भोजन की शुरुआत तीखे से और अंत मीठे से होता है।
वैज्ञानिक तर्क- तीखा खाने से हमारे पेट के अंदर पाचन तत्व एवं अम्ल सक्रिय हो जाते हैं। इससे पाचन तंत्र ठीक तरह से संचालित होता है। अंत में मीठा खाने से अम्ल की तीव्रता कम हो जाती है। इससे पेट में जलन नहीं होती है।

6-: पीपल की पूजा
तमाम लोग सोचते हैं कि पीपल की पूजा करने से भूत-प्रेत दूर भागते हैं।
वैज्ञानिक तर्क- इसकी पूजा इसलिये की जाती है, ताकि इस पेड़ के प्रति लोगों का सम्मान बढ़े और उसे काटें नहीं। पीपल एक मात्र ऐसा पेड़ है, जो रात में भी ऑक्सीजन प्रवाहित करता ह

7-: दक्ष‍िण की तरफ सिर करके सोना

दक्ष‍िण की तरफ कोई पैर करके सोता है, तो लोग कहते हैं कि बुरे सपने आयेंगे, भूत प्रेत का साया आ जायेगा, आदि। इसलिये उत्तर की ओर पैर करके सोयें।
वैज्ञानिक तर्क- जब हम उत्तर की ओर सिर करके सोते हैं, तब हमारा शरीर पृथ्वी की चुंबकीय तरंगों की सीध में आ जाता है। शरीर में मौजूद आयरन यानी लोहा दिमाग की ओर संचारित होने लगता है। इससे अलजाइमर, परकिंसन, या दिमाग संबंधी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। यही नहीं रक्तचाप भी बढ़ जाता है।

8-सूर्य नमस्कार
हिंदुओं में सुबह उठकर सूर्य को जल चढ़ाते हुए नमस्कार करने की परम्परा है।
वैज्ञानिक तर्क- पानी के बीच से आने वाली सूर्य की किरणें जब आंखों में पहुंचती हैं, तब हमारी आंखों की रौशनी अच्छी होती है।

9-सिर पर चोटी

हिंदू धर्म में ऋषि मुनी सिर पर चुटिया रखते थे। आज भी लोग रखते हैं।
वैज्ञानिक तर्क- जिस जगह पर चुटिया रखी जाती है उस जगह पर दिमाग की सारी नसें आकर मिलती हैं। इससे दिमाग स्थ‍िर रहता है और इंसान को क्रोध नहीं आता, सोचने की क्षमता बढ़ती है।

10-व्रत रखना

कोई भी पूजा-पाठ या त्योहार होता है, तो लोग व्रत रखते हैं।
वैज्ञानिक तर्क- आयुर्वेद के अनुसार व्रत करने से पाचन क्रिया अच्छी होती है और फलाहार लेने से शरीर का डीटॉक्सीफिकेशन होता है, यानी उसमें से खराब तत्व बाहर निकलते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार व्रत करने से कैंसर का खतरा कम होता है। हृदय संबंधी रोगों, मधुमेह, आदि रोग भी जल्दी नहीं लगते।

11-चरण स्पर्श करना

हिंदू मान्यता के अनुसार जब भी आप किसी बड़े से मिलें, तो उसके चरण स्पर्श करें। यह हम बच्चों को भी सिखाते हैं, ताकि वे बड़ों का आदर करें।
वैज्ञानिक तर्क- मस्त‍िष्क से निकलने वाली ऊर्जा हाथों और सामने वाले पैरों से होते हुए एक चक्र पूरा करती है। इसे कॉसमिक एनर्जी का प्रवाह कहते हैं। इसमें दो प्रकार से ऊर्जा का प्रवाह होता है, या तो बड़े के पैरों से होते हुए छोटे के हाथों तक या फिर छोटे के हाथों से बड़ों के पैरों तक।

12-क्यों लगाया जाता है सिंदूर

शादीशुदा हिंदू महिलाएं सिंदूर लगाती हैं।
वैज्ञानिक तर्क- सिंदूर में हल्दी, चूना और मरकरी होता है। यह मिश्रण शरीर के रक्तचाप को नियंत्रित करता है। चूंकि इससे यौन उत्तेजनाएं भी बढ़ती हैं, इसीलिये विधवा औरतों के लिये सिंदूर लगाना वर्जित है। इससे स्ट्रेस कम होता है।

13- तुलसी के पेड़ की पूजा
तुलसी की पूजा करने से घर में समृद्ध‍ि आती है। सुख शांति बनी रहती है।
वैज्ञानिक तर्क- तुलसी इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। लिहाजा अगर घर में पेड़ होगा, तो इसकी पत्त‍ियों का इस्तेमाल भी होगा और उससे बीमारियां दूर होती हैं।

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जहाज दुर्घटना

एक स्कूल में टीचर ने अपने छात्रो को एक कहानी सुनाई और बोली एक समय की बात है की
एक समय एक छोटा जहाज दुर्घटना ग्रस्त हो गया . उस पर पति पत्नी का एक जोड़ा सफ़र कर रहा था .
उन्होने देखा की जहाज पर एक लाइफबोट है जिसमे एक ही व्यक्ति बैठ सकता है, जिसे देखते ही वो आदमी अपनी पत्नी को धक्का देते हुए खुद कूद कर उस लाइफबोट पर बैठ गया .
उसकी पत्नी जोर से चिल्ला कर कुछ बोली ....
टीचर ने बच्चो से पूछा की तुम अनुमान लगाओ वो चिल्लाकर क्या बोली होगी ...
बहुत से बच्चो ने लगभग एक साथ बोला की वो बोली होगी की तुम बेवफा हो , मे अंधी थी जो तुमसे प्यार किया ,मे तुमसे नफरत करती हूँ.
तभी टीचर ने देखा की एक बच्चा चुप बैठा है और कुछ नहीं बोल रहा .. उसने उसे बुलाया और कहा बताओ उस महिला ने क्या कहा होगा.
तो वो बच्चा बोलो मुझे लगता है की उस महिला ने चिल्लाकर कहा होगा की “अपने बच्चे का ख्याल रखना “.
टीचर को आश्चर्य हुआ और बोली क्या तुमने ये कहानी पहले सुनी है,
उस बच्चे ने कहा नहीं लेकिन मेरी माँ ने मरने से पहले मेरे पिता को यही कहा था .
तुम्हारा जवाब बिलकुल सही है .
फिर वो जहाज डूब गया, और वो आदमी अपने घर गया और अकेले ही अपनी मासूम बेटी का पालन पोषण कर उसे बड़ा किया .
बहुत वर्षो के बाद उस आदमी की मृत्यु हो जाती है तो वो लड़की को घर के सामान मे अपने पिता की एक डायरी मिलती है जिसमे उसके पिता ने लिखा था की जब वो जहाज पर जाने वाले थे तब ही उन्हें ये पता लग गया था की उसकी पत्नी एक गंभीर बीमारी से ग्रसित है और उसके बचने की उम्मीद नहीं है, फिर भी उसको बचाने के लिए उसे लेकर जहाज से कही जा रहे थे इस उम्मीद मे की कोई इलाज हो सके .
लेकिन दुर्भाग्य से दुर्घटना हो गयी, वो भी उसके साथ समुद्र की गहराइयों मे डूब जाना चाहता था, लेकिन सिर्फ अपनी बेटी के लिए दुखी ह्रदय से अपनी पत्नी को समुद्र में डूब जाने को अकेला छोड़ दिया .
कहानी ख़त्म हो गयी पूरी क्लास मौन थी
टीचर समझ चुकी थी छात्रों को कहानी का मोरल समझ आ चूका था .
संसार मे अच्छाई और बुराई दोनों है, लेकिन उनके पीछे दोनों मे बहुत जटिलताएं भी है, जो परिस्थितियों पर निर्भर होती है, और उन्हें समझना कठिन होता है .
इसीलिए हमें जो सामने दिख रहा है उसपर सतही तौर से देख कर अपनी राय नहीं बनाना चाहिए , जब तक हम पूरी बात समझ ना लें.
अगर कोई किसी की मदद करता है तो उसका मतलब यह नहीं की वो एहसान कर रहा है, बल्कि ये है की वो दोस्ती का मतलब समझता है
अगर कोई किसी से झगडा हो जाने के बाद माफ़ी मांग लेता है तो मतलब यह नहीं की वो डर गया या वो गलत था, लेकिन यह है की वो मानवता के मूल्यों को समझता है .
कोई अपने कार्यस्थल पर पूरा काम निष्ठा से करता है तो मतलब यह नहीं की वो डरता है,
बल्कि वो श्रम का महत्त्व समझता है और देश के विकास मे अपना योगदान करता है .
अगर कोई किसी की मदद करने को तत्पर है तो उसका मतलब ये नहीं की वो फ़ालतू है या आपसे कुछ चाहता है, बल्कि ये है की वो अपना एक दोस्त खोना नहीं चाहता .

जहाज दुर्घटना

एक स्कूल में टीचर ने अपने छात्रो को एक कहानी सुनाई और बोली एक समय की बात है की
एक समय एक छोटा जहाज दुर्घटना ग्रस्त हो गया . उस पर पति पत्नी का एक जोड़ा सफ़र कर रहा था .
उन्होने देखा की जहाज पर एक लाइफबोट है जिसमे एक ही व्यक्ति बैठ सकता है, जिसे देखते ही वो आदमी अपनी पत्नी को धक्का देते हुए खुद कूद कर उस लाइफबोट पर बैठ गया .
उसकी पत्नी जोर से चिल्ला कर कुछ बोली ....
टीचर ने बच्चो से पूछा की तुम अनुमान लगाओ वो चिल्लाकर क्या बोली होगी ...
बहुत से बच्चो ने लगभग एक साथ बोला की वो बोली होगी की तुम बेवफा हो , मे अंधी थी जो तुमसे प्यार किया ,मे तुमसे नफरत करती हूँ.
तभी टीचर ने देखा की एक बच्चा चुप बैठा है और कुछ नहीं बोल रहा .. उसने उसे बुलाया और कहा बताओ उस महिला ने क्या कहा होगा.
तो वो बच्चा बोलो मुझे लगता है की उस महिला ने चिल्लाकर कहा होगा की “अपने बच्चे का ख्याल रखना “.
टीचर को आश्चर्य हुआ और बोली क्या तुमने ये कहानी पहले सुनी है,
उस बच्चे ने कहा नहीं लेकिन मेरी माँ ने मरने से पहले मेरे पिता को यही कहा था .
तुम्हारा जवाब बिलकुल सही है .
फिर वो जहाज डूब गया, और वो आदमी अपने घर गया और अकेले ही अपनी मासूम बेटी का पालन पोषण कर उसे बड़ा किया .
बहुत वर्षो के बाद उस आदमी की मृत्यु हो जाती है तो वो लड़की को घर के सामान मे अपने पिता की एक डायरी मिलती है जिसमे उसके पिता ने लिखा था की जब वो जहाज पर जाने वाले थे तब ही उन्हें ये पता लग गया था की उसकी पत्नी एक गंभीर बीमारी से ग्रसित है और उसके बचने की उम्मीद नहीं है, फिर भी उसको बचाने के लिए उसे लेकर जहाज से कही जा रहे थे इस उम्मीद मे की कोई इलाज हो सके .
लेकिन दुर्भाग्य से दुर्घटना हो गयी, वो भी उसके साथ समुद्र की गहराइयों मे डूब जाना चाहता था, लेकिन सिर्फ अपनी बेटी के लिए दुखी ह्रदय से अपनी पत्नी को समुद्र में डूब जाने को अकेला छोड़ दिया .
कहानी ख़त्म हो गयी पूरी क्लास मौन थी
टीचर समझ चुकी थी छात्रों को कहानी का मोरल समझ आ चूका था .
संसार मे अच्छाई और बुराई दोनों है, लेकिन उनके पीछे दोनों मे बहुत जटिलताएं भी है, जो परिस्थितियों पर निर्भर होती है, और उन्हें समझना कठिन होता है .
इसीलिए हमें जो सामने दिख रहा है उसपर सतही तौर से देख कर अपनी राय नहीं बनाना चाहिए , जब तक हम पूरी बात समझ ना लें.
अगर कोई किसी की मदद करता है तो उसका मतलब यह नहीं की वो एहसान कर रहा है, बल्कि ये है की वो दोस्ती का मतलब समझता है
अगर कोई किसी से झगडा हो जाने के बाद माफ़ी मांग लेता है तो मतलब यह नहीं की वो डर गया या वो गलत था, लेकिन यह है की वो मानवता के मूल्यों को समझता है .
कोई अपने कार्यस्थल पर पूरा काम निष्ठा से करता है तो मतलब यह नहीं की वो डरता है,
बल्कि वो श्रम का महत्त्व समझता है और देश के विकास मे अपना योगदान करता है .
अगर कोई किसी की मदद करने को तत्पर है तो उसका मतलब ये नहीं की वो फ़ालतू है या आपसे कुछ चाहता है, बल्कि ये है की वो अपना एक दोस्त खोना नहीं चाहता .

Sunday 5 July 2015

सूर्य नमस्कार कैसे करें

सूर्य नमस्कार योगासनों में सर्वश्रेष्ठ प्रक्रिया है। यह अकेला
अभ्यास ही साधक को सम्पूर्ण योग व्यायाम का लाभ पहुंचाने
में समर्थ है। इसके अभ्यास से साधक का शरीर निरोग और स्वस्थ
होकर तेजस्वी हो जाता है। 'सूर्य नमस्कार' स्त्री, पुरुष, बाल,
युवा तथा वृद्धों के लिए भी उपयोगी बताया गया है। सूर्य
नमस्कार का अभ्यास बारह स्थितियों में किया जाता है, जो
निम्नलिखित है-
(1) दोनों हाथों को जोड़कर सीधे खड़े हों। नेत्र बंद करें। ध्यान
'आज्ञा चक्र' पर केंद्रित करके 'सूर्य भगवान' का आह्वान 'ॐ
मित्राय नमः' मंत्र के द्वारा करें।
(2) श्वास भरते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाते हुए ऊपर की
ओर तानें तथा भुजाओं और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं। ध्यान
को गर्दन के पीछे 'विशुद्धि चक्र' पर केन्द्रित करें।
(3) तीसरी स्थिति में श्वास को धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए
आगे की ओर झुकाएं। हाथ गर्दन के साथ, कानों से सटे हुए नीचे
जाकर पैरों के दाएं-बाएं पृथ्वी का स्पर्श करें। घुटने सीधे रहें।
माथा घुटनों का स्पर्श करता हुआ ध्यान नाभि के पीछे
'मणिपूरक चक्र' पर केन्द्रित करते हुए कुछ क्षण इसी स्थिति में
रुकें। कमर एवं रीढ़ के दोष वाले साधक न करें।
(4) इसी स्थिति में श्वास को भरते हुए बाएं पैर को पीछे की ओर
ले जाएं। छाती को खींचकर आगे की ओर तानें। गर्दन को
अधिक पीछे की ओर झुकाएं। टांग तनी हुई सीधी पीछे की ओर
खिंचाव और पैर का पंजा खड़ा हुआ। इस स्थिति में कुछ समय रुकें।
ध्यान को 'स्वाधिष्ठान' अथवा 'विशुद्धि चक्र' पर ले जाएँ।
मुखाकृति सामान्य रखें।
(5) श्वास को धीरे-धीरे बाहर निष्कासित करते हुए दाएं पैर को
भी पीछे ले जाएं। दोनों पैरों की एड़ियां परस्पर मिली हुई हों।
पीछे की ओर शरीर को खिंचाव दें और एड़ियों को पृथ्वी पर
मिलाने का प्रयास करें। नितम्बों को अधिक से अधिक ऊपर
उठाएं। गर्दन को नीचे झुकाकर ठोड़ी को कण्ठकूप में लगाएं।
ध्यान 'सहस्रार चक्र' पर केन्द्रित करने का अभ्यास करें।
(6) श्वास भरते हुए शरीर को पृथ्वी के समानांतर, सीधा
साष्टांग दण्डवत करें और पहले घुटने, छाती और माथा पृथ्वी पर
लगा दें। नितम्बों को थोड़ा ऊपर उठा दें। श्वास छोड़ दें। ध्यान
को 'अनाहत चक्र' पर टिका दें। श्वास की गति सामान्य करें।
(7) इस स्थिति में धीरे-धीरे श्वास को भरते हुए छाती को आगे
की ओर खींचते हुए हाथों को सीधे कर दें। गर्दन को पीछे की
ओर ले जाएं। घुटने पृथ्वी का स्पर्श करते हुए तथा पैरों के पंजे खड़े
रहें। मूलाधार को खींचकर वहीं ध्यान को टिका दें।
(8) श्वास को धीरे-धीरे बाहर निष्कासित करते हुए दाएं पैर को
भी पीछे ले जाएं। दोनों पैरों की एड़ियां परस्पर मिली हुई हों।
पीछे की ओर शरीर को खिंचाव दें और एड़ियों को पृथ्वी पर
मिलाने का प्रयास करें। नितम्बों को अधिक से अधिक ऊपर
उठाएं। गर्दन को नीचे झुकाकर ठोड़ी को कण्ठकूप में लगाएं।
ध्यान 'सहस्रार चक्र' पर केन्द्रित करने का अभ्यास करें।
(9) इसी स्थिति में श्वास को भरते हुए बाएं पैर को पीछे की ओर
ले जाएं। छाती को खींचकर आगे की ओर तानें। गर्दन को
अधिक पीछे की ओर झुकाएं। टांग तनी हुई सीधी पीछे की ओर
खिंचाव और पैर का पंजा खड़ा हुआ। इस स्थिति में कुछ समय रुकें।
ध्यान को 'स्वाधिष्ठान' अथवा 'विशुद्धि चक्र' पर ले जाएँ।
मुखाकृति सामान्य रखें।
(10) तीसरी स्थिति में श्वास को धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए
आगे की ओर झुकाएं। हाथ गर्दन के साथ, कानों से सटे हुए नीचे
जाकर पैरों के दाएं-बाएं पृथ्वी का स्पर्श करें। घुटने सीधे रहें।
माथा घुटनों का स्पर्श करता हुआ ध्यान नाभि के पीछे
'मणिपूरक चक्र' पर केन्द्रित करते हुए कुछ क्षण इसी स्थिति में
रुकें। कमर एवं रीढ़ के दोष वाले साधक न करें।
(11) श्वास भरते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाते हुए ऊपर
की ओर तानें तथा भुजाओं और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं।
ध्यान को गर्दन के पीछे 'विशुद्धि चक्र' पर केन्द्रित करें।
(12) यह स्थिति - पहली स्थिति की भाँति रहेगी।
सूर्य नमस्कार की उपरोक्त बारह स्थितियाँ हमारे शरीर को
संपूर्ण अंगों की विकृतियों को दूर करके निरोग बना देती हैं। यह
पूरी प्रक्रिया अत्यधिक लाभकारी है। इसके अभ्यासी के
हाथों-पैरों के दर्द दूर होकर उनमें सबलता आ जाती है। गर्दन,
फेफड़े तथा पसलियों की मांसपेशियां सशक्त हो जाती हैं,
शरीर की फालतू चर्बी कम होकर शरीर हल्का-फुल्का हो
जाता है।
सूर्य नमस्कार के द्वारा त्वचा रोग समाप्त हो जाते हैं अथवा
इनके होने की संभावना समाप्त हो जाती है। इस अभ्यास से
कब्ज आदि उदर रोग समाप्त हो जाते हैं और पाचनतंत्र की
क्रियाशीलता में वृद्धि हो जाती है। इस अभ्यास के द्वारा
हमारे शरीर की छोटी-बड़ी सभी नस-नाड़ियां क्रियाशील
हो जाती हैं, इसलिए आलस्य, अतिनिद्रा आदि विकार दूर हो
जाते हैं। सूर्य नमस्कार की तीसरी व पांचवीं स्थितियां
सर्वाइकल एवं स्लिप डिस्क वाले रोगियों के लिए वर्जित हैं।
मित्रों से मेरी विनती है इस पोस्ट को शेयर करे और आगे
बढ़ाए.ताकी पूरा भारत स्वास्थ हो।